लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
नवंबर 11, 2010
ठहरो , जरा रुको ; अभी मेरे शहर का विकास चल रहा है…
जी हाँ ,मेरा शहर अभी विकास के दौर से गुजर रहा है । यहाँ आसपास के हर खेत-खलिहान पाटे जा रहे हैं , शहर की हर झोपडी तोड़ी जा रही है , छोटे - छोटे बाजार उजाडे जा रहे हैं ,यहाँ खड़े होंगे बडे बाज़ार , बडे-बडे मकान जो शहर के विकास के साक्षी बनेंगे । न रहेगा कोई गरीब ना रहेगी गरीबी मेरे इस शहर में । गरीब और गरीबी को हमेशा हमेशा के लिए हटा कर एक सुन्दर सा शहर सिंगापुर - बैंकाक जैसा शहर बनायेंगे इसे राज्य के आई ए एस अधिकारी और नेता मेरे शहर को । भा ज पा का शासन है लिहाजा संस्कृति की रक्षा होगी , हर गली मोहल्ले का नाम बदल जाएगा । हर गली-चौराहे में कमल ही कमल खिलेगा । जगह जगह बस कमल विहार ही बनेगा । हर जगह जहाँ कहीं भी झोपड़ियाँ दिखेंगी तोड़ दी जाएंगी । उस जगह खिलेगा कमल । मुझे शर्म नहीं, गर्व है अपनी सरकारों पर , अपने प्रशासनिक अधिकारियों - नेताओं पर कि आज मेरे शहर का नाम सारा देश जानता है - कभी गंदगी के लिए तो कभी मंहगाई के लिए ,नेता और अधिकारियों की बेशुमार कमाई के लिए । कलकत्ता और मारवाड़ के बैंकों से लूट कर लाई गई मलाई के लिए । इटली ,मलेशिया , सिंगापुर , उड़ीसा , महाराष्ट्र और राजस्थान में लगाई गई छत्तीसगढ़ की गाढ़ी कमाई के लिए । ठहरो , जरा रुको । अभी मेरे शहर का विकास चल रहा है । मीडिया इस पर फ़िनीशिंग की मुहर लगा रहा है । नेता - अधिकारी बताते हैं -गरीब लुट रहे हैं - बर्बाद हो रहें हैं तो यह नीयति ही है उनकी । हम तो दे रहे हैं न दो - तीन रुपये में चाँवल -सस्ती शराब , और क्या चाहता है यह गरीब ? हजारों रुपये दे रहे हैं न इसे ,इसकी जमीन के , खोल रहे हैं न इसकी जमीन पर कारखानें - खदानें , बना रहे हैं न इनकी खेतिहर बेकार जमीनों पर सुन्दर-सुन्दर मकान और दुकानें और क्या चाहिये इस 'गरीब' को ? देखिएगा देखते जाइयेगा इक दिन ऐसा भी आयेगा जब मेरे शहर को कोई भी न पहचान पाएगा , जगह-जगह जब वह नई -नई बुलंद ईमारतें ही पाएगा , चक्कर खाकर गिर जायेगा । और मेरा शहर विकसित हो जाएगा । ईमारतों की फ़सल यहाँ लहलहाएगी , गरीब और गरीबी कोषों दूर तक भी नजर नहीं आएगी । सच्चे भारत का सपना यहीं से साकार होगा , अन्य प्रदेशों का यह प्रदेश मॉडल आधार होगा । सच पूछें तो शायद ऐसे ही इस देश का उद्धार होगा । गांधी जी का सपना साकार होगा । गरीबी और गरीबों से रहित नव भारत का निर्माण होगा - छत्तीसगढ़ इसका द्वार होगा ।
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एक दत्तक्क पुत्र ने अप्ने पिता से कहा- "भैया" पुरे प्रदेश मे मेरी फ़जीयत कर रहै है। पीता- बेते तेरे "भैया" और उस्की जनता से पन्गा तो ले लिया अपन ने। उपर से जिस काग्रेस को 7 साल से पाल रहे है वह भी आख दिखा रही है।
जवाब देंहटाएंहमने लोहा, कोयला, बिजली, नौक्रिया सब बेच दिया पर तुमहारे और उस बचचे अधिकरी के चक्कर मे मै लालच मे पड गया। जमिन कही हमे जमीन पर न ला दे, या शायद अपने अन्दर न समा ले।
आज हाइ कोउर्त मे 3 लाख प्रतिदिन पर दिल्ली की वकिल को रायपुर विकास प्राधिकरण ने खडा किया पर उसकी द्लील को कान न देते हुए उच्य नयायालय ने आर डी ए के खीलाफ़ चौथि याचिका भी सविकार कर ली। सबसे खतरनाक याचीका तो कनक तिवारी जी की लागने वाली है। जब पाचो याचीकाओ पर 3 दिस्म्बर को एक साथ सुनवाइ शुरु होगी और सरकार के एक-एक कर कपडे उतरेगे तब तब महाभारात का द्रौपदी कान्ड की याद ताजा होगी। JAI HO.
जवाब देंहटाएंअग्रेजो के जमाने मे नालायक/बेईमान लोगो को कोडे पड्ते थे। बद-दिमाग मन्त्री और नादान अफ़सर ने फ़रजी योजना का प्रचार, मुख्य मन्त्री के ज्न्म दिन पर लाखो के विग्याप्न दे कर तथा एक अख्बार को नोटीस देने के विग्यापन पर जनता का जो पैसा उडाया है। अगर आर डी ए हार गया तो पुरी रकम इन दुश्टो से वसुल होनी चाहिये और इन्हे जैस्तम्भ पर कोडे मारने चाहिये। ताकि आगे कोइ पागल/घमन्डी अफ़सर या नेता ऐसा दुस-साहस ना कर सके।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लेख देश की पूरी तस्वीर ही ब्यान कर दी हकीक़त को दर्शाती हुई बधाई दोस्त !
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा आपने ,यही सच्चाई है । सरकार इस सच्चाई से मुँह छिपाई है । आखिर ऐसा कब तक चलेगा । जन विरोध को हर सरकार को समझना ही पड़ेगा ।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा आपने,मैं आपसे सहमत हु |
जवाब देंहटाएंएक आर्किटेक्ट के नजरिये से देखो तो कुछ और लगेगा और एक
जवाब देंहटाएंभारतीय लोकतांत्रितक व्यवस्था में विपक्ष के नजरिये से देखने सब काल्पनिक बाते लगेगी पर वास्तविकता विपक्ष भलीभांति जनता है!
क्या गुजरात की कहानी कुछ ऐसी ही है ??