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मध्य रात्रि मंच पर एकाएक मची अफ़रा तफ़री … |
देश की राजधानी में पाँच जून की आधी रात बाबा रामदेव के पंडाल में जो कुछ भी घटना घटी उसने दिल्ली में - देश में राज करने वालों की मंसा जाहिर कर दी है । ये सरकारें जन सामान्य के प्रति कितनी संवेदनशील हैं यह भी दिखा जब सो रहे हजारों लोगों पर रात दो बजे लाठियाँ बरसाईं गईं , अश्रुगैस के गोले छोड़े , महिलाओं बच्चों और बूढ़ो को पुलिसिया जूतों तले रौंदा गया , महिलाओं के साथ खुले आम बदसलूकी की गई । भ्रष्टाचार और अनाचार के खिलाफ़ लड़ी जाने वाली लड़ाई अब शायद इसी तरह दमित की जाती रहेगी , मानो लुटेरों की खिलाफ़त करने वालों की अब खैर नहीं। एक राजनीतिक आदेश ने पुलिस को इतना बल दिया कि दिल्ली पुलिस ने आधी रात रामलीला मैदान में भगदड़ मचा कर रातो रात लोगों को पंडाल से खदेड़ कर दम ही लिया । सियासतदारोम को जहाँ इस दुश्कर्म के लिए शर्म आनी चाहिए तो वहीं वे इसे पूरी बेशर्मी के साथ सही कार्यवाही निरूपित करने की कवायद करते देखे जा रहे हैं । क्या यही सही तरीका है शासन - प्रशासन का जनता के प्रति जवाबदेही का ? क्या गुनाह किया था आधीरात सो रही है जनता ने ? क्या नागरिक अधिकार खत्म कर दिये गये हैं ?
देख लिया अंग्रेजों की औलादों को …
दिल्ली के रामलीला मैदान पर आधी रात सो रहे हजारों अनशनकारियों पर पुलिस की लाठियाँ बरसाने का आदेश देकर और बाबा रामदेव , आचार्य बालकृष्ण सहित तमाम अन्य नेतृत्वकर्ताओं को अज्ञात स्थल पर ले जाकर दिल्ली में बैठी केन्द्र और दिल्ली राज्य की कांग्रेस सरकार ने यह साबित कर दिखाया है कि अपने लोगों पर शासन करने का उनका तरीका आज भी अंग्रेजियत से प्रेरित है ।
पंडाल में आग लगाना , सो रहे निर्दोष इंसानों ,महिलाओं - बच्चों - बुजुर्गों पर लाठी बरसाना कहाँ तक उचित है ? पाँच जून की सुबह कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रेस काफ़्रेंस में बाबा रामदेव पर तरह तरह के आरोप लगाये और उन्हें गलत आदमी बताया , क्या मैं यह जान सकता हूँ कि अब तक बाबा रामदेव की गलतियों के लिये उनके विरूद्ध आवाज समय रहते क्यों नहीं उठाई गई ? क्यों कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्रियों ने उनसे एयरपोर्ट पर और पाँच सितारा होटल में जाकर घण्टों बातचीत की ? क्यों एक गलत समझे जाने वाले बाबा और उनके महामंत्री आचार्य बालकृष्ण से लिखित आश्वासन लिया ? एक तरफ़ बाबा रामदेव को आप सिरे से खारिज करते हैं ठीक उसी वक्त उसी आदमी बाबा रामदेव को आपके ही दल के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और वरिष्ठ मंत्री (बकौल दिग्विजय सिंह) सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगा कर चर्चा क्यों करती है ??? क्या यह दोहरा चरित्र नहीं है कांग्रेस का ?
क्या अविभाजित मध्य प्रदेश की जनता दिग्विजय सिंह को नहीं जानती ? क्या उनके कार्यकाल को नहीं जानती ? क्या कभी अपने गिरेबान में झांकने का साहस करेंगे हमारे देश के नेता ? दिग्विजय सिंह कहते थे दो दिन पहले की ही बात है कि अगर कांग्रेस बाबा रामदेव से डरती होती तो उन्हें गिरफ़्तार कर लेती । अब क्या समझा जाय ? क्या डर गई कांग्रेस जो रातोरात उसे ऐसी बर्बर कार्यवाही करने प्रशासन का दुरुपयोग करना पड़ा ? है कोई जबाव दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसियों के पास ?
इस घटना ने एक बार फ़िर जलियाँवाला बाग की बर्बरतापूर्ण घटना की याद दिला दी है , शर्म आनी चाहिये ऐसी कथित आजादी पर और नेताओं के नाम पर अंग्रेज की ऐसी संतानों पर ।
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सो रहे लोगों को पंडाल से खसिट कर बाहर ले जाती दिल्ली पुलिस |
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मुख्य मंच पर लगाई आग |
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रातो रात खाली हो गया पंडाल जहाँ सो रहे थे हजारों आम लोग |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
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चित्र कुछ बोल रहे हैं… |
आजाद भारत की बदनुमा रूप यही तो है!
जवाब देंहटाएंयह सब सरकार की तबाही के चित्र हे, एक एक चित्र को देख कर खुन खोलता हे, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमगर दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को जो जवाब दिया है , वह आपके चित्रों से मेल नहीं खाता .
जवाब देंहटाएंभाई अशोक बजाज जी यह सब चित्र किससे मेल खाते हैं और किससे नहीं इसका फ़ैसला समय जरूर करेगा । शायद सुप्रीम कोर्ट से भी फ़ैसला करा दे समय । समय बड़ा बलवान होता है , यह तो आप मानेंगे ना ? कि यह भी नहीं ? आप तो सता से जुड़े लोग हैं सब जानते हैं कहाँ क्या और कैसे होता है । आग्रह है इंतजार कीजिएगा - धैर्य रखिएगा ।
जवाब देंहटाएंKAHI APKE BLOG PAR PARA THA KI APANE SAMVET SIKHAR KE SETH KO JAMIN DILVAYA AUR MAI APKE BIRADARI HU USKE BAD BHI MERE LIYE 5 RUPYE NAHI NIKALTE YAH ANYAY KYO
जवाब देंहटाएंSANJAY VARMA