लोकपाल बिल की मांग है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई भी मामले की जांच एक साल के भीतर पूरी की जाये। प्ररिक्षण एक साल के अन्दर पूरा होगा और दो साल के अन्दर अन्दर भ्रष्ट नेता व आधिकारियो को सजा सुनाई जायेगी । इसी के साथ ही भ्रष्टाचारियों का अपराध सिद्ध होते ही सरकार को हुए घाटे की वसूली की जाये। यह बिल एक आम नागरिक के लिए मददगार साबित होगा, क्योंकि यदि किसी नागरिक का काम तयशुदा समय सीमा में नहीं होता है तो लोकपाल बिल की मदद से दोषी अफसर पर जुर्माना लागायेगा और वह जुर्माना
शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में मिलेगा। इसी के साथ अगर आपका राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट आदि तय समय के भीतर नहीं बनता है या पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं करती है तो आप इसकी शिकायत लोकपाल से कर सकते है। आप किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की शिकायत लोकपाल से कर सकते है जैसे की सरकारी राशन में काली बाजारी, सड़क बनाने में गुणवत्ता की अनदेखी या पंचायत निधि का दुरूपयोग। और इसी तरह के जन हित के तमाम अन्य मामले ।लोकपाल के सदस्यों का चयन जजों, नागरिको और संवैधानिक संस्थायों द्वारा किया जायेगा। इसमें कोई भी नेता की कोई भागे दारी नहीं होगी। इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से, जनता की भागीदारी से होगी। सीवीसी, विजिलेंस विभाग, सी.बी.आई.का भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (ऐन्टी करप्शन डिपार्ट्मन्ट) का लोकपाल में विलय कर दिया जायेगा। लोकपाल को किसी जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने व मुकदमा चलाने के लिए पूर्ण शक्ति और व्यवस्था होगी।इस बिल के प्रति प्रधानमंत्री एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियो को 01 दिसम्बर 2010 को भेजा
गया था, जिसका अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. इस मुहीम के बारे में आप ज्यादा जानकारी के लिए www.indiaagainstcorruption.org पर जा सकते है. इस तरह की पहल से समाज में ना सिर्फ एक उम्दा सन्देश जाएगा बल्कि, एक आम नागरिक का समाज के नियमों पर विश्वास भी बढेगा। हर सरकार जनता को जवाबदेह है और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाना हर नागरिक का हक है।
बीते 40 सालों से यह बिल देश के नेताओं ने रोक रखा है , डरते हैं कि कहीं जनता का बनाया यह बिल उन भ्रष्ट नेताओं को सलाखों के पीछे न भेज दे ।
सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में हजारे ने आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, 'चूंकि प्रधानमंत्री ने लोकपाल बिल का स्वरूप तय करने के लिए नागरिक समाज के लोगों के साथ एक संयुक्त समिति गठित किए जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है, इसलिए पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा। यदि इस दौरान मेरी जिंदगी भी कुर्बान हो जाए तो मुझे इसका अफसोस नहीं होगा। मेरा जीवन राष्ट्र को समर्पित है।'
हजारे मंगलवार सुबह नौ बजे राजघाट गए और उसके बाद उन्होंने इंडिया गेट से जंतर-मंतर का रुख किया। जंतर-मंतर पर उन्होंने अपना उपवास शुरू किया।
अन्ना हजारे, स्वामी रामदेव, स्वामी अग्निवेश, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल आदि ने दिसंबर में प्राइम मिनिस्टर को पत्र लिखा था। पिछले महीने हजारे अपने साथियों के साथ पीएम, कानून मंत्री और कई बड़े अफसरों से मिले भी थे। पीएम ने उन्हें लोकपाल बिल पर समुचित कदम उठाने का भरोसा दिया था। एक कमेटी बनाने की बात भी की थी।
हजारे चाहते हैं कि उन्होंने लोकपाल बिल का जो ड्राफ्ट सरकार को दिया है, उसे उसी रूप में स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े, वकील प्रशांत भूषण और एक्टिविस्ट अरविंद केजरीवाल द्वारा तैयार इस ड्राफ्ट को मानने से पहले सरकार इस पर विचार-विमर्श करना चाहती है ।
आजादी की दूसरी लड़ाई… तैयार हो भाई !!!
अजादी की दूसरी लड़ाई लड़ी जा रही है । यह लड़ाई अब उन अपनों से है जिन्हें हमने भरोसे के साथ सत्ता पर बिठाया । इस भरोसे के साथ कि भारत को सोने की चिड़िया माना गया , तुम सब इसकी हिफ़ाजत करना , इसे स्वस्थ - तंदरुस्त - मजबूत रखना और आगे बढ़ाते रहना । लेकिन हमारे अपनों ने हमसे ही बेईमानी की , सोने की चिड़िया को सम्हालना छोड़ उसके सारे पंख ही भ्रष्टाचार की हमलावर - आक्रामक ऊंगलियों से नोच डाले । बेहद शर्मनाक काम किया , इतना ही नहीं इससे भी ज्यादा शर्मनाक काम तो वह किया कि देश की जनता को "बाहरी लोग" कह डाला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने । अर्थात सत्ता और उस बैठे नेता-अफ़सर अंदर के शेष देश बाहरी हो गया , ऐसी घिनौनी सोच तो अंग्रेजों की भी नहीं थी , जो विशुद्ध रूप से लूटने ही आये थे भारत को ! समय है एक जुट हो कर हम सब को , सारे देश को सड़क पर उतर कर भ्रट आचरण करने वालों को नेस्तनाबूत करने की । अपने देश को बचाने की । अन्ना हजारे एक ऐसे अखण्ड दीप क नाम है जो एक पवित्र उद्देश्य के लिए प्रज्जवलित हुआ है एक - एक दीप हमें भी बनना होगा तभी मिटेगा हमारे घर का अंधियारा , और तभी जगमगा उठेगा हमारा घर । लेकिन हमें अपने अपने घरों - दफ़्तरों - दुकानों से निकल कर सड़क पर आना होगा - आंदोलन में अपनी जीवंत भूमिका का निर्वाह कर होगा । यह ज्यादा जरूरी है । जय हिन्द - जय भारत ।
- आशुतोष मिश्र , रायपुर , छत्तीसगढ़ । संपर्क - 094242 02729.
कौन हैं अन्ना हजारे …
अन्ना हजारे का वास्तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है। 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना हजारे का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे, दादा फौज में थे। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। अन्ना के पुश्तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया. अन्ना के 6 भाई हैं।
परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया।
छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए. उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई. यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे। इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्तक 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा।
अच्छी जानकारी है यहाँ , भ्रष्टाचार के खिलाफ़ हम अन्ना हजारे के साथ हैं ।
जवाब देंहटाएंasan shabdo me behtar tarike si jan lokpal bill ko samjhaya gaya. dhanyavad.
जवाब देंहटाएंNice To think about future now.
जवाब देंहटाएंVande Matram, Jai Hindi, Anna Aage Bade Chalo Peeche Bharat hai
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