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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

नवंबर 28, 2010

क्यों कोई नहीं डरता जनता से ?


सुनने में उन्हें जरूर बुरा लग सकता है जो सरकार से या फ़िर सीधे पी डब्लु डी डिपार्टमेंट से जुड़े हैं , लेकिन सच तो यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के निवास से सीधे नया सर्किट हाऊस जाने वाली आधा किलोमीटर की नई बनी सड़क में चार जगह आपको लहर, उतार-चढ़ाव मिलेंगे । यहाँ शायद यह बताना भी जरूरी होगा कि मुख्यमंत्री का काफ़िला इस मार्ग से होकर दिन में कई मर्तबा गुजरता है , मंत्रालय से वापसी के लिए यही मार्ग तय किया जाता  है ।जब यह हाल मुख्यमंत्री  निवास के सामने की सड़क का हो सकता है तो सोचिए बाकि जगह काम कैसा होता होगा ? मुख्यमंत्री निवास से विधानसभा जाने वाला मार्ग की टायरिंग इससे पहले कई बार उखड़ चुकी है । हफ़्तों अखबारों के पन्ने रंगे रहे इनकी खबरों से । हर साल बनने वाली यह सड़क जिसके दोनो ओर नेता प्रतिपक्ष, मंत्रियों , मुख्य सचिव अन्य अधिकारियों के बंगले हैं वह उखड़ती है और किसी को कोई फ़र्क तक नहीं पड़ता । राज भवन के सामने  से सिविल लाइन जाने वाली  सड़क का हाल आप स्वंय  देख आईये ।  ठेकेदार का रुतबा कम नहीं होता , उसे और नए नए काम दिये जाते हैं । कभी लगता है कि  क्यों कोई नहीं डरता जनता से ? फ़िर लगता है, अब तो विभाग के मंत्री और सचिव ही बहुत नामी हैं , अब डर काहे का !!!

नवंबर 24, 2010

शर्म आनी चाहिए संघ और भाजपा को …

यह चित्र भारतीय जनता पार्टी के उस व्यक्ति का है  जो मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपने  बेटों को लाभ देने के लिए अपने राज्य में बडा जमीन घोटाले और अवैध खनन का आरोपी है । राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुडा है और संघ के कहने बाद भी इस्तीफ़ा देने को तैयार नहीं है । घोटाले की जमीन लौटा कर अपने आप को पाक-साफ़ बताने में लगा हुआ है । वहीं भाजपा हर छोटे - बडे मामले पर संसद में हंगामा खडा कर कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों कि खिलाफ़त करती इन्हीं दिनों रोज देखी जा सकती है । कैसी बेशर्मी आखिर यह ??? ये हैं  कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा जो यह  कहते हैं कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है।
आज भारतीय जनता पार्टी ने भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा पर लगे सारे आरोपों को नकारते हुए घोषणा की है कि वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे । पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने येदुरप्पा से हुई मुलाक़ात के बाद जारी बयान में इस फ़ैसले की घोषणा की है । उल्लेखनीय है कि बीएस येदुरप्पा पर भूमि आवंटन के मामले में गंभीर आरोप लगे हैं । आरोप है कि उनके परिवार पर एक खनन कंपनी को ज़मीन बेचने के बदले करोड़ों रुपए हासिल किए ।
हालांकि येदुरप्पा किसी भी तरह के घोटाले से से इनकार किया है । उनका कहना है कि जो पैसे उनके परिजनों को मिले वे ज़मीन बेचने से मिले और जब ज़मीन बेची गई तो उन्हें पता नहीं था कि जो ज़मीन ख़रीद रही है वो खनन कंपनी है। इन आरोपों के बीच कई दिनें से अटलकें लगाई जा रही थीं कि भाजपा बीएस येदुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा सकती है।इसी मामले पर चर्चा के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली बुलवाया था ।
यह कितने शर्म की बात है कि न हटा पाने की स्थिति में बुधवार 24 नबम्बर 2010 को  भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पिछले कई दिनों से येदुरप्पा पर आरोप लगाए गए थे लेकिन उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है । गडकरी ने अपने बयान में कहा है कि येदुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने रहेंगे । इस बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों की जाँच के लिए एक आयोग का गठन किया गया है और मुख्यमंत्री ने यह प्रस्ताव भी किया है कि संतुष्टि के लिए भाजपा को अपनी ओर से भी जाँच करनी चाहिए । यानि की अरोपी ही जाँच कराएगा या चाहे तो आरोपी की पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) जाँच करा ले । भला यह कैसी राजनीति है ? खास कर उनकी जो अपनी पूरी राजनीति केवल नैतिकता की दुहाई देकर ही करते आ रहे हैं । क्या यह घटना राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के दोहरे चरित्र को उजागर  ही नहीं बल्कि प्रमाणित भी  करती हैं ?

नवंबर 20, 2010

बढ़ रहा है भ्रष्टाचार और लालच , आप क्या सोचते हैं ???


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि देश में भ्रष्टाचार और लालच बढ़ रहा है। इससे उन मूल्यों को नुकसान पहुंच रहा है जिनके आधार पर आजाद भारत का उदय हुआ था।उन्होंने कहा कि भारत को अब ज्यादा कुशल सरकार की जरूरत है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 93वें जन्म दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में सोनिया गांधी ने कहा, देश की अर्थव्यवस्था भले ही बढ़ रही हो, लेकिन हमारे नैतिक मूल्य गिर रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि केवल बेहतर विकास अपने आपमें हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए, उससे ज्यादा जरूरी है कि हम कैसा समाज बनाना चाहते हैं और कैसे मूल्य उसमें डालना चाहते हैं। हाल ही 2जी स्पेक्ट्रम समेत सामने आए घोटालों के मद्देजनर सोनिया का यह बयान काफी अहम है। उनकी यह चिंता सरकार की भावी रणनीति की ओर संकेत करती है।
बहुत ही शर्म की बात है यह उन भारतीय नेताओं के लिए जो स्वयं को इस देश का हिमायती - देश भक्त कहते हैं । राजनीतिक पार्टी चाहे जो भी हो , राज्य कोई भी हो "भ्रष्टाचार और लालच" ने किसी को भी नहीं छोड़ा है । सच्चाई यही है, कोई स्वीकार करे न करे । इस बात पर गैर राजनीतिज्ञों -आमलोगों , सचमुच में बुद्धिजीवियों , देश भक्तों को चिंतन करना चाहिए । सामने आ कर ऐसे ढ़ोंगी नेताओं को उखाड़ बाहर फ़ेंकने की शुरुवात करनी चाहिए । समय जरूर लग सकता है पर नामुमकिन नहीं है ऐसा होना । किसी राष्ट्रीय पार्टी, वो भी कॉग्रेस जैसी पार्टी के अध्यक्ष का यह कहना कि - " देश में भ्रष्टाचार और लालच बढ़ रहा है। इससे उन मूल्यों को नुकसान पहुंच रहा है जिनके आधार पर आजाद भारत का उदय हुआ था। " बहुत  बड़ी बात है । आजादी के बाद स्वतंत्र हो कर हम शायद स्वछंद हो गये और अंग्रेजों से भी बदतर व्यवहार अपने ही देशवासियों के साथ किया । विकास का नाम लेकर लूटा अपनों को ही। क्या यही था आजाद भारत का सपना ?
आज एक अरसा हो गया एक सभ्य - अच्छा आदमी डरता है राजनीति में आगे आने से , क्यों ? आज बिना रिश्वत राशन कार्ड़ तक नहीं बन पा रहा है , यहाँ तक कि वार्ड़ मेम्बर बन जाने के बाद नेता की ईकाई बना व्यक्ति भी सीधे मुँह बात नहीं करता अपने ही मोहल्ले के अपने लोगों से ,क्यों ? स्कूल में हो या फ़िर अस्पताल दोनों ही जगह एडमिशन बिना रिश्वत नहीं हो पाता ,क्यों ?  पुलिस हो या फ़िर पत्रकार , सरकारी हो गैरसरकारी  कोई भी इससे अछूता नहीं दिख पड़ता है ।ऐसी तमाम बातें हैं , तमाम उदाहरण हैं जो हमारा चरित्र बयां करते हैं ।क्या ऐसा ही आजाद - बरबाद भारत सोचा था हमारे-आपके पुर्वजों ने ?   भ्रष्टाचार और लालच पर बातें और भी बहुत सी की जा सकतीं हैं लेकिन ऐसा कुछ भी नया  नहीं जिसे आप न जानते हों , आम आदमी  जिससे त्रस्त न हो ।
क्या अब वह समय निकट नहीं आ गया है जब  अच्छे लोग , ईमानदार लोग , सकारात्मक सोच के लोग , ऊंचे मनोबल वाले लोग राजनीति में पूरे मनोयोग से आयें  या अच्छे लोगों का समर्थन करें ,उनका मनोबल बढ़ाएं , देश के लिए - अपनी भावी पीढ़ी के लिए एक अच्छा वातावरण बनाने का प्रयास करें , लालची-भ्रष्ट लोगों को सींखचों के पीछे , जहां उनकी जगह होनी चाहिए वहीं भेजें । सम्मान जनक वातावरण में अपने देशवासियों को सिर उठा कर जीने का , निर्भय हो कर जीने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए ? क्या "नेता जी" शब्द को बदनाम करने वालों को सजा नहीं मिलनी चाहिए ? जिस सोनिया गांधी को विपक्ष विदेशी कहते नहीं थकता ,उसी सोनिया गांधी ने देश में त्याग और बलिदान की मिशाल पेश की और आज फ़िर उसी ने यह कहने का साहस भी किया है कि देश की अर्थव्यवस्था भले ही बढ़ रही हो, लेकिन हमारे नैतिक मूल्य गिर रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि केवल बेहतर विकास अपने आपमें हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए, उससे ज्यादा जरूरी है कि हम कैसा समाज बनाना चाहते हैं और कैसे मूल्य उसमें डालना चाहते हैं। कहाँ हैं और क्युँ दुबके बैठे हैं वे लोग जिनके पास मानो नैतिकता की ठेकेदारी है , देश भक्ति का टेंडर है । आईये उनकी सरकारों का भी हाल देखिए कि कैसे भ्रष्टाचार और लालच में आकण्ड डूबे हुए हैं उसके तमाम जिम्मेदार लोग ! सोनिया गांधी के कथन को  किसी दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सोचना-समझना चाहिए । सही समय आ गया है ,और इंतजार किस बात का करना होगा ? जरूरत है साहसिक कदम बढ़ाने की -कुछ कर दिखाने की ।

नवंबर 19, 2010

जमीन से जुड़े नेता - अधिकारी

महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों की कुर्सी  जमीन से ही उखड़-हिल गई ,जमीन विवादों से । इस खबर ने छत्तीसगढ़ के सत्ताधीशों को शायद चिंतित जरूर किया होगा । यहाँ के हमारे सत्तासीन और कुछ सत्ताच्युत लोग जमीन से काफ़ी गहरे तक जुड़े हैं । अगर जमीन से जुड़े नेताओं की कुर्सी जमीन से उखाड़ने का यही क्रम कुछ दिनों और जारी रहा और इसकी आँच हमारे प्रदेश तक पहुँची तो न जाने क्या होगा ? क्योंकि हमारे नेता कुछ ज्यादा ही जमीन से जुड़े हैं । इन्होने तो कभी सोचा भी नहीं था कि इतने बड़े राज्यों में जहाँ का मेनेजमेंट इतना तगड़ा हो वहाँ भी मुख्यमंत्री जैसों कि कुर्सी ऐसे मुद्दों पर जा सकती है , भला यह भी कोई मुद्दा है ? हमारे यहाँ तो यह खुल्ला व्यापार है, कोई भी कितना भी कर सकता है । अरे नेता ही नहीं हमारे यहाँ तो अधिकारीगण भी इस मामले में पीछे नहीं हैं । सच्चा सर्वे हो तो पता चल जायेगा किस किस ने किनके-किनके नाम पर कितनी हजार एकड़ जमीनें ले रखीं हैं । भाई - बाई , नाते-रिश्तेदार , नौकर-चाकर, दोस्त-यार, सबके नाम हैं जमीनें एक कांग्रेस नेता ने अपने क्षेत्र के तमाम मतदाताओं के नाम तमाम जमीनें -फ़्लैट्स खरीद रखा है । क्या होगा जब ऐसों पर गाज गिरेगी ? हम छत्तीसगढ़वासी तो भगवान से बस यही प्रार्थना करते हैं कि कभी हमारे यहाँ भी इंसाफ़ की नजरें करम हों । किसानों को उनकी जमीनें खेती के लिए वापस हो-विपक्ष अपने दायित्व को समझे -निभाने का साहस करे, केवल दिखावे का हंगामा खड़ा कर अपना मकसद न बनाए । आप भी कहें  "आमीन" ।

नवंबर 16, 2010

ईद मुबारक

ईद-उल-जुहा (बकरीद) इस्लाम धर्म में विश्वास करने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार इब्राहिम अपने प्रिय पुत्र को इसी दिन खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, यह  उन्की परीक्षा थी जिस खरे उतरने के बाद अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दिया । जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। मुबारकबाद कबूल करें ।

नवंबर 11, 2010

ठहरो , जरा रुको ; अभी मेरे शहर का विकास चल रहा है…


जी हाँ ,मेरा शहर अभी विकास के दौर से गुजर रहा है । यहाँ आसपास के हर खेत-खलिहान पाटे जा रहे हैं , शहर की हर झोपडी तोड़ी जा रही है , छोटे - छोटे बाजार उजाडे जा रहे हैं ,यहाँ खड़े होंगे बडे बाज़ार , बडे-बडे मकान जो शहर के विकास के साक्षी बनेंगे । न रहेगा कोई गरीब  ना रहेगी गरीबी मेरे इस शहर में । गरीब और गरीबी को हमेशा हमेशा के लिए हटा कर एक सुन्दर सा शहर सिंगापुर - बैंकाक जैसा शहर बनायेंगे इसे राज्य के आई ए एस  अधिकारी और नेता मेरे शहर को । भा ज पा का शासन है लिहाजा संस्कृति की रक्षा होगी , हर गली मोहल्ले का नाम बदल जाएगा । हर गली-चौराहे में कमल ही कमल खिलेगा । जगह जगह बस कमल विहार ही बनेगा । हर जगह जहाँ कहीं भी झोपड़ियाँ दिखेंगी तोड़ दी जाएंगी । उस जगह खिलेगा कमल । मुझे शर्म नहीं, गर्व है अपनी सरकारों पर , अपने प्रशासनिक अधिकारियों - नेताओं पर कि आज मेरे शहर का नाम सारा देश जानता है - कभी गंदगी के लिए तो कभी मंहगाई के लिए ,नेता और अधिकारियों की बेशुमार कमाई के लिए । कलकत्ता और मारवाड़ के बैंकों से लूट कर लाई गई मलाई के लिए । इटली ,मलेशिया , सिंगापुर , उड़ीसा , महाराष्ट्र और राजस्थान में लगाई गई छत्तीसगढ़ की गाढ़ी कमाई के लिए ।  ठहरो , जरा रुको । अभी मेरे शहर का विकास चल रहा है । मीडिया इस पर फ़िनीशिंग की मुहर लगा रहा है । नेता - अधिकारी बताते हैं -गरीब लुट रहे हैं - बर्बाद हो रहें हैं तो यह नीयति ही है उनकी । हम तो दे रहे हैं न दो - तीन रुपये में  चाँवल -सस्ती शराब , और क्या चाहता है यह गरीब ? हजारों रुपये दे रहे हैं न इसे ,इसकी जमीन के , खोल रहे हैं न इसकी जमीन पर कारखानें - खदानें , बना रहे हैं न इनकी खेतिहर बेकार जमीनों पर सुन्दर-सुन्दर मकान और दुकानें और क्या चाहिये इस 'गरीब' को ? देखिएगा देखते जाइयेगा इक दिन ऐसा भी आयेगा जब मेरे शहर को कोई भी न पहचान पाएगा , जगह-जगह जब वह नई -नई बुलंद ईमारतें ही पाएगा , चक्कर खाकर गिर जायेगा । और मेरा शहर विकसित हो जाएगा । ईमारतों की फ़सल यहाँ लहलहाएगी , गरीब और गरीबी कोषों दूर तक भी नजर नहीं आएगी । सच्चे भारत का सपना यहीं से साकार होगा , अन्य प्रदेशों का यह प्रदेश मॉडल आधार होगा । सच पूछें तो शायद ऐसे ही इस देश का उद्धार होगा । गांधी जी का सपना साकार होगा । गरीबी और गरीबों से रहित नव भारत का निर्माण होगा  - छत्तीसगढ़ इसका द्वार होगा ।

नवंबर 09, 2010

दीपावली

दीपावली का त्यौहार सभी ने मना लिया ,बधाइयाँ  । मुझे ऐसा प्रतीत हुआ इस वर्ष की दीपावली गत वर्ष की अपेक्षा कुछ ज्यादा इको फ़्रेण्डली रही । आतिश बाजी भी अपेक्षाकृत कम हुई , हरे-हरे केले के पेड़ो को काटा तो गया लेकिन खरीददारों ने तरजीह नहीं दी ,तभी जगह-जगह जहाँ से बिकते थे वहाँ ही बिना बिके पडे देखे गये। नकली खोये के भय ने भी अपना  काम किया ,घरों में बेसन-आटे की मिठाइयाँ -घर के बने नमकीन ज्यादा दिखे । बच्चों ने भी अपेक्षाकृत बडे बम कम ही फ़ोडे , आकाशिय फ़टाके कहीं ज्यादा चलाये । घरेलू सजावट में भी चायनिज रंगीन  बल्बों का अधिक्ता में प्रयोग किया गया हो ऐसा भी कहीं नहीं दिखा । अच्छा है जागरुकता आए । लेकिन वहीं दूसरी ओर शहर के हर बडे अखबारों ने जिन्होंने ढ़ेरों विज्ञापन पूरे हफ़्ते भर छापे थे उन्हें शायद मजबूरी में यह बताना पडा अपनी रिपोर्ट में कि राजधानी में करोड़ों का बर्तन , सोना-चाँदी , कपड़ा , आटोमोबाईल , फ़टाका बिका । बाज़ार बूम रहा । ये बाज़ार को बूम बताने वाले आंकड़े भी हर एक ने अपने-अपने ढ़ंग  से बताए ।  ऐसी रिपोर्ट को लेकर बाज़ार में तरह - तरह की चर्चाएं होतीं रहीं , खुद अधिकांश व्यवसायी हतप्रभ थे ।         संक्षेप में कुछ ऐसी रही इस बार की दीपावली ।

नवंबर 06, 2010





नवंबर 04, 2010

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं


                        


 
आईये एक - एक दीप जलाएं , अंध तमस भगाएं । उजियारा फ़ैलाएं ।                                                                            पूजा मुहूर्त  - शाम 06 : 46 से  रात्रि 08 : 10 के मध्य

फ़िल्म दिल्ली 6 का गाना 'सास गारी देवे' - ओरिजनल गाना यहाँ सुनिए…

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