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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जून 15, 2010

नेतागिरी हमारे छत्तीसगढ़ की

छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना सन 2000 में की गई । बिना किसी प्रयास के आसानी से बन गया था यह राज्य । राज्य बनते ही राजनीति ने यहां नई करवट ली। दिल्ली से फ़रमान आया और अजीत जोगी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैढ़ गए । इन्फ़्रास्ट्रक्चर ड़व्लपमेंट के साथ - साथ शुरु हो गया, गोरी चमड़ी और काली चमड़ी वालों की पहचान का सिलसिला , बेहद दुर्भाग्यजनक बात यह थी की इस वर्णभेद की राजनीति की शुरुआत किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं अजीत जोगी ने की थी , इस बात को छत्तीसगढ़ की जनता अच्छी तरह से जानती है। समूचे प्रदेश मे भय का वातावरण बन गया था, अगड़े-सवर्णों में भय ज्यादा था और राजनीति से परे रहने वाले दूसरे लोग अचरज मे थे क्योंकि घर बैठे - बिठाए  ही ये बेचारे सवर्णों के दुश्मन कहे जा रहे थे । वैमनश्य का यह बीज गांव - गांव बोए जाने का प्रयास किया जा रहा था।  वो तो अच्छा हुआ की विधान सभा का चुनाव आ गया और तीसरी राजनैतिक पार्टी एन सी पी लेकर विद्याचरण शुक्ल चुनावी मैदान पर आ गये ।उनकी पार्टी ने 7% वोट हासिल किये एक सीट भी मिली लेकिन इस झगड़े में भारतीय जनता पार्टी को फ़ायदा हुआ ज्यादा सीटें जीत कर उसने अपनी सरकार बना ली।
लोगों ने मानो राहत की सांस ली । एक अध्याय समाप्त हुआ ।नई शुरुआत हुई ।
 भाजपा शासनकाल का पहला दौर प्रदेश मे सभी के लिए  मानो फ़ीलगुड़ का सा दौर रहा है।इसमें वो कांग्रेसी भी शामिल थे जिनकी जोगी काल में घोर उपेक्षा हुई थी। क्या जनता क्या नेता सभी खुश थे ,बद्लाव से । इसी बीच शुरु हो गया जमीन की दलाली का धंधा और खूब फ़लने-फ़ूलने लगा ,जिसका दौर अभी जारी है । इस धंधे ने यहां हमारे सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को प्रभावित किया ,अपनी ओर आकर्षित किया ।यहां से राजनीति ने फ़िर एक बार करवट बदली और जो करवट बदली की आज भी उसी करवट में नेताओं को राजनीति रास आ रही है। अब जनता जाये भाड में , फ़िर कौन सा अभी सामने कोई चुनाव है कि उसकी परवाह की जाए । अब तो हमारे यहां राजनीतिक इच्क्षा शक्ति से मॉल - शॉपिंग कॉम्प्लेक्स  बनते हैं , पुराने आशियाने उजाडे जाते हैं । जमीनें सरकारी हों या निजी उन पर बेधड़क कब्जे किये जाते हैं। और बेचारी बनी पुलिस भी वही करती जैसा इशारा होता है।  कुछ चुनिंदा सड़कें साल में दो-चार बार बनाई जातीं हैं ।भाजपा के जिला अध्यक्ष बहुत बडे बिल्डर हैं जैसी बडी बिल्डिंग वो बनना चाह्ते हैं बनतीं हैं। गृह निर्माण मण्डल  अब गरीबों के लिये नहीं वरन करोड़ों की कीमत के घर अमीरों के लिये बनाता है। हमारे प्रदेश का अधिकारी बेखौफ़ विदेश धूमने जाता है ,पत्रकार कुछ ना कहें इसलिये उन्हें भी विदेश के नाम पर बैंकाक- पटाया घुमाया जाता है। बदले हुए परिवेश मे अब हमारे यहां प्रतिष्पर्धा इस बात की है कि कितने कम समय मे कौन कितना ज्यादा कमा कर दिखा सकता है।किसके पास कितनी ज्यादा जमीन है ? इस प्रतिष्पर्धा में बिना किसी भेद-भाव के वर्तमान और पूर्व दोनो मन्त्री लगे हुए हैं।महाराष्ट्र में इन्वेस्ट करने में भी इन सभी की रुचि समान रूप से देखी जा सकती है।
यह सब जानकर कैसा लगा आपको ? बताईएगा ।

2 टिप्‍पणियां:

आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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