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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

नवंबर 10, 2011

अन्ना को गाली …



मेरे एक परिचित इंजीनियर की पत्नि अन्ना हजारे को उल्टा सीधा बके जा रहीं थी । मैंने पूछा आखिर बात क्या है ? आप यहाँ रायपुर में बैठ कर अन्ना हजारे को बुरा-भला कहे जा रहीं हैं , उन्होने आपका क्या नुकसान कर दिया है ? इंजीनियर की पत्नि ने कहा - देखो न भईया , अन्ना कहतें भ्रष्टाचार को रोको , अरे हमारा घर कैसे चलेगा - बच्चों का क्या होगा ? मैंने कहा भैया तो 30 - 35 हजार वेतन पाते हैं आपका अपना घर हैं और हाऊस रेंट भी आप को मिलता है । आपकी कार में पैट्रोल भी सरकारी ही डलता है , ऊपरी का कोई हिसब नहीं फ़िर भी आप एक नेक विचार को कोस रहीं हैं । बड़ी ही बेशर्मी के साथ और बेझिझक होकर उन्होंने कहा - अच्छा होता बुड्ढा मर जाता तो … आप नहीं समझोगे । कहते हुए अपने घर रवाना हो गईं । सोचिए यह तो हाल इस देश के उन लोगों और उनके परिवारजनों का जो भ्रष्टाचार पसंद ही नहीं बल्कि उसमें आकण्ठ डूबे हैं । गौरतलब बात यह भी है कि ये इंजीनियर साहब हर साल - दो साल में भ्रष्टाचार कर अपना नाम - काम पेपर की सुर्खियों में ला कर सस्पेंड हो जाते हैं , अभी भी सस्पेंड चल रहे हैं ।

बड़ा कौन …?



प्रबोधिनी एकादशी (रविवार 06 नवंबर 2011) की पूजा के फ़ल-फ़ूल लेने बाज़ार गया , यहाँ कमल के फ़ूल भी बिकते देख खरीदने गया , करीब 35 - 40 फ़ूल और पूजा में लगने वाले बेर , शकरकंद , अमरूद , सीताफ़ल , कुछ भाजी आदिपूजन सामग्री लेकर बेचने बैठी फ़ूल बेचने वाली वृद्ध महिला ने तीन फ़ूल के दाम 10/- (दस रुपये) बताए , जब मैं चुप था उसे लगा मैं नहीं खरीदुंगा तभी उसने कहा - ले बाबू चार ले जा , चल पाँच ले ले । मैं हत्प्रभ और खुश था उसकी इस सरलता पर , आर्थिक रूप से मुझसे मुझ जैसे करोड़ों - अरबों लोगों से कम सक्षम वह महिला सचमुच कितनी बड़ी और विशाल हृदय की धनी थी । कमल का फ़ूल रायपुर जैसे बड़े शहर में दुर्लभ है , वह चाहती तो दस रूपये में एक भी बोल सकती थी और लेने वाले लेते । उस सरल - सहज , भोले स्वभाव में उसका देवतुल्य बड़प्पन दिखा । किसी भी बड़े व्यापारी से ज्यादा बड़प्पन मिला । समझ आया कौन है सचमुच " बड़ा " ।

माँ..

 
माँ...
तू ही तू है मेरी जिन्दगी ।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी ।।

मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू,
इक हकीकत भी हो और किताबों में तू।
तू ही तू है मेरी जिन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूँ मैं यहाँ।
प्यार की झिरकियाँ और कभी दिल्लगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

तेरी ममता मिली मैं जिया छाँव में।
वही ममता बिलखती अभी गाँव में।
काटकर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूँ शायद ये किस्मत मेरी।
है सुमन का नमन माँ हृदय से तुझे,
सदा सुमिरूँ तुझे हो ये आदत मेरी।
बढ़े अच्छाईयाँ दूर हो गन्दगी।
क्या करूँ माँ तेरी बन्दगी।।

- श्यामल सुमन

फ़िल्म दिल्ली 6 का गाना 'सास गारी देवे' - ओरिजनल गाना यहाँ सुनिए…

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