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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जनवरी 29, 2012

देखो ए दिवानों ऐसा काम न करो …

अयोध्या में प्रस्तावित श्री राम जानकी मंदिर

देखो ए दिवानों ऐसा काम न करो … राम का नाम बदनाम न करो !!!

चुनाव का मौसम आ गया है । उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है । तमाम घोषणाओं के साथ ही भाजपा ने 'अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर कहा है कि यह अब मुद्दा राष्ट्र का है।'
देश की जनता को न जाने क्या समझते हैं ये राजनेता - पहले कहते थे यह मुद्दा राम का है , फ़िर कहा यह मुद्दा हिदुत्व का है - हिन्दुस्तान का है और अब कह रहे हैं यह मुद्दा राष्ट्र का है।
अरे यार मुद्दे की बात करो राम मंदिर बनाओगे भी या बस यूं ही बकवास करते रहोगे ? बताओ तो सही मंदिर के नाम पर समूचे देश में धूम - धूम कर जो करोड़ो - अरबों का चंदा बटोरा था , वो पैसा कहाँ किसके पास है , इस बीच इस जमा राशि का ब्याज कितना हुआ भाई , हम सब ने भी तब बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था देने - दिलाने में , कुछ सकारात्मक बात भी तो कभी किया करो , लफ़्फ़ाजी छोड़ कर ।

नवंबर 10, 2011

अन्ना को गाली …



मेरे एक परिचित इंजीनियर की पत्नि अन्ना हजारे को उल्टा सीधा बके जा रहीं थी । मैंने पूछा आखिर बात क्या है ? आप यहाँ रायपुर में बैठ कर अन्ना हजारे को बुरा-भला कहे जा रहीं हैं , उन्होने आपका क्या नुकसान कर दिया है ? इंजीनियर की पत्नि ने कहा - देखो न भईया , अन्ना कहतें भ्रष्टाचार को रोको , अरे हमारा घर कैसे चलेगा - बच्चों का क्या होगा ? मैंने कहा भैया तो 30 - 35 हजार वेतन पाते हैं आपका अपना घर हैं और हाऊस रेंट भी आप को मिलता है । आपकी कार में पैट्रोल भी सरकारी ही डलता है , ऊपरी का कोई हिसब नहीं फ़िर भी आप एक नेक विचार को कोस रहीं हैं । बड़ी ही बेशर्मी के साथ और बेझिझक होकर उन्होंने कहा - अच्छा होता बुड्ढा मर जाता तो … आप नहीं समझोगे । कहते हुए अपने घर रवाना हो गईं । सोचिए यह तो हाल इस देश के उन लोगों और उनके परिवारजनों का जो भ्रष्टाचार पसंद ही नहीं बल्कि उसमें आकण्ठ डूबे हैं । गौरतलब बात यह भी है कि ये इंजीनियर साहब हर साल - दो साल में भ्रष्टाचार कर अपना नाम - काम पेपर की सुर्खियों में ला कर सस्पेंड हो जाते हैं , अभी भी सस्पेंड चल रहे हैं ।

बड़ा कौन …?



प्रबोधिनी एकादशी (रविवार 06 नवंबर 2011) की पूजा के फ़ल-फ़ूल लेने बाज़ार गया , यहाँ कमल के फ़ूल भी बिकते देख खरीदने गया , करीब 35 - 40 फ़ूल और पूजा में लगने वाले बेर , शकरकंद , अमरूद , सीताफ़ल , कुछ भाजी आदिपूजन सामग्री लेकर बेचने बैठी फ़ूल बेचने वाली वृद्ध महिला ने तीन फ़ूल के दाम 10/- (दस रुपये) बताए , जब मैं चुप था उसे लगा मैं नहीं खरीदुंगा तभी उसने कहा - ले बाबू चार ले जा , चल पाँच ले ले । मैं हत्प्रभ और खुश था उसकी इस सरलता पर , आर्थिक रूप से मुझसे मुझ जैसे करोड़ों - अरबों लोगों से कम सक्षम वह महिला सचमुच कितनी बड़ी और विशाल हृदय की धनी थी । कमल का फ़ूल रायपुर जैसे बड़े शहर में दुर्लभ है , वह चाहती तो दस रूपये में एक भी बोल सकती थी और लेने वाले लेते । उस सरल - सहज , भोले स्वभाव में उसका देवतुल्य बड़प्पन दिखा । किसी भी बड़े व्यापारी से ज्यादा बड़प्पन मिला । समझ आया कौन है सचमुच " बड़ा " ।

माँ..

 
माँ...
तू ही तू है मेरी जिन्दगी ।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी ।।

मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू,
इक हकीकत भी हो और किताबों में तू।
तू ही तू है मेरी जिन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

तेरी ममता मिली मैं जिया छाँव में।
वही ममता बिलखती अभी गाँव में।
काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूँ शायद ये किस्मत मेरी।
है सुमन का नमन माँ हृदय से तुझे,
सदा सुमिरूँ तुझे हो ये आदत मेरी।
बढ़े अच्छाईयाँ दूर हो गन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

- श्यामल सुमन

अक्टूबर 11, 2011

मैं भी इंसान हूँ … मैं बेटी हूँ


सितंबर 05, 2011

कौन हैं अन्ना हज़ारे …?



 अन्ना हज़ारे का जन्म 15 जून, 1937 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के भिंगार गांव के एक किसान परिवार में हुआ था । उनके पिता का नाम बाबूराव हज़ारे और मां का नाम लक्ष्मीबाई हज़ारे था। [1] उनका बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे। दादा फौज में। दादा की तैनाती भिंगनगर में थी। वैसे अन्ना के पुरखों का गांव अहमद नगर जिले में ही स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के छह भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिय.

व्यवसाय -

वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील पर अन्ना 1963 में सेना की मराठा रेजीमेंट में ड्राइवर के रूप में भर्ती हो गए। अन्ना की पहली तैनाती पंजाब में हुई। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अन्ना हज़ारे खेमकरण सीमा पर तैनात थे। 12 नवंबर 1965 को चौकी पर पाकिस्तानी हवाई बमबारी में वहां तैनात सारे सैनिक मारे गए।[2] इस घटना ने अन्ना की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। इसके बाद उन्होंने सेना में १३ और वर्षों तक काम किया। उनकी तैनाती मुंबई और कश्मीर में भी हुई। १९७५ में जम्मू में तैनाती के दौरान सेना में सेवा के १५ वर्ष पूरे होने पर उन्होंने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली। वे पास के गाँव रालेगन सिद्धि में रहने लगे और इसी गाँव को उन्होने अपनी सामाजिक कर्मस्थली भी बना लिय

सामाजिक कार्य -

१९६५ के युद्ध में मौत से साक्षात्कार के बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उन्होंने स्वामी विवेकानंद की एक पुस्तक 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' देखा और खरीद लिया। इसे पढ़कर उनके मन में भी अपना जीवन समाज को समर्पित करने की इच्छा बलवती हो गई। उन्होंने महात्मा गांधी और विनोबा भावे की पुस्तकें भी पढ़ीं। 1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहकर स्वयं को सामाजिक कार्यों के लिए पूर्णतः समर्पित कर देने का संकल्प कर लिया।

रालेगन सिद्धि -

मुम्बई पदस्थापन के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। वे वहाँ चट्टान पर बैठकर गांव को सुधारने की बात सोचा करते थे। १९७५ में स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर रालेगन आकर उन्होंने अपना सामाजिक कार्य प्रारंभ कर दिया। इस गांव में बिजली और पानी की ज़बरदस्त कमी थी। अन्ना ने गांव वालों को नहर बनाने और गड्ढे खोदकर बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया और ख़ुद भी इसमें योगदान दिया। अन्ना के कहने पर गांव में जगह-जगह पेड़ लगाए गए। गांव में सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली की सप्लाई की गई।[3] उन्होंने अपनी ज़मीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी और अपनी पेंशन का
सारा

पैसा गांव के विकास के लिए समर्पित कर दिया। वे गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। यह गांव आज शांति ,सौहर्द एवं भाईचारे की मिसाल है।

महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन १९९१ -

१९९१ में अन्ना हज़ारे ने महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा की सरकार के कुछ 'भ्रष्ट' मंत्रियों को हटाए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल की। ये मंत्री थे- शशिकांत सुतर, महादेव शिवांकर और बबन घोलाप। अन्ना ने उन पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया था। सरकार ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन अंतत: उसे दागी मंत्रियों शशिकांत सुतर और महादेव शिवांकर को हटाना ही पड़ा।[4] घोलाप ने अन्ना के खिलाफ़ मानहानि का मुकदमा दायर दिया। अन्ना अपने आरोप के समर्थन में न्यायालय में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए और उन्हें तीन महीने की जेल हो गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने उन्हें एक दिन की हिरासत के बाद छोड़ दिया। एक जाँच आयोग ने शशिकांत सुतर और महादेव शिवांकर को निर्दोष बताया। लेकिन अन्ना हज़ारे ने कई शिवसेना और भाजपा नेताओं पर भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप
लगाए

सूचना का अधिकार आंदोलन १९९७-२००५ -

1997 में अन्ना हज़ारे ने सूचना का अधिकार अधिनियम के समर्थन में मुंबई के आजाद मैदान से अपना अभियान शुरु किया। 9 अगस्त, 2003 को मुंबई के आजाद मैदान में ही अन्ना हज़ारे आमरण अनशन पर बैठ गए। 12 दिन तक चले आमरण अनशन के दौरान अन्ना हज़ारे और सूचना का अधिकार आंदोलन को देशव्यापी समर्थन मिला। आख़िरकार 2003 में ही महाराष्ट्र सरकार को इस अधिनियम के एक मज़बूत और कड़े मसौदे को पारित करना पड़ा। बाद में इसी आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले लिया। इसके परिणामस्वरूप 12 अक्टूबर 2005 को भारतीय संसद ने भी सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया। [5] अगस्त 2006, में सूचना का अधिकार अधिनियम में संशोधन प्रस्ताव के खिलाफ अन्ना ने 11 दिन तक आमरण अनशन किया, जिसे देशभर में समर्थन मिला। इसके परिणामस्वरूप, सरकार ने संशोधन का इरादा बदल दिय

महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन 2003 -
2003 में अन्ना ने कांग्रेस और एनसीपी सरकार के चार मंत्रियों; सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक, विजय कुमार गावित और पद्मसिंह पाटिल को भ्रष्ट बताकर उनके ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ दी और भूख हड़ताल पर बैठ गए। तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने इसके बाद एक जांच आयोग का गठन किया। नवाब मलिक ने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। आयोग ने जब सुरेश जैन के ख़िलाफ़ आरोप तय किए तो उन्हें भी त्यागपत्र देना पड़ा

लोकपाल विधेयक आंदोलन २०११ -
देखें मुख्य लेख जन लोकपाल विधेयक आंदोलन जन लोकपाल विधेयक (नागरिक लोकपाल विधेयक) के निर्माण के लिए जारी यह आंदोलन अपने अखिल भारतीय स्वरूप में ५ अप्रैल २०११ को समाजसेवी अन्ना हज़ारे एवं उनके साथियों के जंतर-मंतर पर शुरु किए गए अनशन के साथ आरंभ हुआ, जिनमें मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल, भारत की पहली महिला प्रशासनिक अधिकारी किरण बेदी, प्रसिद्ध लोकधर्मी वकील प्रशांत भूषण, आदि शामिल थे। संचार साधनों के प्रभाव के कारण इस अनशन का प्रभाव समूचे भारत में फैल गया और इसके समर्थन में लोग सड़कों पर भी उतरने लगे। इन्होंने भारत सरकार से एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल विधेयक बनाने की माँग की थी और अपनी माँग के अनुरूप सरकार को लोकपाल बिल का एक मसौदा भी दिया था। किंतु मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने इसके प्रति नकारात्मक रवैया दिखाया और इसकी उपेक्षा की। इसके परिणामस्वरूप शुरु हुए अनशन के प्रति भी उनका रवैया उपेक्षा पूर्ण ही रहा। किंतु इस अनशन के आंदोलन का रूप लेने पर भारत सरकार ने आनन-फानन में एक समिति बनाकर संभावित खतरे को टाला और १६ अगस्त तक संसद में लोकपाल विधेयक पारित कराने की बात स्वीकार कर ली। अगस्त से शुरु हुए मानसून सत्र में सरकार ने जो विधेयक प्रस्तुत किया वह कमजोर और जन लोकपाल के सर्वथा विपरीत था। अन्ना हज़ारे ने इसके खिलाफ अपने पूर्व घोषित तिथि १६ अगस्त से पुनः अनशन पर जाने की बात दुहराई। १६ अगस्त को सुबह साढ़े सात बजे जब वे अनशन पर जाने के लिए तैयारी कर रहे थे, उन्हें दिल्ली पुलिस ने उन्हें घर से ही गिरफ्तार कर लिया। उनके टीम के अन्य लोग भी गिरफ्तार कर लिए गए। इस खबर ने आम जनता को उद्वेलित कर दिया और वह सड़कों पर उतरकर सरकार के इस कदम का अहिंसात्मक प्रतिरोध करने लगी। दिल्ली पुलिस ने अन्ना को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। अन्ना ने रिहा किए जाने पर दिल्ली से बाहर रालेगाँव चले जाने या ३ दिन तक अनशन करने की बात अस्वीकार कर दी। उन्हें ७ दिनों के न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया। शाम तक देशव्यापी प्रदर्शनों की खबर ने सरकार को अपना कदम वापस खींचने पर मजबूर कर दिया। दिल्ली पुलिस ने अन्ना को सशर्त रिहा करने का आदेश जारी किया। मगर अन्ना अनशन जारी रखने पर दृढ़ थे। बिना किसी शर्त के अनशन करने की अनुमति तक उन्होंने रिहा होने से इनकार कर दिया। 17 अगस्त तक देश में अन्ना के समर्थन में प्रदर्शन होता रहा। दिल्ली में तिहाड़ जेल के बाहर हजारों लोग डेरा डाले रहे। 17 अगस्त की शाम तक दिल्ली पुलिस रामलीला मैदान में और 7 दिनों तक अनशन करने की इजाजत देने को तैयार हुई। मगर अन्ना ने 30 दिनों से कम अनशन करने की अनुमति लेने से मना कर दिया. उन्होंने जेल में ही अपना अनशन जारी रखा। अन्ना को राम्लीला मैदान मै १५ दिन कि अनुमति मिलि,और अब १९ अगस्त से श्री अन्ना राम लीला मेदान मै जन लोकपाल बिल के लिये आनशन जारी रखने पर दृढ़ रहे आखिरकार सरकार उनकी जिद पर झुकी और जन लोकपाल लाने सहमति दी.
व्यक्तित्व और विचारधारा
गाधी की विरासत उनकी थाती है। कद-काठी में वह साधारण ही हैं। सिर पर गांधी टोपी और बदन पर खादी है। आंखों पर मोटा चश्मा है, लेकिन उनको दूर तक दिखता है। इरादे फौलादी और अटल हैं। महात्मा गांधी के बाद अन्ना हज़ारे ने ही भूख हड़ताल और आमरण अनशन को सबसे ज्यादा बार बतौर हथियार इस्तेमाल किया है। इसके जरिए उन्होंने भ्रष्ट प्रशासन को पद छोड़ने एवं सरकारों को जनहितकारी कानून बनाने पर मजबूर किया है। अन्ना हज़ारे को आधुनिक युग का गान्धी भी कहा जा सकता है अन्ना हज़ारे हम सभी के लिये आदर्श है ।
अन्ना हज़ारे गांधीजी के ग्राम स्वराज्य को भारत के गाँवों की समृद्धि का माध्यम मानते हैं। उनका मानना है कि ' बलशाली भारत के लिए गाँवों को अपने पैरों पर खड़ा करना होगा।' उनके अनुसार विकास का लाभ समान रूप से वितरित न हो पाने का कारण रहा गाँवों को केन्द्र में न रखना.
व्यक्ति निर्माण से ग्राम निर्माण और तब स्वाभाविक ही देश निर्माण के गांधीजी के मन्त्र को उन्होंने हकीकत में उतार कर दिखाया, और एक गाँव से आरम्भ उनका यह अभियान आज 85 गावों तक सफलतापूर्वक जारी है। व्यक्ति निर्माण के लिए मूल मन्त्र देते हुए उन्होंने युवाओं में उत्तम चरित्र, शुद्ध आचार-विचार, निष्कलंक जीवन व त्याग की भावना विकसित करने व निर्भयता को आत्मसात कर आम आदमी की सेवा को आदर्श के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया है।
सम्मान
• पद्मभूषण पुरस्कार (१९९२)
• पद्मश्री पुरस्कार (११९०)
• इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार (१९८६)
• महाराष्ट्र सरकार का कृषि भूषण पुरस्कार (१९८९)
• यंग इंडिया पुरस्कार
• मैन ऑफ़ द ईयर अवार्ड (१९८८)
• पॉल मित्तल नेशनल अवार्ड (२०००)
• ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंटेग्रीटि अवार्ड (२००३)
• विवेकानंद सेवा पुरुस्कार (१९९६)
• शिरोमणि अवार्ड (१९९७)
• महावीर पुरुस्कार (१९९७)
• दिवालीबेन मेहता अवार्ड (१९९९)
• केयर इन्टरनेशनल (१९९८)
• बासवश्री प्रशस्ति (२०००)
• GIANTS INTERNATIONAL AWARD (२०००)
• नेशनलइंटरग्रेसन अवार्ड (१९९९)
• विश्व-वात्सल्य एवं संतबल पुरस्कार
• जनसेवा अवार्ड (१९९९)
• रोटरी इन्टरनेशनल मनव सेवा पुरस्कार (१९९८)
• विश्व बैंक का 'जित गिल स्मारक पुरस्कार' (२००८)

अगस्त 17, 2011

An Important Issue! : Indian government approves 200% MPs salary hike


An Important Issue!
Indian government approves 200% MPs salary hike , Still some MP's are unhappy.

Now , MP's take home salary is Rs 45 lakh per annum + other allowances.




TOTAL expense for a MP [having no qualification] per year :  Rs.60,95,000

For 534 MPs, the expense  for 1 year:

Rs. 325,47,30,000

3254730000 X 5 years =

Rs.1627,36, 50000  ( One Thousand six hundred crores plus..)

Its happen only in india....


1627 crores could make their lives livable!!
Think of the great democracy we have�K

Do Mp's really need salary hike? Do they really wait for 30th of every month for salary
credits to there bank accounts, like we do every month ????

FORWARD
THIS MESSAGE TO ALL REAL CITIZENSOF INDIA !!
ARE YOU?
I know hitting the Delete button is easier...but....try to press the Fwd button & make people aware!


अगस्त 16, 2011

क्या अब भी सरकार को समझ नहीँ आ रहा है कि...


क्या अब भी सरकार को समझ नहीँ आ रहा है कि...
कपिल सिब्बल , चिदम्बरम और दिग्विजय सिंह ये तीनों बड़बोले नेता मिलकर भी अपने संसदीय क्षेत्रों से इतने आदमी एक साथ खड़ा नहीं कर सकते , जितने कि इस समय 16अगस्त की रात ग्यारह बजे तिहार जेल के बाहर अन्ना हजारे के समर्थन में खड़े हैं ।
एक दिन में तीस लाख से भी ज्यादा गाँधी टोपी तो कभी 02अक्टूबर गाँधी जयंती के अवसर पर भी नहीं बिकी , जितनी आज बिकी है । क्या अब भी सरकार को समझ नहीँ आ रहा है कि देश की जनता क्या चाहती है ? “दर्द होता रहा,छटपटाते रहे,आईने॒ से सदा चोट खाते रहे।
वो वतन बेचकर मुस्कुराते रहे,हम वतन के लिए॒ सिर कटाते रहे॥

280 लाख करोड़ का सवाल है ...

भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.

या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है.

ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को

लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है.

इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा.

मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है.

भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है.

हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है.हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ....

जुलाई 29, 2011


जून 12, 2011

लोग क्या चाहते हैं और क्या कर रही है सरकार ???




इस देश में मंहगाई की वजह से आम आदमी रोजमर्रा के जरूरी सामान जुटाने में ही मरा जा रहा है , खुद को तबाह होता , बर्बाद होता पा रहा है । मंहगाई और लूट का आलम यह कि शिक्षा - चिकित्सा - रोटी - पानी , मकान - दुकान सब कुछ धीरे धीरे आम आदमी के हाँथ से मानो फ़िसलता जा रहा है। जीवन में उसके लिए अब कुछ आसान नहीं रह गया है । मन मानो अधीर सा होता जा रहा है । इसी मर्म को महसूस कर आगे आए अन्ना हजारे और बाबा रामदेव का गला दबाने की कोशिश सिर्फ़ और सिर्फ़ इसलिए की जाने लगी क्योंकि ये किसी राजनीतिक दल सीधे सीधे कहें तो सत्तासीन कांग्रेस के नहीं हैं ! आरोप मढ़ने का प्रयास किया गया कि येRSS  और  BJP समर्थित हैं और देश का ध्यान मुख्य बात से हटाने का सुनियोजित और असफ़ल प्रयास भी किया गया । इसमें कहीं कोई शक नहीं कि कांग्रेस के इन गंदे प्रयासों के चलते आम जनता उससे नाराज है , यहां तक की स्वयं कांग्रेस में भी तमाम वरिष्ठ जन अपनी पार्टी की हरकतों से नाराज बैठे हैं , एक्का-दुक्का बयान भी आ रहे हैं । इस देश के असंखय लोग जो चाहकर भी धरना - प्रदर्शन या आन्दोलन के लिए समय नहीं निकाल सकते वे सभी अपनी ताकत अन्ना और बाबा रामदेव को दे रहे थे तन नहीं तो मन और धन से , जो बात कांग्रेस को बहुत जोर से खटकने लगी और उसने अपने चिरपरिचित अंदाज में दांव खेला जिसमें उसका बच्चा - बच्चा माहिर है । अब दौर शुरु हो गया है अपने अपने काले - पीले धन को मैनेज करने का , यहाँ - वहाँ शिफ़्ट करने का , जिसके चलते हर बड़ा कहा जाने वाला आदमी - नेता विदेशों के फ़ेरे ले रहा है , अपने-अपने विश्वस्थों - रिश्तेदारों को इसी काम से भेज रहा है । जब यह काम पूरा हो जायेगा तब होगी घोषणा कालेधन को लेकर । तब तक दमनचक्र चलता रहेगा । केन्द्र हो या फ़िर कोई भी राज्य सभी जगह सता पक्ष मनमानी कर रहा है और वहाँ का विपक्ष उसमें जगह देख कर अपनी - अपनी रोटियाँ भी सेंक ले रहा है । जनता यह सब कुछ देख भी रही है और समझ भी रही है ।  व्यवस्था में सुधार और समस्याओं के समाधान के लिए केन्द्र सरकार ने तमाम समितियों का एक ऐसा घना सा जाल बुना जिसमें तेजतर्रार समझे जाने वाले विपक्षी नेता भी उलझे हुए हैं ।  केन्द्र सरकार शयाद इस भ्रम में है कि मौजुदा व्यवस्था में किसी भी तरह का बदलाव  या बड़े सुधार की तो नौबत ही नहीं आयेगी । केन्द्र को न तो मंहगाई का मुद्दा दिखता है और न ही कहीं भ्रष्टाचार या कालेधन का कोई मुद्दा दिखता है , दिखे भी कैसे आखिर यह सब उपज भी तो उसी के लोगों के प्रयासों का नतीजा है ! सरकार यह समझने की भूल कर बैठी है कि रामलीला मैदान में बैठे 50 - 60 हजार की भीड़ क्या है भला , उसके साथ तो देश की सवा अरब जनता है , उसे भला किस बात की चिंता ! अन्ना या बाबा तो नाम हैं उन करोड़ों लोगों का जो इस देश में चोतरफ़ा मची लूट से राहत चाहते हैं , यह भी सही है कि अब लोगों को नेताओं और उनकी पार्टियों पर भी भरोसा नहीं रह गया है । यही कारण है कि हम सभी किसी सर्वमान्य गैरराजनीतिक नैतृत्व की तलाश में अब भी भटक रहे हैं ।

हे  राम…

जून 06, 2011

प्रजातंत्र बनाम तानाशाही …


मध्य रात्रि मंच पर एकाएक मची अफ़रा तफ़री …


देश की राजधानी में पाँच जून की आधी रात बाबा रामदेव के पंडाल में जो कुछ भी घटना घटी उसने दिल्ली में - देश में राज करने वालों की मंसा जाहिर कर दी है । ये सरकारें जन सामान्य के प्रति कितनी संवेदनशील हैं यह भी दिखा जब सो रहे हजारों लोगों पर रात दो बजे लाठियाँ बरसाईं गईं , अश्रुगैस के गोले छोड़े , महिलाओं बच्चों और बूढ़ो को पुलिसिया जूतों तले रौंदा गया , महिलाओं के साथ खुले आम बदसलूकी की गई । भ्रष्टाचार और अनाचार के खिलाफ़ लड़ी जाने वाली लड़ाई अब शायद इसी तरह दमित की जाती रहेगी , मानो लुटेरों की खिलाफ़त करने वालों की अब खैर नहीं। एक राजनीतिक आदेश ने पुलिस को इतना बल दिया कि दिल्ली पुलिस ने आधी रात रामलीला मैदान में भगदड़ मचा कर रातो रात लोगों को पंडाल से खदेड़ कर दम ही लिया । सियासतदारोम को जहाँ इस दुश्कर्म के लिए शर्म आनी चाहिए तो वहीं वे इसे पूरी बेशर्मी के साथ सही  कार्यवाही निरूपित करने की कवायद करते देखे जा रहे हैं । क्या यही सही तरीका है शासन - प्रशासन का जनता के प्रति जवाबदेही का ? क्या गुनाह किया था आधीरात सो रही है जनता ने ? क्या नागरिक अधिकार खत्म कर दिये गये हैं ?
देख लिया अंग्रेजों की औलादों को …
दिल्ली के रामलीला मैदान पर आधी रात सो रहे हजारों अनशनकारियों पर पुलिस की लाठियाँ बरसाने का आदेश देकर और बाबा रामदेव , आचार्य बालकृष्ण सहित तमाम अन्य नेतृत्वकर्ताओं को अज्ञात स्थल पर ले जाकर दिल्ली में बैठी केन्द्र और दिल्ली राज्य की कांग्रेस सरकार ने यह साबित कर दिखाया है कि अपने लोगों पर शासन करने का उनका तरीका आज भी अंग्रेजियत से प्रेरित है ।
पंडाल में आग लगाना , सो रहे निर्दोष इंसानों ,महिलाओं - बच्चों - बुजुर्गों पर लाठी बरसाना कहाँ तक उचित है  ? पाँच जून की सुबह कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रेस काफ़्रेंस में बाबा रामदेव पर तरह तरह के आरोप लगाये और उन्हें गलत आदमी बताया , क्या मैं यह जान सकता हूँ कि अब तक बाबा रामदेव की गलतियों के लिये उनके विरूद्ध आवाज समय रहते क्यों नहीं उठाई गई ? क्यों कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्रियों ने उनसे एयरपोर्ट पर और पाँच सितारा होटल में जाकर घण्टों बातचीत की ? क्यों एक गलत समझे जाने वाले बाबा और उनके महामंत्री आचार्य बालकृष्ण से लिखित आश्वासन लिया ? एक तरफ़ बाबा रामदेव को आप सिरे से खारिज करते हैं ठीक उसी वक्त उसी आदमी बाबा रामदेव को आपके ही दल के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और वरिष्ठ मंत्री (बकौल दिग्विजय सिंह) सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगा कर चर्चा क्यों करती है ??? क्या यह दोहरा चरित्र नहीं है कांग्रेस का ?
 क्या अविभाजित मध्य प्रदेश की जनता दिग्विजय सिंह को नहीं जानती ? क्या उनके कार्यकाल को नहीं जानती ? क्या कभी अपने गिरेबान में झांकने का साहस करेंगे हमारे देश के नेता ? दिग्विजय सिंह कहते थे दो दिन पहले की ही बात है कि अगर कांग्रेस बाबा रामदेव से डरती होती तो उन्हें गिरफ़्तार कर लेती । अब क्या समझा जाय ? क्या डर गई कांग्रेस जो रातोरात उसे ऐसी बर्बर कार्यवाही करने प्रशासन का दुरुपयोग करना पड़ा ? है कोई जबाव दिग्विजय सिंह  जैसे कांग्रेसियों के पास ?
इस घटना ने एक बार फ़िर जलियाँवाला बाग की बर्बरतापूर्ण घटना की याद दिला दी है , शर्म आनी चाहिये ऐसी कथित आजादी पर और नेताओं के नाम पर अंग्रेज की ऐसी संतानों पर  ।

सो रहे लोगों को पंडाल से खसिट कर बाहर ले जाती दिल्ली पुलिस
इससे पहले देर रात की घटना -

मुख्य मंच पर लगाई आग 
दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन को अभी एक रात भी नहीं बीती थी कि पूरे आयोजन ने एक अति-नाटकीय मोड़ ले लिया।दिल्ली पुलिस ने देर रात रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन पंडाल को चारों ओर से घेरे में ले लिया. इससे पहले बाबा रामदेव की अनशन करने की अनुमति को रद्द कर दिया गया। उधर रामलीला मैदान में मौजूद बाबा रामदेव के समर्थकों ने पंडाल के मंच और बाकी स्थानों को घेर लिया और बाबा के बचाव में उनके समर्थक पुलिस से आमने-सामने उतर आए। इस दौरान पंडाल के एक हिस्से में आग लगने की खबर से अफरातफरी मच गयी. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि यह आग शायद पुलिस द्वारा लगायी गयी हो. देखते ही देखते स्थिति बेकाबू हो गयी. इस दौरान पुलिस ने थोड़ा बल प्रयोग भी किया और आंसूगैस के गोले भी छोड़े. इस पूरे माहौल के बाद से बड़ी तादाद में रामदेव समर्थकों को पंडाल छोड़कर भागना पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वहां का नजारा जलियावाला बाग घटना से मेल खाता था. यह देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा था कि देश आजाद हो चुका है ।  भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव ने चार जून से दिल्ली में अपने हज़ारों समर्थकों के साथ अनशन की शुरुआत की थी । हालांकि शाम होते-होते ही अनशन को लेकर बाबा रामदेव और केंद्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था.।   जहां एक ओर केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव पर समझौते के बावजूद अनशन को जारी रखने का आरोप लगाया वहीं बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार पर अफवाहें फैलाने और उनके साथ धोखा करने का आरोप लगाया । शाम को ही केंद्र सरकार अपने बयान में तल्ख नज़र आने लगी थी. सरकार का कहना था कि बाबा रामदेव अपने वादे से मुकरे और उन्होंने समझौते के बावजूद अनशन को जारी रखा । इससे पहले अनशन की शुरुआत के साथ ही विवादों का सिलसिला शुरू हो गया था।
रातो रात खाली हो गया पंडाल जहाँ सो रहे थे हजारों आम लोग 
चित्र  कुछ बोल रहे हैं…
चित्र  कुछ बोल रहे हैं…
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चित्र  कुछ बोल रहे हैं…
चित्र  कुछ बोल रहे हैं…
चित्र  कुछ बोल रहे हैं…
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मई 19, 2011

Cabinet approves caste and BPL census / देश में जाति आधारित जनगणना को मंत्रिमंडल ने दी हरी झंडी




केंद्र सरकार ने जाति, धर्म और आर्थिक स्थिति के आधार पर जनगणना के प्रस्ताव को आज गुरुवार 19मई2011 को हरी झंडी दे दी। आजादी के बाद पहली बार ऐसी जनगणना होने जा रही है । इससे गरीबी रेखा के नीचे तथा उसके ऊपर जीवनयापन कर रहे लोगों और उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गई।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जनगणना के लिए सर्वेक्षण जल्द ही शुरू हो जाने की उम्मीद है। जाति तथा धर्म के बारे में जानकारी से इस बात के मूल्यांकन में मदद मिलेगी कि सामाजिक तथा धार्मिक पृष्ठभूमि के कारण देश के बहुत से नागरिकों के लिए आर्थिक अवसर कहां तक सीमित होते हैं।
जनगणना करने वाले कर्मचारी लोगों के बीच धर्म और जाति से संबंधित प्रश्नावली बांटेंगे । लोगों को सिर्फ दो सवालों के जवाब देने होंगे कि उनकी जाति क्या है और उनका धर्म क्या है? लेकिन गरीबी रेखा के संबंधित सवाल पर कई प्रश्न पूछे जाएंगे, जैसे- परिवार के सदस्यों की संख्या, रोजाना की आय तथा खर्च।
गरीबी से संबंधित जनगणना इससे पहले 2002 में कराई गई थी, लेकिन जाति और धर्म को जनगणना में पहली बार शामिल किया जा रहा है। यह गणना जून से शुरु हो कर दिसम्बर 2011 तक पूरी की जायेगी ।


Approvel of caste and BPL census is wrong step of Cabinet 
देश में जाति आधारित जनगणना , मंत्रिमंडल का गलत कदम , देश नुकसान उठाएगा ! 

भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में जाति, धर्म और आर्थिक स्थिति के आधार पर जनगणना कराना आत्मघाती कदम है , समय इसे प्रमाणित करेगा । यह एक ओर जहाँ राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित है तो वहीं दूसरी ओर नेताओं के मानसिक दिवालियेपन परिचायक है ।
विकास एक बहाना है । अब तक इस देश मे किसी भी योजना का ठीक-ठीक क्रियान्वयन नहीं हो सका है , कदम कदम पर केवल बदनियति ही झलकती दिखी है , इस गणना के बाद नया क्या और किनके सहारे कर लेगी कोई भी सरकार ? प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति भी इस देश की दुर्दशा और यहाँ व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त दिखता है , वह अपने एक मंत्री को नहीं  सम्हाल पाता है तो लाखों अधिकारियों - कर्मियों की क्या गारंटी ?इस गणना के परिणाम स्वरूप देश में वर्ग संघर्ष बढ़ेगा , राजनेता इसका लाभ लेते दिखेंगे ।
अराजकता और आतंक बढ़ेगा , सरकार पंगु साबित होगी ।देश , आजादी के 65 वर्षों बाद भी आज तक हिन्दु - मुसलमान के झगड़े से तो उबर नहीं पा रहा है , नये नये और झगड़ों की शुरूआत होगी ।देश का दुर्भाग्य ही है कि जब समूचा संसार जाति और धर्म से ऊपर उठ कर विकास के नित्य नये सोपान गढ़ रहा है तभी हम जिसे जाति - धर्म का कड़वा अनुभव भी है , उससे उबरना छोड़ इसकी खाई और गहरी करने चले हैं । यहाँ यह कहना कतई भी गलत नहीं होगा कि यह केन्द्र सरकार की सोची-समझी और ऐतिहासिक भूल साबित होगी । देश विरोध करने की ताकत नहीं रखता तो तैयार रहे भुगतने को । अंग्रेजों ने भारत में सन 1931 में कराई थी ऐसी ही जनगणना और नतीजा भारत - पाकिस्तान के रूप में समूचे विश्व के सामने है ।
जाति आधारित जनगणना का विरोध महात्मा गांधी सहित पंडित जवाहर लाल नेहरू , सरदार वल्लभ भाई पटेल यहाँ तक कि डॉ भीमराव अम्बेडर ने भी किया था । इतिहास और संसदीय दस्तावेज आज भी इस बात के साक्ष्य हैं कि - इनके समकालीन तमाम दिग्ग्ज कांग्रेसी और गैर कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया था । लेकिन दुर्भाग्य देखिए देश का कि उन्हीं के अनुयायी अब जब अपनी तमाम गलत नीतियों की वजह से राजनीति में चंहुओर पिटने लगे हैं तब उन्होंने फ़िर एक बार एक देश का बेड़ा गर्क करने वाला आत्मघाती हथकंडा अपनाया है । इसका विरोध राजनीति से ऊपर उठ कर जन-जन को करना चाहिए ।

मई 18, 2011

Political game in Noida - Is Rahul flip flops on Bhatta-Parsaul facts ? / गंदे - सड़े नेता देश को सड़ाने पर हैं आमदा !!!




खबर आई है कि भट्टा में रेप की बात कहकर बुरे फंस गये राहुल गांधी और बचाव में उतरी उनकी कांग्रेस पार्टी । लगता है इस देश के सारे नेता केवल और स्वार्थी और बुद्धिहीन हो कर ही जीना पंसंद कर रहे हैं । राहुल राजनीति में नया है , यदि उतावलेपन में ही उसने कोई जनहित की बात कह डाली तो नेता उस बात में जनता का नहीं , अपना नफ़ा-नुकसान ही देखते हैं , कितने शर्म की बात है यह ? अब भाजपा को यह लग रहा है कि कहीं राहुल की कही गई कोई बात सच साबित हो जाती है तो इसका फ़ायदा उसकी पार्टी को मिलेगा , ऐसा होने नहीं देना चाहिए चलो हल्ला मचाना शुरु करें । देखिए क्या हल्ला हो रहा है …

ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था। राहुल गांधी के इस आरोप से विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि बिना ठोस सुबूत बलात्कार का आरोप लगाकर राहुल गांधी ने गांव की महिलाओं का अपमान किया है। वहीं बैकफुट पर आई कांग्रेस ने सफाई दी है कि राहुल ने वही कहा, जो किसानों ने उन्हें बताया था।
सोमवार को किसानों के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद मीडिया के सामने आए राहुल ने गांव में महिलाओं के साथ बलात्कार का आरोप लगाया था। लेकिन समस्या ये है कि इस सनसनीखेज आरोप की अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है। अभी तक गांव की किसी महिला या परिवार ने इस सिलसिले में शिकायत नहीं की है। ऐसे में राहुल के दावे पर सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी ने राहुल के बयान को ग्रामीण महिलाओं का अपमान बताया है।

भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे भट्टा पारसौल के किसानों के बीच सबसे पहले पहुंच कर राहुल गांधी ने विरोधियों को पटखनी दे दी थी। अब कांग्रेस यूपी में इसका फायदा उठाने में जुटी है। राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि गांव में उन्होंने 70 फुट व्यास का राख का ढेर देखा था। राहुल ने राख में मानव हड्डियों के होने की आशंका जताई थी। हालांकि यूपी सरकार ने राहुल के दावों को बेबुनियाद बताया था। सरकार राख की फारेंसिक जांच भी करा रही है। जाहिर है, कांग्रेस बैकफुट पर है। लेकिन वो सरकार को चुनौती देने में जुटी हुई है। महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि राहुल ने वही बोला जो गांव वालों ने उन्हें बताया था। अगर आरोप गलत हैं तो राज्य सरकार जांच करा ले।
2012 के यूपी चुनावों के लिए कांग्रेस को खड़ा करने की कोशिश में जुटे राहुल को इस विवाद से झटका लगा है। हालांकि पार्टी राहुल के साथ खड़ी दिखने की कोशिश कर रही है, लेकिन राहुल के सलाहकारों पर सवाल तो उठने ही लगे हैं। राहुल ने भट्टा पारसौल गांव सबसे पहले पहुंचकर विरोधियों पर राजनीतिक बढ़त बनाई थी लेकिन उनके बयान ने पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है। सवाल ये है कि भरोसा किस पर किया जाए। बीजेपी, कांग्रेस या यूपी सरकार पर। जो भी हो इस मामले की सच्चाई जल्द से जल्द सामने आनी चाहिए।
ऐसा लगता है देश के सारे नेताओं ने मानों एक होकर इस बात की कसम खा रखी है कि भूल से भी  किसी नेता से कोई अच्छा काम होने नहीं देंगे । कांग्रेस ने अपने महासचिव राहुल गांधी के इस दावे का बचाव किया है कि ग्रेटर नोएडा के भट्टा परसौल गांव में राख के 74 ढेर मिले हैं जिनमें मानव अवशेष हैं। राहुल गांधी ने मायावती सरकार के खिलाफ जंग का एलान किया।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह मामले की जांच कराए। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने नई दिल्ली में पत्रकारों को बताया, "मीडिया में जो कुछ (राहुल गांधी के बयान के बारे में) आया है वह दुर्भाग्यपूर्ण है. कहीं उन्होंने 74 संख्या या 74 शवों का जिक्र नहीं किया है। राहुल गांधी ने यह कहा है कि एक जगह है जहां जगह पर 70 फीट के इलाके में राख का एक ढेर है जिसमें कुछ हड्डियां मिली हैं।"
सोमवार को राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की. किसानों के साथ राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को भट्टा परसौल गांव के जले हुए शवों, हड्डियों वाली राख और तहस नहस घरों के कुछ फोटो भी सौंपे। उनका कहना है कि राज्य सरकार के लोगों ने गांव में बलात्कार और स्थानीय लोगों पर और भी अत्याचार किए हैं। जमीन अधिग्रहण के मामले पर भट्टा परसौल में ग्रामीणों की सरकार की लोगों से झड़पें हुईं।
राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया है। बुधवार को उन्होंने वाराणसी में कहा कि कांग्रेस हर गांव में जाएगी और इस सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए संघर्ष करेगी. उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार कहती हैं कि भट्टा परसौल में सब ठीक हैं तो फिर वहां धारा 144 क्यों लगाई गई। अगर सब कुछ ठीक हैं तो लोग वहां से भाग क्यों रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक है तो फिर मामले की न्यायिक जांच के आदेश क्यों नहीं दिए जाते। स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच बहुत जरूरी है ताकि जिम्मेदारी तय की जा सके।"
द्विवेदी ने साफ किया कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पुलिस पर लगाए गए लोगों के आरोपों के बारे में बताया। उन्होंने यह बात राहुल गांधी के इस बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में कही कि पुलिस भट्टा परसौल और दूसरे मायावती भी पलटवार की तैयारी में हैं।
गांवों में महिलाओं का बलात्कार हुआ. उन्होंने कहा, "यह जांच का मामला है. इसकी जांच होनी चाहिए। अगर हड्डियां मिली हैं और पता लगाया जाना चाहिए कि वे किसकी हड्डियां हैं। और अगर महिलाओं पर अत्याचार हुए हैं और उन्हें पीटा गया है तो ऐसा क्यों हुआ।"
इस बीच उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस का समर्थन करते हुए जांच की मांग की है. पार्टी के मुताबिक इस बारे में केंद्र सरकार को मायावती की उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगनी चाहिए ।


मई 16, 2011

2G SCAM : PLEASE SHARE IF YOU CARE.




PLEASE SHARE IF YOU CARE.


1) CAG report on 2G scam identified three groups of


losses.
a) 102498 cr loss with 122 licenses,
b) 37154 cr dual tech,
c) 36993 cr below 6.3Mhz spectrum


2) CBI has been focusing only on the 122 new license


part (2007-08) of 2G scam. A.Raja, Kani., etc are from here.  :  )




3) Dual Tech Part:- Reliance-14 circles, Tata-19 circles &


others-2 circles,a 2G scam loss of Rs.37,154 cr are NOT


under CBI probe at present    : (


4) 2G scam's spectrum under 6.2MHz:- BSNL/MTNL,


Bharti, Vodafone and IDEA, totalling Rs.36,993 cr loss,


NOT under CBI investigation now    : (


Source: @DNA Newspaper.

मई 12, 2011

Binayak sen in Planing commission of India बिनायक सेन योजना आयोग में , बिफरे डॉ. रमन

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोन्टेक सिंह अहलूवालिया  के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह


डॉ बिनायक सेन 

डॉक्टर बिनायक सेन को भारत सरकार के योजना आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है । भारत सरकार के योजना आयोग ने माना है कि सामाजिक कार्यकर्ता और हाल में जेल से छूटे डॉक्टर बिनायक सेन का " बच्चों, खासकर आदिवासी बच्चों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम योगदान है। " इसी वजह से आयोग ने उन्हें उस स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया है जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए रणनीति तैयार करने में आयोग को सलाह देगी। सेन कुछ समय पहले तक नक्सलियों के कथित समर्थन करने और देशद्रोह के आरोप में छतीसगढ़ शासन द्वारा गिरफ़्तार कर रायपुर सेन्ट्रल जेल मे बंद किये गये थे। हाल ही में उन्हें
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है।
नियुक्ति महत्वपूर्ण क्यों  - 
बिनायक सेन की यह नियुक्ति इस मायने में काफी महत्वपूर्ण माना जा रही है कि छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार उन्हें अभी भी दोषी मानती है। वे आयोग की उस 40 सदस्यीय समिति के सदस्य होंगे जिसकी अध्यक्षता आयोग की सदस्य सईदा हामिद करेंगी। इस समिति में सेन बिलासपुर के जन स्वास्थ्य सहयोग – नामक गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित होंगे। इस समिति की पहली बैठक इसी महीने की 25-26 तारीख को होने की उम्मीद है।
समिति क्या देगी सलाह
आयोग के अनुसार यह समिति जिन प्रमुख बिंदुओं पर काम करेगी वह इस प्रकार है :
- ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदा स्थिति की समीक्षा कर सुधार की नई दिशाएं सुझाना।
-प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में प्रशासनिक सुधार के नए उपाय बताना ।
-कुपोषण, मातृ स्वास्थ्य जैसे कई अन्य संबंधित मामलों पर सुझाव देना॥
-12 वीं योजना के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह देना शामिल है।
छत्तीसगढ़ इलाके में आदिवासी बच्चों के कुपोषण के क्षेत्र में सेन ने महत्वपूर्ण काम किया है। आयोग को उनकी इस विशेषज्ञता का फायदा मिलेगा। सेन की नियुक्ति आयोग का सम्मिलित फैसला है।             – मोंटेक सिंह अहलूवालिया, उपाध्यक्ष, योजना आयोग
बिनायक सेन के सुझावों का फायदा स्वास्थ्य के क्षेत्र में 12वीं योजना की रूपरेखा तैयार करने में मिलेगा। समिति अपनी रिपोर्ट का मसौदा 30 सितंबर तक और अंतिम रिपोर्ट 31 अक्टूबर तक सौंप देगी। -सईदा हामिद, अध्यक्ष, स्वास्थ्य पर स्थायी समिति, योजना आयोग बिफरे रमन सिंह  -
सेन के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में संगीन मामले लंबित हैं। जिस पर देशदोह के आरोप लगे
हों, उसे स्वास्थ्य नीति पर सलाह देने वाली विशेषज्ञ समिति में शामिल कर केंद्र सरकार गलत
परिपाटी की शुरुआत कर रही है। – डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

फ़िल्म दिल्ली 6 का गाना 'सास गारी देवे' - ओरिजनल गाना यहाँ सुनिए…

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