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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जून 12, 2011

लोग क्या चाहते हैं और क्या कर रही है सरकार ???




इस देश में मंहगाई की वजह से आम आदमी रोजमर्रा के जरूरी सामान जुटाने में ही मरा जा रहा है , खुद को तबाह होता , बर्बाद होता पा रहा है । मंहगाई और लूट का आलम यह कि शिक्षा - चिकित्सा - रोटी - पानी , मकान - दुकान सब कुछ धीरे धीरे आम आदमी के हाँथ से मानो फ़िसलता जा रहा है। जीवन में उसके लिए अब कुछ आसान नहीं रह गया है । मन मानो अधीर सा होता जा रहा है । इसी मर्म को महसूस कर आगे आए अन्ना हजारे और बाबा रामदेव का गला दबाने की कोशिश सिर्फ़ और सिर्फ़ इसलिए की जाने लगी क्योंकि ये किसी राजनीतिक दल सीधे सीधे कहें तो सत्तासीन कांग्रेस के नहीं हैं ! आरोप मढ़ने का प्रयास किया गया कि येRSS  और  BJP समर्थित हैं और देश का ध्यान मुख्य बात से हटाने का सुनियोजित और असफ़ल प्रयास भी किया गया । इसमें कहीं कोई शक नहीं कि कांग्रेस के इन गंदे प्रयासों के चलते आम जनता उससे नाराज है , यहां तक की स्वयं कांग्रेस में भी तमाम वरिष्ठ जन अपनी पार्टी की हरकतों से नाराज बैठे हैं , एक्का-दुक्का बयान भी आ रहे हैं । इस देश के असंखय लोग जो चाहकर भी धरना - प्रदर्शन या आन्दोलन के लिए समय नहीं निकाल सकते वे सभी अपनी ताकत अन्ना और बाबा रामदेव को दे रहे थे तन नहीं तो मन और धन से , जो बात कांग्रेस को बहुत जोर से खटकने लगी और उसने अपने चिरपरिचित अंदाज में दांव खेला जिसमें उसका बच्चा - बच्चा माहिर है । अब दौर शुरु हो गया है अपने अपने काले - पीले धन को मैनेज करने का , यहाँ - वहाँ शिफ़्ट करने का , जिसके चलते हर बड़ा कहा जाने वाला आदमी - नेता विदेशों के फ़ेरे ले रहा है , अपने-अपने विश्वस्थों - रिश्तेदारों को इसी काम से भेज रहा है । जब यह काम पूरा हो जायेगा तब होगी घोषणा कालेधन को लेकर । तब तक दमनचक्र चलता रहेगा । केन्द्र हो या फ़िर कोई भी राज्य सभी जगह सता पक्ष मनमानी कर रहा है और वहाँ का विपक्ष उसमें जगह देख कर अपनी - अपनी रोटियाँ भी सेंक ले रहा है । जनता यह सब कुछ देख भी रही है और समझ भी रही है ।  व्यवस्था में सुधार और समस्याओं के समाधान के लिए केन्द्र सरकार ने तमाम समितियों का एक ऐसा घना सा जाल बुना जिसमें तेजतर्रार समझे जाने वाले विपक्षी नेता भी उलझे हुए हैं ।  केन्द्र सरकार शयाद इस भ्रम में है कि मौजुदा व्यवस्था में किसी भी तरह का बदलाव  या बड़े सुधार की तो नौबत ही नहीं आयेगी । केन्द्र को न तो मंहगाई का मुद्दा दिखता है और न ही कहीं भ्रष्टाचार या कालेधन का कोई मुद्दा दिखता है , दिखे भी कैसे आखिर यह सब उपज भी तो उसी के लोगों के प्रयासों का नतीजा है ! सरकार यह समझने की भूल कर बैठी है कि रामलीला मैदान में बैठे 50 - 60 हजार की भीड़ क्या है भला , उसके साथ तो देश की सवा अरब जनता है , उसे भला किस बात की चिंता ! अन्ना या बाबा तो नाम हैं उन करोड़ों लोगों का जो इस देश में चोतरफ़ा मची लूट से राहत चाहते हैं , यह भी सही है कि अब लोगों को नेताओं और उनकी पार्टियों पर भी भरोसा नहीं रह गया है । यही कारण है कि हम सभी किसी सर्वमान्य गैरराजनीतिक नैतृत्व की तलाश में अब भी भटक रहे हैं ।

हे  राम…

जून 06, 2011

प्रजातंत्र बनाम तानाशाही …


मध्य रात्रि मंच पर एकाएक मची अफ़रा तफ़री …


देश की राजधानी में पाँच जून की आधी रात बाबा रामदेव के पंडाल में जो कुछ भी घटना घटी उसने दिल्ली में - देश में राज करने वालों की मंसा जाहिर कर दी है । ये सरकारें जन सामान्य के प्रति कितनी संवेदनशील हैं यह भी दिखा जब सो रहे हजारों लोगों पर रात दो बजे लाठियाँ बरसाईं गईं , अश्रुगैस के गोले छोड़े , महिलाओं बच्चों और बूढ़ो को पुलिसिया जूतों तले रौंदा गया , महिलाओं के साथ खुले आम बदसलूकी की गई । भ्रष्टाचार और अनाचार के खिलाफ़ लड़ी जाने वाली लड़ाई अब शायद इसी तरह दमित की जाती रहेगी , मानो लुटेरों की खिलाफ़त करने वालों की अब खैर नहीं। एक राजनीतिक आदेश ने पुलिस को इतना बल दिया कि दिल्ली पुलिस ने आधी रात रामलीला मैदान में भगदड़ मचा कर रातो रात लोगों को पंडाल से खदेड़ कर दम ही लिया । सियासतदारोम को जहाँ इस दुश्कर्म के लिए शर्म आनी चाहिए तो वहीं वे इसे पूरी बेशर्मी के साथ सही  कार्यवाही निरूपित करने की कवायद करते देखे जा रहे हैं । क्या यही सही तरीका है शासन - प्रशासन का जनता के प्रति जवाबदेही का ? क्या गुनाह किया था आधीरात सो रही है जनता ने ? क्या नागरिक अधिकार खत्म कर दिये गये हैं ?
देख लिया अंग्रेजों की औलादों को …
दिल्ली के रामलीला मैदान पर आधी रात सो रहे हजारों अनशनकारियों पर पुलिस की लाठियाँ बरसाने का आदेश देकर और बाबा रामदेव , आचार्य बालकृष्ण सहित तमाम अन्य नेतृत्वकर्ताओं को अज्ञात स्थल पर ले जाकर दिल्ली में बैठी केन्द्र और दिल्ली राज्य की कांग्रेस सरकार ने यह साबित कर दिखाया है कि अपने लोगों पर शासन करने का उनका तरीका आज भी अंग्रेजियत से प्रेरित है ।
पंडाल में आग लगाना , सो रहे निर्दोष इंसानों ,महिलाओं - बच्चों - बुजुर्गों पर लाठी बरसाना कहाँ तक उचित है  ? पाँच जून की सुबह कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रेस काफ़्रेंस में बाबा रामदेव पर तरह तरह के आरोप लगाये और उन्हें गलत आदमी बताया , क्या मैं यह जान सकता हूँ कि अब तक बाबा रामदेव की गलतियों के लिये उनके विरूद्ध आवाज समय रहते क्यों नहीं उठाई गई ? क्यों कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्रियों ने उनसे एयरपोर्ट पर और पाँच सितारा होटल में जाकर घण्टों बातचीत की ? क्यों एक गलत समझे जाने वाले बाबा और उनके महामंत्री आचार्य बालकृष्ण से लिखित आश्वासन लिया ? एक तरफ़ बाबा रामदेव को आप सिरे से खारिज करते हैं ठीक उसी वक्त उसी आदमी बाबा रामदेव को आपके ही दल के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और वरिष्ठ मंत्री (बकौल दिग्विजय सिंह) सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगा कर चर्चा क्यों करती है ??? क्या यह दोहरा चरित्र नहीं है कांग्रेस का ?
 क्या अविभाजित मध्य प्रदेश की जनता दिग्विजय सिंह को नहीं जानती ? क्या उनके कार्यकाल को नहीं जानती ? क्या कभी अपने गिरेबान में झांकने का साहस करेंगे हमारे देश के नेता ? दिग्विजय सिंह कहते थे दो दिन पहले की ही बात है कि अगर कांग्रेस बाबा रामदेव से डरती होती तो उन्हें गिरफ़्तार कर लेती । अब क्या समझा जाय ? क्या डर गई कांग्रेस जो रातोरात उसे ऐसी बर्बर कार्यवाही करने प्रशासन का दुरुपयोग करना पड़ा ? है कोई जबाव दिग्विजय सिंह  जैसे कांग्रेसियों के पास ?
इस घटना ने एक बार फ़िर जलियाँवाला बाग की बर्बरतापूर्ण घटना की याद दिला दी है , शर्म आनी चाहिये ऐसी कथित आजादी पर और नेताओं के नाम पर अंग्रेज की ऐसी संतानों पर  ।

सो रहे लोगों को पंडाल से खसिट कर बाहर ले जाती दिल्ली पुलिस
इससे पहले देर रात की घटना -

मुख्य मंच पर लगाई आग 
दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन को अभी एक रात भी नहीं बीती थी कि पूरे आयोजन ने एक अति-नाटकीय मोड़ ले लिया।दिल्ली पुलिस ने देर रात रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन पंडाल को चारों ओर से घेरे में ले लिया. इससे पहले बाबा रामदेव की अनशन करने की अनुमति को रद्द कर दिया गया। उधर रामलीला मैदान में मौजूद बाबा रामदेव के समर्थकों ने पंडाल के मंच और बाकी स्थानों को घेर लिया और बाबा के बचाव में उनके समर्थक पुलिस से आमने-सामने उतर आए। इस दौरान पंडाल के एक हिस्से में आग लगने की खबर से अफरातफरी मच गयी. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि यह आग शायद पुलिस द्वारा लगायी गयी हो. देखते ही देखते स्थिति बेकाबू हो गयी. इस दौरान पुलिस ने थोड़ा बल प्रयोग भी किया और आंसूगैस के गोले भी छोड़े. इस पूरे माहौल के बाद से बड़ी तादाद में रामदेव समर्थकों को पंडाल छोड़कर भागना पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वहां का नजारा जलियावाला बाग घटना से मेल खाता था. यह देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा था कि देश आजाद हो चुका है ।  भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव ने चार जून से दिल्ली में अपने हज़ारों समर्थकों के साथ अनशन की शुरुआत की थी । हालांकि शाम होते-होते ही अनशन को लेकर बाबा रामदेव और केंद्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था.।   जहां एक ओर केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव पर समझौते के बावजूद अनशन को जारी रखने का आरोप लगाया वहीं बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार पर अफवाहें फैलाने और उनके साथ धोखा करने का आरोप लगाया । शाम को ही केंद्र सरकार अपने बयान में तल्ख नज़र आने लगी थी. सरकार का कहना था कि बाबा रामदेव अपने वादे से मुकरे और उन्होंने समझौते के बावजूद अनशन को जारी रखा । इससे पहले अनशन की शुरुआत के साथ ही विवादों का सिलसिला शुरू हो गया था।
रातो रात खाली हो गया पंडाल जहाँ सो रहे थे हजारों आम लोग 
चित्र  कुछ बोल रहे हैं…
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फ़िल्म दिल्ली 6 का गाना 'सास गारी देवे' - ओरिजनल गाना यहाँ सुनिए…

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