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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

दिसंबर 31, 2010

शुभ कामनाएं …


सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।
सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु॥
सब लोग कठिनाइयों को पार करें। सब लोग कल्याण को देखें। सब लोग अपनी इच्छित वस्तुओं को प्राप्त करें। सब लोग सर्वत्र आनन्दित हों
और ...
सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद्‌ दुःखभाग्भवेत्‌॥
सभी सुखी हों। सब नीरोग हों। सब मंगलों का दर्शन करें। कोई भी दुखी न हो।

दिसंबर 30, 2010

धन्य हो गया छत्तीसगढ़ अपने इन नेताओं से…



अब तक आपने सुना होगा बैंक के रिकवरी एजेंट क्लाइंट से जबरिया पैसा वसूल करते हैं । इस मामले को लोगों ने सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया और सुप्रीम कोर्ट ने सभी बैंकों को इस आशय के निर्देष दिये कि जबरिया या दादागिरी के तौर तरीके गलत ही नहीं गैर कानूनी भी हैं ऐसा करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए । किसी भी ॠण की वसूली कानूनी प्रावधान के अन्तर्गत ही की जानी चाहिए , इसके बाद से बैंकों ने थोड़ी नरमी के साथ काम करना शुरु किया । लेकिन यहाँ छत्तीसगढ़ में अभी भी हालात बदतर ही हैं बैंक तो बैंक यहाँ तो सरकारी महकमा भी प्रायवेट गुण्डो का सहारा नियम बना कर ले रहा है । यह अफ़सोस जनक हाल किसी और का नहीं बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का विभाग (बिजली/सी एस ई बी) कर रहा है , वह भी केवल आम नागरिकों के साथ ,जिनका बिजली बिल कुछ दो-चार सौ रुपये का बकाया रह जाता है , उनके साथ , आम लोगों के साथ हो रही इस सरकारी गुण्डागर्दी की खबरें अब बकायदा शहर के अखबार छापने लगे हैं । लेकिन सरकारी महकमें को ऐसी खबरों से कोई फ़र्क नहीं पड रहा है । जिन लोगों ने भी किसी भी कारण से दो -तीन माह से अपना बिजली बिल नहीं जमा कराया ऐसे लोगों के घर दादागिरी करने वालों की , बिजली काटने वालों की एक टीम आ धमकती है , वसूली के लिए बकायदा चमकाती- धमकाती है और बिजली के सर्विस वायर को कहीं से भी काट कर चलते बनती है , मतलब जो कर सकते हो कर लो , जितना बिल दिया है पटाना ही होगा ,भले ही वह एक काम वाली बाई के दो कमरों के घर का बिल ग्यारह हजार रुपया हो , या फ़िर किसी पान की दुकान वाले का एक माह का बिल सोलह हजार रुपया आया हो , नहीं पटाया तो लाईन काटी जायेगी , वह भी दादागिरी से । गलत बिलिंग क्यों होती है ? इसके लिए दोषी कौन हैं ? दोषियों के लिए कोई सजा का प्रावधान भी है क्या ? इसका कोई जवाब नहीं है सरकार के पास । सच पुछें तो तानाशाही जैसा माहौल है यहाँ सरकारी महकमों में , और विभाग यदि माननीय मुख्यमंत्री जी का है तो फ़िर क्या कहनें । कोई कुछ नहीं कह सकता । आम जनता का बुरा हाल है । वहीं दूसरी ओर बड़े कारखानों या उन बड़े लोगों का जिनका बिजली बिल लाखों-करोड़ो रूपयों में बकाया है , उनकी लाईनें काट्ना तो दूर उनकी ओर कोई नजर उठा कर भी नहीं देखेगा । अकेले राजधानी रायपुर में लगे उद्योगों -अन्य कारोबारियों का हजारों करोड़ रुपयों का बिजली बिल बाकी है , मंत्रियों बड़े अधिकारियों के बंगलों इनके निजी आवासों का करोड़ों रूपयों का बिजली बिल बाकी है , किसी की हिम्मत नहीं है बकाया का कागज भी देने की , दादागिरी सिर्फ़ औए सिर्फ़ आम आदमी के साथ , गरीब और निरीह लोगों के साथ होती देखी जा सकती है । समूचे प्रदेश का यह हाल है कि जिन लोगों के यहाँ  ए सी चलते हैं उनके यहाँ उनकी इच्छानुसार - सुविधानुसार बिजली का बिल आता है , सारी सेटिंग घर बैठे हो रही है और जिनके घरों एक पंखा या कूलर है वह मजबूर है हजारों में बिल पटाने को ।
इससे भी बड़ी विड़म्बना यहाँ यह है कि जनता के बीच से निकल कर नेता और मंत्री बने स्वनामधन्य लोग यह भूल जाते हैं वो क्या हैं ? क्यों हैं ? और कितने दिनों के लिए हैं ? कुर्सी पाते ही ऐसे लोग अधिकारियों के हाँथों खेलना शुरु हो जाते हैं । अधिकारी इनकी जी हुजूरी नहीं बल्कि ये अधिकारियों की जी हुजूरी करते नजर आते हैं । कहने में खराब जरूर लगता है पर यहाँ सच्चाई यही है । सभी विभागों का मानो यही हाल है  - "अंधा बांटे रेवड़ी - चीन्ह चीन्ह के दे ।" क्या होगा छत्तीसगढ़ का ?

दिसंबर 26, 2010

कर्ज में डूबे पिता ने तीन बच्चों सहित खुद को लगाई आग

 यह घटना घटी , अखबारों में छपी , लोगों ने पढ़ा और भूल गए । शासन - प्रशासन मौन ! क्योंकि उसकी नजर में यह सामान्य या फ़िर रोज घटने वाली घटना है और शायद शासन - प्रशासन की प्राथमिकता सूची में यह विषय नहीं है । सच ही है 'मर्म' से नहीं 'माल' से चल रहा है छत्तीसगढ़ का शासन ।
कोई माने ना माने पर हकीकत यही है कि प्रदेश में अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है , गरीबों की जमीनें जबरिया खरीदी जा रही है ,कर्ज देने वालों का जंजाल बुरी कदर फ़ैला हुआ है , इस पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है ,रोज मरते हैं कर्ज में लोग लेकिन शासन की बला से । क्योंकि कर्जदाताओं के लम्बें हाँथ नेताओं के गिरेबाँ तक जो हैं ।
पढ़िए हाल की ही एक घटना ---
रायपुर । कर्ज में डूबे राजधानी रायपुर के एक राजमिस्त्री ने शुक्रवार 24दिसम्बर की रात को अपने तीन बच्चों सहित खुद भी आग लगा ली। चारों को अम्बेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ दो बच्चों ने दम तोड़ दिया , एक बच्ची सहित बाप  जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। जिनकी हालत बेहद चिंता जनक बताई जाती है ।
बजरंग चौक आजादनगर रावांभाठा निवासी गब्बर (37) राजमिस्त्री है। रात करीब साढ़े आठ बजे उसने मिट्टी तेल डालकर दस वर्षीय बेटी श्वेता, आठ वर्षीय प्रिया और दो वर्षीय मयंक को आग लगा दी। इसके बाद खुद भी मिट्टी तेल डालकर आग लगा ली। चीखें सुनकर पत्नी सुनीता पड़ोसियों के साथ घर पहुंची। पड़ोसियों ने आग बुझाई और उन्हें अस्पताल पहुंचाया। 
सुनीता का कहना है कि 11 दिन पहले उसकी डिलीवरी के लिए गजानन ने कर्ज लिया था। अभी वह 15 हजार रूपए के कर्ज में डूबा हुआ था। इससे वह चिड़चिड़ा हो गया। शुक्रवार रात को काम से लौटा तो सुनीता से उसका विवाद हो गया। उसने सुनीता को बच्चों को लेकर मायके जाने के लिए कहा। सुनीता 11 दिन के बच्चे को लेकर घर से चली गई। इसके बाद गजानन ने तीन बच्चों और खुद को आग लगा ली। 
गुस्से में उठाया कदम
टीआई खमतराई विरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि गजानन शराब का आदी था। शुक्रवार रात भी वह नशे में धुत घर पहुंचा। उसका पत्नी के साथ विवाद हुआ। वह सबसे छोटे बच्चे को साथ लेकर घर से निकल गई। इसके बाद गुस्से में गजानन ने तीन बच्चों को जलाया और खुद को भी आग लगा ली। 
(_कुल मिला कर बात यहाँ खत्म करने की चीर परिचित शैली की शराबी ने नशे में ऐसा किया , सारा दोष शराब और शराबी होने का , हालात को मारो गोली और बंद करो फ़ाईल , पता करो किससे कर्ज लिया था , बुलाओ उसे थाने , कुछ भेंट-पूजा ले लो और छोड़ दो उसे ,उसका भी धंधा है -अपना भी  । शासन को विधानसभा में जवाब देते बने ऐसी एक शानदार रिपोर्ट तैयार करवा कर रखो । बस हो गया काम । यही तो है शायद संवेदनशील प्रशासन  !!! )

दिसंबर 24, 2010

डा. विनायक सेन, नक्सली नेता नारायण सान्याल और पीयूष गुहा राजद्रोही करार

 रायपुर की एक स्थानीय अदालत ने डा. विनायक सेन, नक्सली नेता नारायण सान्याल और पीयूष गुहा को राजद्रोह और छत्तीसगढ जन सुरक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया ।
डा. विनायक पर छत्‍तीसगढ़ जनसुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दायर किया गया है ।
माओवादियों का मददगार करार देकर उन्‍हें मई 2007 में गिरफ्तार किया गया था । दो साल जेल में बीताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन्‍हें जमानत दी थी । डा. विनायक पर आरोप लगाया गया था कि बिलासपुर जेल में बंद माओवादी नेता नारायण सान्‍याल की चिट्ठियां वे अन्‍य माओवादियों तक पहुंचाते थे । आसित सेन पर नक्‍सली साहित्‍य छापने का आरोप है । जेल में सजा काट रहे पीयूष गुहा पर भी माओवादियों को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया गया है । 2007 में रायापुर रेलवे स्‍टेशन पर गिर फ्तार किये जाते वक्‍त इनके पास से नारायण सान्‍याल की लिखी चिट्ठी मिली थी । पीयूसीएल नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. बिनायक सेन देशद्रोह के मामले में दोषी ठहराए गए हैं । शुक्रवार को रायपुर सेशन कोर्ट ने बिनायक सेन को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, लोगों को भड़काने और प्रतिबंधित माओवादी संगठन के लिए काम करने के आरोप में दोषी करार दिया है। इस मामले पर बिनायक सेन के वकील ने कहा कि वह सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे । 
गौरतलब है कि डॉ. विनायक सेन को पुलिस ने छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा कानून के अंतर्गत 14 मई 2007 को गिरफ्तार किया था । उन पर नक्सलियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगा था। हाई कोर्ट ने डॉ. सेन को जमानत देने से इनकार किया इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके खिलाफ चार्ज शीट दायर की । 
दिसंबर 2007 ने सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. सेन की जमानत को निरस्त कर दिया। स्वास्थ्यगत कारणों से मई 2009 में डॉ. सेन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी । 
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी 2011 तक इस मामले का फैसला देने की आखिरी तारीख निश्चित की  थी ।

दिसंबर 19, 2010

बहादुर बिटिया

बहादुर शीतल


कहानी नहीं बल्कि सच्ची घटना है यह रायपुर की , जहाँ बड़े बड़े मारे डर के काँप उठते हैं वहीं एक दस वर्षीय बच्ची शीतल की हिम्मत ने न केवल अपनी माँ को लुटने से बचाया बल्कि लुटेरों को भी पुलिस के हवाले करा दिया ।
शीतल की माँ रंजीता शनिवार 18दिसम्बर की दोपहर  स्कूटर से शैलेन्द्र नगर से टाटीबंध जा रही थी । अपनी दोनो बेटियों शीतल (10 वर्ष) , जया (07 वर्ष) भी माँ के साथ ही स्कूटर पर सवार थे , टाटीबंध पहुंचने से पहले ही बाईक सवार दो लड़कों ने रंजीता के स्कूटर के समीप अपनी बाईक सटा कर रंजीत के गले से सोने की चैन खींच ली , इसी बीच गुस्साई शीतल ने लुटेरे युवक की शर्ट का कॉलर पकड़ लिया , बैलेंस बिगड़ा और दोनो ही वाहनों पर सवार चार के चारों सड़क पर गिर गये , आसपास के लोगों ने इस वाकये को देखा उन्हें माजरा क्या है यह समझने में देर न लगी और लोगों ने लपक कर उन दोनों लुटेरों को पकड़ लिया , माँ बेटी भी उठ खड़ी हुईं । अब क्या था लोगों ने दोनों लुटेरों की जम कर धुनाई की और पुलिस के हवाले कर दिया ।
चित्र : साभार पत्रिका रायपुर
रायपुर में चैन खींचने की ऐसी घटनाएं आम हो चली हैं । हर महीनें पन्द्रह - बीस घटनाओं की पुलिस में रिपोर्ट दर्ज भी होती है , अनेक लोग पुलिस थाना जाना - रिपोर्ट लिखाना , फ़िर थाना -कचहरी के चक्कर काटने के झंझट से बचना चाहते हैं जो रिपोर्ट ही नहीं लिखाते हैं , ऐसों की संख्या भी कम नहीं है । लेकिन "शीतल"जैसे कम ही हैं जिनका आक्रोश बचाता है अपनों को रोकता है अपराध को । शीतल राजधानी रायपुर के नामी स्कूल होलीक्रॉस में कक्षा चौथी की छात्रा है । अब प्रेरणा भी बहुतों की , कि यार हिम्मत दिखाओ - सही वजह के गुस्सा दिखाओ । गलत करने वालों को रोकने का साहस कर दिखाओ तो सही । शाबाश शीतल तुम गर्म जोश भी , बधाई बच्चे , हम सब को तुम्हारी हिम्मत - सूझबूझ पर गर्व है बच्चे ।

दिसंबर 16, 2010

तंग आ चुके लोगों ने भिखारी को ही बनाया नेता


नेताओं के झूठे वायदों से तंग आ चुकी उत्तर प्रदेश के एक गाँव की जनता ने इनसे निपटने का एक अनोखा तरीका निकाला । उत्तरप्रदेश के शहावर शाह में की बात है जहाँ गांव के लोगों ने कोरे वादे करने वाले नेताओं को ठेंगा दिखाते हुए ऐसे नेताओं की बजाय एक भिखारी को अपना नेता चुनना कहीं ज्यादा अच्छा समझा और ऐसा कर दिखाया है । मजे की बात तो यह है कि  चुनाव जीतने के एक महीने बाद भी यह नया "नेता" भीख  ही मांग रहा है , लेकिन अब भीख अपने साथ-साथ जनता के लिए भी । इस गाँव के मतदाताओं को कुल आठ उम्मीदवारों में से एक का चयन करना था। लेकिन उन्होंने सभी को नकारते हुए 70 वर्षीय नारायण नट को अपना नेता चुना। यह नट पिछले 40 बरसों से गांव में भीख माँग रहा हैं । चुनाव लड़ने और जीतने के बाद वह कहता है कि उसने सपने में भी कभी ऐसा नहीं सोचा था कि नेतागिरी भी करनी पड़ेगी , उसका मानना है कि अब तो ग्राम विकास के लिए आगे भी  उसे भीख मांगना जारी रखना होगा । भीख में मिले सारे पैसों का उपयोग वह गांव के विकास के लिए करेगा । अभी तक  आजकल के नेता भिखारी कहे जाते थे अब भिखारी भी नेता हैं , धन्य है समय की लीला । आगे-आगे देखिए और क्या-क्या देखने-सुनने को मिलता है ।

दिसंबर 14, 2010

वरदान माँगूँगा नहीं

शिव मंगल सिंह ' सुमन '

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
                                                                                            - शिव मंगल सिंह ' सुमन '

दिसंबर 10, 2010

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है …


छत्तीसगढ़ की जनता का दर्द कुछ अनोखा ही है । जिस-जिस को और जब-जब यहाँ लोगों ने सर आँखों पे बिठाया, उसने चार दिन बाद उसी जनता से बड़ी ही ढ़िठाई से पूछा है - कि तू क्या है … ? और ठगी सी रह गई जनार्दन कही जाने वाली जनता । देश के परिप्रेक्ष्य में भी यही देखा - महसूस किया जा रहा है । जिसे भी हम अपना नेता चुनते वह नमक हलाल न होकर चंद दिनों में ही लाल हो कर दिखाता है ।हम सब इन दिनों नेता और अधिकारियों के "भ्रष्ट आचरण" से परेशान हैं । भारतीय नागरिक इन दिनों दोहरा दर्द झेल रहे हैं । बेकाबू - बेलगाम "मंहगाई" की मार समानान्तर चल ही रही है , ऊपर से एक के बाद एक नित्य नए "घोटालों" की खबर , वह भी करोड़ों - अरबों रुपयों की । ऐसी खबरों ने मानो आम लोगों का दर्द बढ़ा दिया है ।  पहला दर्द यह कि इन प्रतिस्पर्धी भ्रष्टाचार और घोटालों पर काबू करने वाला कोई दिखता नहीं है । दूसरा पकड़े जाने के बाद भी ऐसे अपराधी समाज में सिर उठाए घूम रहे हैं । सैर - सपाटे पर सपरिवार विदेशों की यात्राएं कर रहे हैं । नित्य नये बंगले - नई देशी-विदेशी कारें खरीद कर लोगों को चिढ़ाते खुली सड़कों पर मौज-मस्ती करते दिख रहे हैं । यह कहते भी नहीं शर्माते हैं कि अच्छा है सस्पेंड कर दिया , घूम घाम लें । लौटकर सब ठीक कर लेंगे , तब तक मामला भी ठण्ढ़ा पड़ जायेगा , लोग भूल जायेंगे । और हो भी यही रहा है। छत्तीसगढ़ में कुछ ज्यादा ही ,लेकिन लोग भूल नहीं रहे हैं बल्कि और अधिक आक्रोशित हैं ।  हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने आधा दर्जन बड़े अधिकारियों को  और उनके अपराधों को माफ़ कर दिया बिना इस बात की परवाह किये कि इसका जनमानस पर क्या असर होगा । मिर्जा गालिब की गज़ल की चंद वो लाईनें बरबस ही याद आतीं है कि - "हए एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है  ? तुम्ही कहो कि ये अंदाज - ए - गुफ़्तगु क्या है , रगों में दौड़ते फ़िरने के हम नहीं कायल , जब आँख ही से न टपका तो फ़िर लहू क्या है … " यहाँ कुछ इसी अंदाज में सरकार अपनी जनता को और जनता सरकार को यहाँ देख रही है । सरकार की  इसके पीछे छिपी सोच शायद यही होगी कि जनता का क्या है वह तो बिकाऊ है ,चुनाव के समय फ़िर खरीद लेंगे , उन्हीं के बीच से तमाम एजेंट भी हैं उसके पास । लेकिन  कहीं जनता को खुश करने की सोच में दोषी अधिकारियों को सजा दे दी , अधिकारियों को माफ़ नहीं किया तो हमारी पोल खुल जायेगी और हम मुसीबत में पड़ जायेंगे । इन्हें सब मालूम ही नहीं है बल्कि सारी फ़ाईलें भी इन्हीं अधिकारियों के बस्तों में रहती है । इन्हें माफ़ करना जरूरी है , जनता का क्या ? वह मरती रहेगी सड़क , पानी, बिजली, मंहगाई , स्कूल अस्पताल और राशन-पानी के बोझ तले , मरने दो । छत्तीसगढ़ पिछले दस सालों से  इसे लूटने वालों की नजर में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है । दिल्ली , कोलकता ,  हरियाणा , जयपुर , जोधपुर , ओड़िसा काटाभांजी , मुम्बई नागपुर और न जाने कहाँ-कहाँ से बड़े व्यापारी यहाँ आकर सत्त्ता के गलियारों से चिपके हैं ,सारा कामकाज सम्हाल रहे हैं । भ्रष्टाचार का आलम यहाँ यह है कि इनमें से कोई भी हजारों करोड़ रुपयों से नीचे की सम्पत्ति की बात नहीं करता है । मुख्यमंत्री बनने का सपने देख रहा एक मंत्री (भाईबंद सहित)और कांग्रेस के आधा दर्जन पूर्व मंत्री - विधायक जमीन के कारोबार में खुलेआम गुण्डागर्दी करते देखे-सुने जा सकते हैं । तमाम एन जी ओ अधिकारियों की गिरफ़्त में हैं , लेकिन इनके विरूद्ध कार्यवाही तो दूर कोई मुँह खोलने की हिम्मत नहीं कर रहा है । सत्तारूढ़ भाजपा का काँग्रेस के साथ इस मसले पर मानो खुल्लमखुल्ला गढ़बंधन जैसा है । यहाँ इस सफ़लता का श्रेय भाजपा को देना ही पड़ेगा ,जिसने काँग्रेस को उसके साथ प्रेम संबंध बनाने मजबूर कर दिया और आज यहाँ दोनो को फ़ील गुड है अब ऐसे में यदि यहाँ करप्शन का ग्राफ़ बढ़ता है,तो बढ़ने दो , फ़िर भला अधिकारी इस बहती गंगा में हाँथ धोने से क्यों चूकें ? बिहार का सोफ़ेस्टिकैटेड स्वरूप निर्मित किया है जमीन दलालों-लुटेरों ने यहाँ । सरकार भी सब कामकाज भूल कर बिल्डर की भूमिका में देखी जा रही है , जबरिया लोगों की जमीनें लेकर मकान, दुकान, मल्टिप्लेक्स, मॉल ,रेसिडेंसियल सिटीस बनाने में मस्त है। यदि आपके पास भी ऐसा कुछ करने का माद्दा है आईये छत्तीसगढ़ , आपका भी स्वागत है इस सरकार के रहते रहते आप भी लूट जाइये इस प्रदेश को । भोले-भाले आदिवासियों और  सीधे-साधे छत्तीसगढ़ियों का  राज्य है यह ।

विध्वंस के इस युग में भी इन हांथों ने केवल सृजन करना ही सीखा है ।

विध्वंस के इस युग में भी इन हांथों ने केवल सृजन करना ही सीखा है ।

दिसंबर 07, 2010

फ़िर आ गया खाना फ़ेंकने का समय , कृपया इसे रोकने का प्रयास करें


दोस्तों शादीयों का सीजन आ गया । हम आप बहुत सी शादीयाँ अटेंड करेंगे । पार्टियाँ अटेंड करेंगे और देखेंगे कि कैसे लोग असत्तियों की तरह गिरते तक लबलबा कर अपनी खाने की प्लेट भरेंगे ,जैसे कि पहली बार पार्टी का खाना खा रहे हैं या फ़िर उन्हें दुबारा कोई खाना लेने से रोकेगा या खाना ही खत्म हो जायेगा । और शायद इसी डर से वे लोग अपनी - अपनी खानें की प्लेटें इतनी भर  लेंगे कि उसे खा भी नहीं पायेंगे और बेझिझक बड़ी बेशर्मी के साथ बचा हुआ खाना ड्स्टबीन में डाल कर चलते बनेंगे ।
सच मानिये भारतीय विवाह वस्तुत: अब पारिवारिक आयोजन न रहकर सामाजिक एवं आर्थिक हैसियत और पारिवारिक शक्ति प्रदर्शन का भौण्डा हथियार बन गये हैं। यही कारण है कि वे सार्वजनिक मेलों की तरह आयोजित होते हैं । विवाह स्थल पर लोग एक दूसरे को धक्का देकर खाना खाते हैं। समारोह स्थल पर थर्मोकोल और प्लास्टिक के गिलासों के पहाड़ बन जाते हैं। हर आदमी थाली में बड़ी मात्रा में झूठन छोड़ता है।
एवरेज हजार लोगों की पार्टी में लगभग 250 - 300 लोगों के खाने लायक का खाना बेकार कर यूं ही फ़ेंका जाता है । यह हम सभी आये दिन शादी - पार्टियों मे देखते हैं । अन्न की इस बरबादी को कैसे रोका जा सकता है , हम सब को मिलकर ही सोचना होगा । समझना ही होगा कि हम सब मे से ही बहुतों से यह गलती होती है । अन्न की ही तरह पानी की भी बरबादी को भी समझबूझ कर रोकना होगा । इस जरूरत को प्राथमिकता के आधार पर समझना होगा । कैसे इस सवाल का जवाब भी अपने आपसे ही पूछ्ना और अपनी  आवाज सुन कर समझना होगा । क्या हम अपने आप को , अपने मित्रों को , अपने रिश्तेदारों को इस दिशा में सहयोग देने की समझाईस दे सकते हैं ?

दिसंबर 06, 2010

बढ़ी मानव तस्करी ; छत्तीसगढ़ एक बड़ा बाजार


पत्रिका के रायपुर संस्करण ने अपने सोमवार 06 दिसम्बर 2010 के अंक में संजीत कुमार की चौंकाने वाली खबर प्रकाशित की है , यह खबर शर्मनाक और चिंताजनक भी है । पत्रिका बताता है कि महिलाओं की तस्करी करने वालों के लिए छत्तीसगढ़ एक बड़ा बाजार बन चुका है। प्रदेश की बालाओं को बहला-फुसलाकर देश के अन्य राज्यों में ले जाकर बेच देने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

आंकड़ों पर गौर करने पर पता चलता है कि बीते तीन साल में करीब साढ़े छह हजार महिलाएं गायब हो चुकी हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें लगभग आधी संख्या नाबालिग लड़कियों की है। पुलिस गुमशुदगी का मामला दर्ज कर अपना कर्तव्य पूरा कर रही है। इन लड़कियों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है।
राज्य में मानव तस्करी की सबसे ज्यादा घटनाएं आदिवासी बहुल सरगुजा और बस्तर में सामने आ रही हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2007 से 2009 के बीच राज्य से करीब 18664 लोगों के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज की गई।
इनमें सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं और बालिकाओं की है। इन तीन सालों में लगभग 4500 से अधिक नाबालिग लड़के भी गायब हुए हैं। पुलिस अफसरों के अनुसार पिछले कुछ सालों के दौरान राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में भी गुमशुदगी के मामले बढ़े हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर मामले थानों तक नहीं पहुंचते। इस वजह से वहां के सही आंकड़े नहीं मिल पाते।
-शिकायत ही नहीं पहुंचती
राज्य के आदिवासी क्षेत्रों से भी बड़े पैमाने पर महिलाओं और युवतियों के गुम होने की घटनाएं हो रही हैं। जानकारी का अभाव सहित अन्य कारणों से इनमें से ज्यादातर मामलों की शिकायत पुलिस तक नहीं पहुंच पाती।
-पकड़ी जा चुकी है मानव तस्करी
करीब दो साल पहले रायपुर पुलिस ने एक कंटेनर पकड़ा था। उसमें 50 से अधिक लोगों को चोरी-छिपे दूसरे राज्य ले जाया जा रहा था। जम्मू व उत्तरप्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में यहां के लोगों को बंधक बनाए जाने की भी लगातार सूचनाएं आती रहती हैं।
सरकार स्वीकार चुकी है मानव तस्करी
पूर्व गृहमंत्री नंदकुमार पटेल के अनुसार राज्य की बालिकाओं और मासूम बच्चियों की तस्करी की जा रही है। उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाकर बेचा जा रहा है। वर्तमान सरकार भी इस बात को विधानसभा में स्वीकार कर चुकी है। इसके बावजूद इसे रोकने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है।
-महानगरों में सप्लाई
करीब ढाई साल पहले बस्तर की एक लड़की को दिल्ली पुलिस ने कुछ लोगों की चंगुल से मुक्त कराया था। युवती को अच्छा काम दिलाने के बहाने दिल्ली ले जाकर बेच दिया गया था। पुलिस अफसरों के अनुसार सरगुजा क्षेत्र की कई लड़कियों को दिल्ली, मुम्बई व पुणे आदि शहरों से मुक्त करा कर लाया गया है।
-नहीं देते सूचना
पुलिस अफसरों के अनुसार कई बार गुम इंसान कुछ समय बाद लौट आता है, लेकिन परिवार के लोग इसकी सूचना थाने में नहीं देते। इस वजह से भी आंकड़े बढ़ जाते हैं।
गुम इंसानों की तलाश के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश सभी थानों को दिए गए हैं। इसके तहत समय-समय पर थाना स्तर पर गुम इंसानों का पॉम्पलेट और पोस्टर भी चस्पा किया जाता है। दूसरे थानों, जिलों और प्रदेशों को भी सूचना दी जाती है। इसकी मॉनिटरिंग के लिए पुलिस मुख्यालय में सीआईडी शाखा के अधीन राज्यस्तरीय एक सेल भी बनाया गया है।
-राजेश मिश्रा, प्रवक्ता, छत्तीसगढ़ पुलिस
साभार : पत्रिका रायपुर , संजीत कुमार

दिसंबर 04, 2010

वे बड़े खुश नसीब होते हैं …


 हे गांधी जी , आज हर कोई आपको अपने कलेजे से लगा कर रखता है । शायद आपने कभी सपने भी नहीं सोचा होगा कि आप के जाने के बाद एक छोटे से कागज के टुकड़े पर छपा आपका चित्र यहां जन जन को प्यारा होगा - सर्वाधिक न्यारा होगा ।आपके चित्र को हमारे देश में हर जगह समान रूप से सम्मान प्राप्त है , किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं है , किसी भी राजनीतिक दल , संगठन में आपको लेकर कोई मतभेद भी नहीं है , आप सबके प्यारे-दुलारे हैं । यह कागज का छोटा सा रंगीन टुकड़ा जिस पर आपका चित्र छपता है वह सभी को समान रूप से उतना ही प्यारा है ।  लेकिन नाराज न हों तो कहुंगा , सच यह भी है कि आप आज भी गरीबों से दूर हैं । पहले भी नेहरू जी आपके पास थे , आज भी उन जैसे ही तमाम लोग आपके समीप हैं ।  लोग सच ही तो कहते हैं -  "आप जिनके करीब होते हैं ,वे बड़े खुश नशीब होते हैं …"

ओछी मानसिकता


 हरियाणा के बहादुरगढ़ कसबे में पूर्व सैनिक भगवान सिंह राठी के घर जन्में मित्र रविन्द्र राठी जी बताते हैं कि -
भारत माँ को अपने अमर सपूत तरुण शहीद खुदी राम बोस की शहादत पर सदा फक्र रहेगा और इनके सम्मान में हमारा सर सदा ही झुका रहेगा। मगर मुजफ्फरपुर में जहाँ उनका अंतिम संस्कार हुआ था, वहां कुछ देशद्रोही ताकतों ने एक जन शौचालय का निर्माण करवा कर अपनी ओछी मानसिकता का ही परिचय दिया है। मैं अपने सभी मित्रों से अपील करता हूँ कि आज उस महान क्रांतिकारी की जयंती पर सभी बिहार के मुख्यमंत्री (cmbihar-bih@nic.in) को पत्र लिखकर इस मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग करें। यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जय भारत।                                                                                                                            अमर शहीद खुदीराम बोस का जन्म 3दिसम्बर,1889 को ग्राम्य हबीबपुर, जनपद-मिदनापुर ,प0बंगाल में श्री त्रिलोक्यनाथ बोस के घर हुआ था।  बताते हैं स्वदेशी आन्दोलन में भाग लेने  के लिए खुदीराम बोस ने नवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ी थी। खुदीराम बोस का जन्म भारत वर्ष में आजादी के लिए लड़ने व क्रांति मार्ग को प्रज्जवलित करने के लिए ही हुआ था।
28फरवरी,1906 को ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ परचा बांटने के जुर्म में पुलिस सिपाही ने आपको पकड़ लिया। इस समय मात्र 15 वर्षीय खुदीराम बोस ने सिपाही को एक जोरदार तमाचा मारा और उससे अपना हाथ छुड़ा कर भाग निकले। 1अप्रैल,1906 को मिदनापुर के जिलाधीश की उपस्थिति में भी खूदीराम बोस ने वन्देमातरम् का नारा लगाया और पर्चे बांटे और वहाँ से भी बच निकले । 31मई,1906 को छात्रावास में सोते समय ही ब्रिटिश पुलिस खुदीराम बोस को गिरफ़्तार कर पाई । बंग-भंग आंदोलन के समय कलकत्ता का मुख्य मजिस्टेट किंग्सफोर्ड था।इसके दमन चक्र ने सारी हदें तोड़ दी थी। 28मार्च,1908 को किंग्सफोर्ड़ का तबादला मुजफफरपुर,बिहार कर दिया गया।
खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी को किंग्सफोर्ड़ को मारने का कार्य सौंपी गया। 30 अप्रैल,1908 को रात के 8बजे दोनों लोग यूरोपीयन क्लब पहुँचे। वहाँ किंग्सफोर्ड़ की गाड़ी के धोखें में कैनेड़ी परिवार की गाड़ी को बम फ़ेंक कर  नष्ट कर दिया। फिर चाकी समस्तीपुर स्टेशन की तरफ तथा खुदीराम बोस बेनीपुर स्टेशन की तरफ भागे। चाकी ने 1मई,1908 को पुलिस द्वारा पकड़े जाने अपनी ही गोली से खुद को शहीद कर लिया । उधर 20-25 किमी पैदल चनने के बाद पुलिस के दो सिपाहियों ने खुदीराम बोस को दो रिवाल्वर,37कारतूस व नक्शों के साथ हिरासत में लिया । खुदीराम बोस को 21मई,1908 को मुजफफरपुर के मजिस्टेट के सामने पेश किया गया। वहाँ से अपराध स्वीकृति के बाद 25 मई,1908 को सेशन्स कोर्ट भेजा गया तथा 8जून,1908 को सेशन्स कोर्ट में सुनवाई हुई। जज ने खुदीराम बोस को फाँसी की सजा दी। 6जुलाई,1908 को हाईकोर्ट में अपील की गई। जिसकी सुनवाई 13 जुलाई,1908 को हुई। अभी खुदीराम की उम्र 18 वर्ष की भी नहीं थी लेकिन फाँसी की सजा हाईकोर्ट ने बरकरार रखी।
फाँसी के दिन 11अगस्त,1908 को खुदीराम बोस का वजन दो पौण्ड़ बढ़ गया था। प्रातः 6बजे उन्हें फाँसी दे दी गई । गंड़क नदी के तट पर खुदीराम बोस के वकील श्री करलीदास मुखर्जी ने उनकी पार्थिव काया अग्नि को समर्पित की ।हजारों की संख्या में युवकों का समूह एकत्रित था। अमर शहीद खुदीराम बोस चिता की आग से निकली चिंगारियां सम्पूर्ण भारत में फैली। चिता की भस्मी को लोगों ने अपने माथे पर लगाया , पुड़िया बांध कर घर ले गये। खुदीराम बोस ही प्रथम शख्स हैं जिन्होंने बीसवीं सदी में आजादी के लिए फाँसी के तख्ते पर अपने प्राणों की आहुति दी थी।

नवंबर 28, 2010

क्यों कोई नहीं डरता जनता से ?


सुनने में उन्हें जरूर बुरा लग सकता है जो सरकार से या फ़िर सीधे पी डब्लु डी डिपार्टमेंट से जुड़े हैं , लेकिन सच तो यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के निवास से सीधे नया सर्किट हाऊस जाने वाली आधा किलोमीटर की नई बनी सड़क में चार जगह आपको लहर, उतार-चढ़ाव मिलेंगे । यहाँ शायद यह बताना भी जरूरी होगा कि मुख्यमंत्री का काफ़िला इस मार्ग से होकर दिन में कई मर्तबा गुजरता है , मंत्रालय से वापसी के लिए यही मार्ग तय किया जाता  है ।जब यह हाल मुख्यमंत्री  निवास के सामने की सड़क का हो सकता है तो सोचिए बाकि जगह काम कैसा होता होगा ? मुख्यमंत्री निवास से विधानसभा जाने वाला मार्ग की टायरिंग इससे पहले कई बार उखड़ चुकी है । हफ़्तों अखबारों के पन्ने रंगे रहे इनकी खबरों से । हर साल बनने वाली यह सड़क जिसके दोनो ओर नेता प्रतिपक्ष, मंत्रियों , मुख्य सचिव अन्य अधिकारियों के बंगले हैं वह उखड़ती है और किसी को कोई फ़र्क तक नहीं पड़ता । राज भवन के सामने  से सिविल लाइन जाने वाली  सड़क का हाल आप स्वंय  देख आईये ।  ठेकेदार का रुतबा कम नहीं होता , उसे और नए नए काम दिये जाते हैं । कभी लगता है कि  क्यों कोई नहीं डरता जनता से ? फ़िर लगता है, अब तो विभाग के मंत्री और सचिव ही बहुत नामी हैं , अब डर काहे का !!!

नवंबर 24, 2010

शर्म आनी चाहिए संघ और भाजपा को …

यह चित्र भारतीय जनता पार्टी के उस व्यक्ति का है  जो मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपने  बेटों को लाभ देने के लिए अपने राज्य में बडा जमीन घोटाले और अवैध खनन का आरोपी है । राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुडा है और संघ के कहने बाद भी इस्तीफ़ा देने को तैयार नहीं है । घोटाले की जमीन लौटा कर अपने आप को पाक-साफ़ बताने में लगा हुआ है । वहीं भाजपा हर छोटे - बडे मामले पर संसद में हंगामा खडा कर कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों कि खिलाफ़त करती इन्हीं दिनों रोज देखी जा सकती है । कैसी बेशर्मी आखिर यह ??? ये हैं  कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा जो यह  कहते हैं कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है।
आज भारतीय जनता पार्टी ने भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा पर लगे सारे आरोपों को नकारते हुए घोषणा की है कि वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे । पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने येदुरप्पा से हुई मुलाक़ात के बाद जारी बयान में इस फ़ैसले की घोषणा की है । उल्लेखनीय है कि बीएस येदुरप्पा पर भूमि आवंटन के मामले में गंभीर आरोप लगे हैं । आरोप है कि उनके परिवार पर एक खनन कंपनी को ज़मीन बेचने के बदले करोड़ों रुपए हासिल किए ।
हालांकि येदुरप्पा किसी भी तरह के घोटाले से से इनकार किया है । उनका कहना है कि जो पैसे उनके परिजनों को मिले वे ज़मीन बेचने से मिले और जब ज़मीन बेची गई तो उन्हें पता नहीं था कि जो ज़मीन ख़रीद रही है वो खनन कंपनी है। इन आरोपों के बीच कई दिनें से अटलकें लगाई जा रही थीं कि भाजपा बीएस येदुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा सकती है।इसी मामले पर चर्चा के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली बुलवाया था ।
यह कितने शर्म की बात है कि न हटा पाने की स्थिति में बुधवार 24 नबम्बर 2010 को  भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पिछले कई दिनों से येदुरप्पा पर आरोप लगाए गए थे लेकिन उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है । गडकरी ने अपने बयान में कहा है कि येदुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने रहेंगे । इस बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों की जाँच के लिए एक आयोग का गठन किया गया है और मुख्यमंत्री ने यह प्रस्ताव भी किया है कि संतुष्टि के लिए भाजपा को अपनी ओर से भी जाँच करनी चाहिए । यानि की अरोपी ही जाँच कराएगा या चाहे तो आरोपी की पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) जाँच करा ले । भला यह कैसी राजनीति है ? खास कर उनकी जो अपनी पूरी राजनीति केवल नैतिकता की दुहाई देकर ही करते आ रहे हैं । क्या यह घटना राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के दोहरे चरित्र को उजागर  ही नहीं बल्कि प्रमाणित भी  करती हैं ?

नवंबर 20, 2010

बढ़ रहा है भ्रष्टाचार और लालच , आप क्या सोचते हैं ???


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि देश में भ्रष्टाचार और लालच बढ़ रहा है। इससे उन मूल्यों को नुकसान पहुंच रहा है जिनके आधार पर आजाद भारत का उदय हुआ था।उन्होंने कहा कि भारत को अब ज्यादा कुशल सरकार की जरूरत है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 93वें जन्म दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में सोनिया गांधी ने कहा, देश की अर्थव्यवस्था भले ही बढ़ रही हो, लेकिन हमारे नैतिक मूल्य गिर रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि केवल बेहतर विकास अपने आपमें हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए, उससे ज्यादा जरूरी है कि हम कैसा समाज बनाना चाहते हैं और कैसे मूल्य उसमें डालना चाहते हैं। हाल ही 2जी स्पेक्ट्रम समेत सामने आए घोटालों के मद्देजनर सोनिया का यह बयान काफी अहम है। उनकी यह चिंता सरकार की भावी रणनीति की ओर संकेत करती है।
बहुत ही शर्म की बात है यह उन भारतीय नेताओं के लिए जो स्वयं को इस देश का हिमायती - देश भक्त कहते हैं । राजनीतिक पार्टी चाहे जो भी हो , राज्य कोई भी हो "भ्रष्टाचार और लालच" ने किसी को भी नहीं छोड़ा है । सच्चाई यही है, कोई स्वीकार करे न करे । इस बात पर गैर राजनीतिज्ञों -आमलोगों , सचमुच में बुद्धिजीवियों , देश भक्तों को चिंतन करना चाहिए । सामने आ कर ऐसे ढ़ोंगी नेताओं को उखाड़ बाहर फ़ेंकने की शुरुवात करनी चाहिए । समय जरूर लग सकता है पर नामुमकिन नहीं है ऐसा होना । किसी राष्ट्रीय पार्टी, वो भी कॉग्रेस जैसी पार्टी के अध्यक्ष का यह कहना कि - " देश में भ्रष्टाचार और लालच बढ़ रहा है। इससे उन मूल्यों को नुकसान पहुंच रहा है जिनके आधार पर आजाद भारत का उदय हुआ था। " बहुत  बड़ी बात है । आजादी के बाद स्वतंत्र हो कर हम शायद स्वछंद हो गये और अंग्रेजों से भी बदतर व्यवहार अपने ही देशवासियों के साथ किया । विकास का नाम लेकर लूटा अपनों को ही। क्या यही था आजाद भारत का सपना ?
आज एक अरसा हो गया एक सभ्य - अच्छा आदमी डरता है राजनीति में आगे आने से , क्यों ? आज बिना रिश्वत राशन कार्ड़ तक नहीं बन पा रहा है , यहाँ तक कि वार्ड़ मेम्बर बन जाने के बाद नेता की ईकाई बना व्यक्ति भी सीधे मुँह बात नहीं करता अपने ही मोहल्ले के अपने लोगों से ,क्यों ? स्कूल में हो या फ़िर अस्पताल दोनों ही जगह एडमिशन बिना रिश्वत नहीं हो पाता ,क्यों ?  पुलिस हो या फ़िर पत्रकार , सरकारी हो गैरसरकारी  कोई भी इससे अछूता नहीं दिख पड़ता है ।ऐसी तमाम बातें हैं , तमाम उदाहरण हैं जो हमारा चरित्र बयां करते हैं ।क्या ऐसा ही आजाद - बरबाद भारत सोचा था हमारे-आपके पुर्वजों ने ?   भ्रष्टाचार और लालच पर बातें और भी बहुत सी की जा सकतीं हैं लेकिन ऐसा कुछ भी नया  नहीं जिसे आप न जानते हों , आम आदमी  जिससे त्रस्त न हो ।
क्या अब वह समय निकट नहीं आ गया है जब  अच्छे लोग , ईमानदार लोग , सकारात्मक सोच के लोग , ऊंचे मनोबल वाले लोग राजनीति में पूरे मनोयोग से आयें  या अच्छे लोगों का समर्थन करें ,उनका मनोबल बढ़ाएं , देश के लिए - अपनी भावी पीढ़ी के लिए एक अच्छा वातावरण बनाने का प्रयास करें , लालची-भ्रष्ट लोगों को सींखचों के पीछे , जहां उनकी जगह होनी चाहिए वहीं भेजें । सम्मान जनक वातावरण में अपने देशवासियों को सिर उठा कर जीने का , निर्भय हो कर जीने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए ? क्या "नेता जी" शब्द को बदनाम करने वालों को सजा नहीं मिलनी चाहिए ? जिस सोनिया गांधी को विपक्ष विदेशी कहते नहीं थकता ,उसी सोनिया गांधी ने देश में त्याग और बलिदान की मिशाल पेश की और आज फ़िर उसी ने यह कहने का साहस भी किया है कि देश की अर्थव्यवस्था भले ही बढ़ रही हो, लेकिन हमारे नैतिक मूल्य गिर रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि केवल बेहतर विकास अपने आपमें हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए, उससे ज्यादा जरूरी है कि हम कैसा समाज बनाना चाहते हैं और कैसे मूल्य उसमें डालना चाहते हैं। कहाँ हैं और क्युँ दुबके बैठे हैं वे लोग जिनके पास मानो नैतिकता की ठेकेदारी है , देश भक्ति का टेंडर है । आईये उनकी सरकारों का भी हाल देखिए कि कैसे भ्रष्टाचार और लालच में आकण्ड डूबे हुए हैं उसके तमाम जिम्मेदार लोग ! सोनिया गांधी के कथन को  किसी दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सोचना-समझना चाहिए । सही समय आ गया है ,और इंतजार किस बात का करना होगा ? जरूरत है साहसिक कदम बढ़ाने की -कुछ कर दिखाने की ।

नवंबर 19, 2010

जमीन से जुड़े नेता - अधिकारी

महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों की कुर्सी  जमीन से ही उखड़-हिल गई ,जमीन विवादों से । इस खबर ने छत्तीसगढ़ के सत्ताधीशों को शायद चिंतित जरूर किया होगा । यहाँ के हमारे सत्तासीन और कुछ सत्ताच्युत लोग जमीन से काफ़ी गहरे तक जुड़े हैं । अगर जमीन से जुड़े नेताओं की कुर्सी जमीन से उखाड़ने का यही क्रम कुछ दिनों और जारी रहा और इसकी आँच हमारे प्रदेश तक पहुँची तो न जाने क्या होगा ? क्योंकि हमारे नेता कुछ ज्यादा ही जमीन से जुड़े हैं । इन्होने तो कभी सोचा भी नहीं था कि इतने बड़े राज्यों में जहाँ का मेनेजमेंट इतना तगड़ा हो वहाँ भी मुख्यमंत्री जैसों कि कुर्सी ऐसे मुद्दों पर जा सकती है , भला यह भी कोई मुद्दा है ? हमारे यहाँ तो यह खुल्ला व्यापार है, कोई भी कितना भी कर सकता है । अरे नेता ही नहीं हमारे यहाँ तो अधिकारीगण भी इस मामले में पीछे नहीं हैं । सच्चा सर्वे हो तो पता चल जायेगा किस किस ने किनके-किनके नाम पर कितनी हजार एकड़ जमीनें ले रखीं हैं । भाई - बाई , नाते-रिश्तेदार , नौकर-चाकर, दोस्त-यार, सबके नाम हैं जमीनें एक कांग्रेस नेता ने अपने क्षेत्र के तमाम मतदाताओं के नाम तमाम जमीनें -फ़्लैट्स खरीद रखा है । क्या होगा जब ऐसों पर गाज गिरेगी ? हम छत्तीसगढ़वासी तो भगवान से बस यही प्रार्थना करते हैं कि कभी हमारे यहाँ भी इंसाफ़ की नजरें करम हों । किसानों को उनकी जमीनें खेती के लिए वापस हो-विपक्ष अपने दायित्व को समझे -निभाने का साहस करे, केवल दिखावे का हंगामा खड़ा कर अपना मकसद न बनाए । आप भी कहें  "आमीन" ।

नवंबर 16, 2010

ईद मुबारक

ईद-उल-जुहा (बकरीद) इस्लाम धर्म में विश्वास करने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार इब्राहिम अपने प्रिय पुत्र को इसी दिन खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, यह  उन्की परीक्षा थी जिस खरे उतरने के बाद अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दिया । जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। मुबारकबाद कबूल करें ।

नवंबर 11, 2010

ठहरो , जरा रुको ; अभी मेरे शहर का विकास चल रहा है…


जी हाँ ,मेरा शहर अभी विकास के दौर से गुजर रहा है । यहाँ आसपास के हर खेत-खलिहान पाटे जा रहे हैं , शहर की हर झोपडी तोड़ी जा रही है , छोटे - छोटे बाजार उजाडे जा रहे हैं ,यहाँ खड़े होंगे बडे बाज़ार , बडे-बडे मकान जो शहर के विकास के साक्षी बनेंगे । न रहेगा कोई गरीब  ना रहेगी गरीबी मेरे इस शहर में । गरीब और गरीबी को हमेशा हमेशा के लिए हटा कर एक सुन्दर सा शहर सिंगापुर - बैंकाक जैसा शहर बनायेंगे इसे राज्य के आई ए एस  अधिकारी और नेता मेरे शहर को । भा ज पा का शासन है लिहाजा संस्कृति की रक्षा होगी , हर गली मोहल्ले का नाम बदल जाएगा । हर गली-चौराहे में कमल ही कमल खिलेगा । जगह जगह बस कमल विहार ही बनेगा । हर जगह जहाँ कहीं भी झोपड़ियाँ दिखेंगी तोड़ दी जाएंगी । उस जगह खिलेगा कमल । मुझे शर्म नहीं, गर्व है अपनी सरकारों पर , अपने प्रशासनिक अधिकारियों - नेताओं पर कि आज मेरे शहर का नाम सारा देश जानता है - कभी गंदगी के लिए तो कभी मंहगाई के लिए ,नेता और अधिकारियों की बेशुमार कमाई के लिए । कलकत्ता और मारवाड़ के बैंकों से लूट कर लाई गई मलाई के लिए । इटली ,मलेशिया , सिंगापुर , उड़ीसा , महाराष्ट्र और राजस्थान में लगाई गई छत्तीसगढ़ की गाढ़ी कमाई के लिए ।  ठहरो , जरा रुको । अभी मेरे शहर का विकास चल रहा है । मीडिया इस पर फ़िनीशिंग की मुहर लगा रहा है । नेता - अधिकारी बताते हैं -गरीब लुट रहे हैं - बर्बाद हो रहें हैं तो यह नीयति ही है उनकी । हम तो दे रहे हैं न दो - तीन रुपये में  चाँवल -सस्ती शराब , और क्या चाहता है यह गरीब ? हजारों रुपये दे रहे हैं न इसे ,इसकी जमीन के , खोल रहे हैं न इसकी जमीन पर कारखानें - खदानें , बना रहे हैं न इनकी खेतिहर बेकार जमीनों पर सुन्दर-सुन्दर मकान और दुकानें और क्या चाहिये इस 'गरीब' को ? देखिएगा देखते जाइयेगा इक दिन ऐसा भी आयेगा जब मेरे शहर को कोई भी न पहचान पाएगा , जगह-जगह जब वह नई -नई बुलंद ईमारतें ही पाएगा , चक्कर खाकर गिर जायेगा । और मेरा शहर विकसित हो जाएगा । ईमारतों की फ़सल यहाँ लहलहाएगी , गरीब और गरीबी कोषों दूर तक भी नजर नहीं आएगी । सच्चे भारत का सपना यहीं से साकार होगा , अन्य प्रदेशों का यह प्रदेश मॉडल आधार होगा । सच पूछें तो शायद ऐसे ही इस देश का उद्धार होगा । गांधी जी का सपना साकार होगा । गरीबी और गरीबों से रहित नव भारत का निर्माण होगा  - छत्तीसगढ़ इसका द्वार होगा ।

नवंबर 09, 2010

दीपावली

दीपावली का त्यौहार सभी ने मना लिया ,बधाइयाँ  । मुझे ऐसा प्रतीत हुआ इस वर्ष की दीपावली गत वर्ष की अपेक्षा कुछ ज्यादा इको फ़्रेण्डली रही । आतिश बाजी भी अपेक्षाकृत कम हुई , हरे-हरे केले के पेड़ो को काटा तो गया लेकिन खरीददारों ने तरजीह नहीं दी ,तभी जगह-जगह जहाँ से बिकते थे वहाँ ही बिना बिके पडे देखे गये। नकली खोये के भय ने भी अपना  काम किया ,घरों में बेसन-आटे की मिठाइयाँ -घर के बने नमकीन ज्यादा दिखे । बच्चों ने भी अपेक्षाकृत बडे बम कम ही फ़ोडे , आकाशिय फ़टाके कहीं ज्यादा चलाये । घरेलू सजावट में भी चायनिज रंगीन  बल्बों का अधिक्ता में प्रयोग किया गया हो ऐसा भी कहीं नहीं दिखा । अच्छा है जागरुकता आए । लेकिन वहीं दूसरी ओर शहर के हर बडे अखबारों ने जिन्होंने ढ़ेरों विज्ञापन पूरे हफ़्ते भर छापे थे उन्हें शायद मजबूरी में यह बताना पडा अपनी रिपोर्ट में कि राजधानी में करोड़ों का बर्तन , सोना-चाँदी , कपड़ा , आटोमोबाईल , फ़टाका बिका । बाज़ार बूम रहा । ये बाज़ार को बूम बताने वाले आंकड़े भी हर एक ने अपने-अपने ढ़ंग  से बताए ।  ऐसी रिपोर्ट को लेकर बाज़ार में तरह - तरह की चर्चाएं होतीं रहीं , खुद अधिकांश व्यवसायी हतप्रभ थे ।         संक्षेप में कुछ ऐसी रही इस बार की दीपावली ।

नवंबर 06, 2010





नवंबर 04, 2010

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं


                        


 
आईये एक - एक दीप जलाएं , अंध तमस भगाएं । उजियारा फ़ैलाएं ।                                                                            पूजा मुहूर्त  - शाम 06 : 46 से  रात्रि 08 : 10 के मध्य

अक्तूबर 31, 2010

क्या हमारे शहर आने वाला खोवा असली है ???

 पिछले साल  जप्त किया गया नकली खोवा 
दिवाली आ गई । शहर की मिठाई दुकानों में हजारों किलो मिठाइयों के आर्डर हैं , बिना आर्डर के भी हजारों किलो मिठाइयाँ बिकनी हैं ।समूचे प्रदेश में लाखों किलो मिठाइयाँ बिकतीं हैं इस दौरान । सिंथेटिक खोवा जो कि आलू , शकरकंद, स्टार्च के साथ  यूरिया खाद , डिटर्जेंट पाउडर , एसेंस और अन्य तमाम तरीकों के जहरीले - प्राण घातक अखाद्य पदार्थों के मिश्रण से बनाया जाता है , बहुत ही घातक होता है  , ऐसा टनों खोआ पिछ्ले दो हफ़्तों से बेधड़क बाहर से आ रहा है , कोई रोक-टोक या जाँच का सवाल यहाँ नहीं उठता । क्यों ?  क्या नकली खोवा , आम आदमी की जिंदगी  से खिलवाड़ करने वाला खोवा नहीं आता हमारे यहाँ ? मगर सरकार में बैठे प्रभावशाली लोगों का कहना है कि पुलिस या खाद्य विभाग ऐसी कोई भी कार्यवाही न करे जिससे कि हमारे व्यापारी बंधुओं को कोई परेशानी का सामना ऐन त्योहार के वक्त करना पड़े । याद रहे कि नकली खोवा पकडने जाने के जुर्म में प्रदेश के एक पुलिस अफ़सर को नगर के एक सर्वाधिक चर्चित मंत्री ने खूब खरी-खोटी सुनाई थी । इस घटना से क्षुब्द पुलिस अधिकारी लम्बी छुट्टी पर चले  गये  , इस बात को साल भर से ऊपर हो गया है , अधिकारी आज भी छुट्टी पर है , और बडे से बडा पुलिस अधिकारी अब रायपुर में नकली खोवा पकडने के काम से मानो तौबा कर लिया है । तो खावो नकली और जानलेवा खोवा-मिठाई । आम आदमी भी अपने को बेबस - लाचार बता कर लगा है इस नकली खोए को खाने , और अपने शरीर में नित्य नई तरह की बीमारियों को जन्म देने पालने में । उसमें भी इतना साहस नहीं - समझ नहीं कि वह इस नकली और जानलेवा मिठाइयों का त्याग - तिरस्कार कर सके , कम से कम अपनी और अपने परिजनों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सके । इस बात का विश्वास बेचने वालों को है । उन्हें यह भी मालूम है कि जब तक कोई बडी घटना न हो जाय यहाँ सब कुछ ऐसा ही चलता रहेगा ,और कोई घटना हो भी गई तो सम्हल ही जाएगी ,  आखिर ये बेचने वाले कोई और नहीं कहीं न कहीं है मंत्री के ही जातभाई हैं - भाईबंद हैं । कोई कुछ नहीं कर सकता इनका ,दिखा दिया है कि बडे ही दमदार हैं ये मिठाई बेचने वाले छत्तीसगढ़ की राजधानी के । जय हो  छत्तीसगढ़ महतारी !!!
छत्तीसगढ़ में एक तरफ जहां भ्रष्ट मंत्री और अफसर बेसुमार हैं तो ईमानदार अफसरों की भी कमी नहीं है। पुलिस जैसे विभाग के एक ईमानदार एएसपी शशिमोहन सिंह ने इस्तीफा सीधे तौर पर मंत्री के मुंह पर मारा है। अभी उनके इस्तीफे के एक दिन पहले ही नगर निगम के ईमानदार आयुक्त अमित कटारिया को राजनीति के खेल में हटाया गया था। अब इससे पहले की शशिमोहन सिंह का भी हश्र ऐसा ही होता उन्होंने इस्तीफा देने में भला समझा और सीधे इस्तीफा देकर चर्चा में आ गए है। यह वाकया अक्टूबर 2009 का है । वे आज भी छुट्टी पर हैं।

अक्तूबर 30, 2010

नन्हें हांथों का कमाल …

दिवाली आई  दिवाली आई ,                                          मेरी नन्हीं बिटिया अकुलाई ,                                 उसके नन्हें हांथों ने आंगन में देखो                                      एक सुन्दर सी है रंगोली सजाई ।                                                                                                                                                    

अक्तूबर 27, 2010

राज्योत्सव 2010 : नेताओं का सपरिवार आनंद मेला

ये सारे नेता गर्व महसूस कर रहे हैं , दबंग अभिनेता सलमान खान का सम्मान करते हुए , और  सलमान हैं कि  यहाँ  इस  उदघाटन  के कार्यक्रम में बमुश्किल 5 मिनट रुके और वापस उड़ लिए अपने उद्योगपति दोस्त के साथ ।
छत्तीसगढ़ राज्य के दस साल पूरे होने पर रायपुर के साइंस कालेज मैदान में मंगलवार को राज्योत्सव की रंगारंग शुरुआत हुई। महोत्सव का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल शेखर दत्त ने कहा कि इन दस सालों में राज्य ने काफी तरक्की की है। खनिज संसाधनों के साथ ही उद्योगों का भी विकास हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दस सालों की विकास यात्रा को गौरवशाली बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षो में प्रदेश का नागरिक हर क्षेत्र में तरक्की करेगा। समारोह के पहले दिन अभिनेता सलमान खान की मौजूदगी खास रही। इसके अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल भी मौजूद थे। इस मौके पर संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य की सांस्कृति विरासतों व धरोहरों का गुणगान किया।
नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने कहा कि उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्य एक साथ बने हैं और तीनों ही राज्य उन्नति कर रहे हैं।  

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छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को  01 नवम्बर 2010 को  दस बरस पूरे हो जायेंगे । हर बरस इस खुशी में हमारे प्रदेश में एक बडे मेले का आयोजन किया जाता है जिसे  'राज्योत्सव' का नाम दिया गया है । इस मेले में शासन  गरीबों की गाढ़ी कमाई में से करोड़ो रुपये फ़ूंकता है , मुम्बई ने नामी-गिरामी नाचने-गाने वाले आते हैं और मंत्रियों- बडे अधिकारियों , बडे व्यापारियों , इनके परिजनों  के मनोरंजन का सार्वजनिक इंतजाम किया जाता है । ये वी वी आई पी बन कर सोफ़ा सेट पर बैठ कार्यक्रमों का मजा लेते हैं , और प्रदेश की गरीब जनता - युवा , महिला-पुरुष पीछे दूर खड़े तमाशा देखते रहते हैं ।   बीच-बीच में पुलिस आकर इनपर अपना रोब दाब दिखा कर व्यवस्था बनाती दिखती है । पूरे सात दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम को गौर से देखें तो बर्बस ही अंग्रेजों की याद आ जाती है । छत्तीसगढ़ियों को दर किनार कर उन्हे पीछे  धकेल कर सातों दिन कार्यक्रम का पूरा मजा लूटते हैं  -राज्य शासन के  मंत्री- बडे अधिकारी , बडे व्यापारी , और इनके परिजन - चाहने वाले । संक्षेप में यही है    छत्तीसगढ़ का  'राज्योत्सव' । सरकारी खर्चे पर बडे लोगों का आनंद मेला । पूरे सात दिनों तक और बाद में भी चापलूस इसकी भी जय जयकार करते देखे जायेंगे।   जिसकी इस वर्ष शुरुवात 26अक्टूबर की शाम हो गई है  यह उत्सव एक नबम्बर तक चलेगा ।                               शायद आप यह भी जानना चाहेंगे कि क्या है -                                              





                                                                                                                                         

अक्तूबर 25, 2010

बहुत से पप्पू हैं कांग्रेस में

नारायण सामी
                                                                                                                                                                                     
 बीते दिनों कुछ हलचल सी मची थी रायपुर में उस वक्त जब कांग्रेस के केन्द्रिय मंत्री और छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस के प्रभारी नारायण सामी के ऊपर कालिख फ़ेंकी गई । हंगामा मचा , दूसरे दिन एक नाम सामने आया कि यह सब पप्पू फ़रिश्ता के इशारे पर हुआ है । नाम आने से पहले डरे- सहमे से बैठे रहे कांग्रेस नेता गण । डर इस बात का कि कहीं कोई उनका नाम ना घसीट ले इस काण्ड में ।
कालिख काण्ड में एक नाम सामने आते ही मानो सब खुशी से उछल - मचल गये कि चलो अपन तो बच गये, न जाने दूसरा - तीसरा गुट क्या करता मेरे खिलाफ़ ? अब इस बात का तो डर खत्म हुआ । सारे कांग्रेसी एक हो गये "दोषी पप्पू" को सजा दिलाने की दिखावटी और खुद को बचाने वाली मांग करने लगे । वहीं कुछ बडे कहे जाने वाले नेता इस बात का भी प्रयास करने लगे कि 'पप्पू' उनके दुश्मन का नाम ले दे कि उसके कहने पर उसने ऐसा   किया है फ़िर 'पप्पू'  को हाई कमान से ले जाकर मिलवाते हैं । यह प्रयास बंद हो गये हैं ऐसी बात भी नहीं है । इस बात के लिए यह भी प्रयास किये जा रहे हैं कि रायपुर के नगर भईया जो मंत्री भी हैं प्रदेश में, पप्पू उनकी बात तो मानता है , और मान ही लेगा , क्यों न उन मंत्री जी की मदद ली जाय बदले में उनके मामलों में अन्दर-बाहर से हम सहयोग करेंगे । कहने का सीधा सा मतलब यही कि सारी गुटबाजी पूरी तरह से सक्रिय है इस काण्ड के बाद एक - दूसरे को पटखनी देने के लिए । सामने वाले की लकीर मिटा कर अपनी लकीर को बड़ा बताने की कोशिश में लगे हैं कथित दिग्गज नेता गण यहाँ । 
इस पूरे प्रकरण में सर्वाधिक चिंता और दुख का विषय यह है कि देश और प्रदेश का कोई भी नेता यह सोचने - समझने को तैयार नहीं है कि आखिर किसी कांग्रेसी(पप्पू) को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा ?  प्रदेश में कांग्रेस का यह हाल कैसे ,क्यों और कब
हो गया ? कौन - कौन हैं इस दशा के निर्माण के लिए जिम्मेदार ? उनकी सजा भी कुछ होनी चाहिए या नहीं ? या सजा केवल छोटे मोटे पप्पूओं को ही ? क्या इससे सुधर जायेगी कांग्रेस की स्थिति ? छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से आज तक एक नेता का बस यही कहना है कि "मैं नहीं तो कांग्रेस नहीं" । क्या कांग्रेस के कथित हाई कमान तक यह आवाज नहीं पहुंची है या अनसुनी कर दी गई 'जार्ज' के कहने पर ?  यहां कांग्रेस में एक नहीं तमाम पप्पू घूम रहे हैं जिन्होने अपना सब कुछ लुटाया है कांग्रेस के लिए और नया राज्य, नई सरकार बनते ही ऐसे निष्ठावान लोगों को दूध में से निकाल कर फ़ेंकी गई मक्खी की ही तर्ज पर पार्टी से निकाल फ़ेंका या फ़िर दरकिनार कर दिया गया है । नकली सिक्कों ने असली सिक्कों को मानो चलन से बाहर कर दिया है । पप्पू यहाँ प्रतीक मात्र है । जगह-जगह कांग्रेस को पराजय का मुंह क्यों देखना पड़ रहा है ? कांग्रेस को अपनी दशा-दिशा का गहन अध्ययन जरूर करना चाहिए पप्पू के बहाने ही सही ।  
केंद्रीय मंत्री व छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी वी नारायण सामी पर मंगलवार 19 अक्टूबर की  सुबह कुछ युवकों ने स्याही फेंक दी। सामी उस वक्त प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधियों की बैठक के लिए कांग्रेस भवन में जा रहे थे। स्याही फेंकने वाला युवक मौके से फरार हो गया।
हालांकि बाद में नारे लगाने वाले चार लड़कों को पकड़ लिया गया। मौके पर मिले पर्चे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किए जाने की बात लिखी गई है। सामी प्रदेश चुनाव अधिकारी श्रीमती विप्लव ठाकुर और सांसद चरणदास महंत के साथ जैसे ही कांग्रेस भवन पहुंचे, करीब 20 से 22 कार्यकर्ताओं ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नारे लगाने शुरू कर दिए। इन्हीं में एक लड़के ने शीशी में भरी काली स्याही सामी पर फेंकी। सामी के कपड़ों के अलावा चेहरे पर भी स्याही के छींटे पड़े। उनके साथ खड़े महंत के कपड़ों पर भी स्याही लग गई।
जब लड़कों को पकड़ने की कोशिश की गई तो स्याही फेंकने वाला युवक मौके से भाग गया। इस बीच नारे लगा रहे चार लड़कों की पिटाई कर दी गई। बाद में उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया। पकड़े गए लड़के रायपुर के हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रदर्शनकारी युवक नशे में धुत थे।

अक्तूबर 24, 2010

रायपुर में सेना के साहसिक कारनामों से जमीन से आसमान तक छाया रोमांच


छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त की उपस्थिति में आज रायपुर के पुलिस परेड मैदान में भारतीय सेना के जवानों ने जमीन से लेकर आसमान तक साहसिक और रोमांचकारी कारनामों का प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष श्री नारायण चन्देल तथा स्कूल शिक्षा एवं संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी सेना के जांबाज जवानों द्वारा दिखाये गए साहस और संतुलन से लबरेज प्रदर्शनों का अवलोकन कर उनका उत्साह बढ़ाया। 
छत्तीसगढ़ में पहली बार राजधानी रायपुर में 'राष्ट्र प्रहरी' की अवधारणा पर अपनी सेना को जाने नाम से सैन्य मेले का आयोजन किया गया है। इस मेले के प्रति छत्तीसगढ़ की जनता विशेषकर युवाओं, किशोरों और बच्चों के अपार उत्साह और उमंग तथा उनके इस मेले के प्रति आकर्षण को देखते हुए इसकी अवधि दो दिन से बढ़ाकर तीन दिन की गई। आज रविवार को मेले के समापन अवसर पर 22 अक्टूबर को तेज बारिश के कारण निरस्त सभी साहसिक और जांबाजी से भरें प्रदर्शनों को फिर से किया गया।
डेयर डेविल्स नाम से प्रसिध्द मोटर साइकिल सवारों ने कम्पनी हवलदार राजेश कुमार के नेतृत्व में आग के गोले के बीच से निकलकर टयूब लाईट की दीवार तोड़ने, ईटों की छद्म दीवार तोड़ने सहित पिरामिड और कमल की आकृति बनाने तथा अन्य रोमांचक प्रदर्शन किए। भारतीय वायु सेना के माइक्रोलाइट नन्हें प्लेनों ने भारतीय सेना के झण्डे फहराते हुए मैदान में गोता लगाया और जमीन से काफी नजदीक आकर फिर से आसमान की राह पकड़ी। इसी तरह पैरा मोटर के नाम से प्रसिध्द तथा छोटे से मोटर की सहायता से उड़ने वाले ग्लाइडर ने लम्बे समय तक पुलिस परेड मैदान के चारों ओर घुमते हुए दर्शकों को लुभाया और अंत में मैदान में उतर कर दर्शकों को रोमांचित किया। राडार की पकड़ से बचने के कारण ऐसे माइक्रोलाइट और पैरामोटर सरहद पार जाकर दुश्मन की गोपनीय गतिविधियों की जानकारी लेने में सक्षम है। सेना के गुड़सवारों ने तेज गति से दौड़ते हुए भाले से अपना शिकार पकड़ा और मैदान में बनाए गए सभी बाधाओं को पार किया। मैदान में प्रदर्शित हाट एयर बैलून भी दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमलों को नाकाम करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन 'रक्षक' तथा श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन 'पवन' में दुश्मनों से लड़ते हुए विकलांग बने सेना के पांच वीर सैनिकों को राज्यपाल ने विशेष स्कूटर प्रदान किया। सिक्ख रेजीमेंट द्वारा भागड़े का उत्साहपूर्ण प्रदर्शन भी किया गया।

राज्यपाल ने टैंक, मिसाइल और रक्षा उपकरणों की ली जानकारी


रोमांचक कारनामों के अवलोकन के उपरांत राज्यपाल ने सैन्य मेले में लगाए गए विभिन्न स्टालों पहुंचकर उनका जायजा लिया। राज्यपाल ने यहां बड़ी संख्या में तथा अलग-अलग विशेषताओं भरें रॉकेट लान्चर, मशीन गन, एम.एम.जी, मोर्टार, अत्याधुनिक संचार  उपकरण रेडियो सेट, आदि का अवलोकन किया। उन्होंने भारतीय थल सेना के टी-72 अजय टैंक, ब्रम्होस मिसाइल, बोफोर्स तोप के साथ-साथ भी अत्याधुनिक एवं विशालकाय रक्षा उपकरणों का भी अवलोकन किया। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा सब एरिया मुख्यालय, रायपुर के ब्रिगेडियर ए. कृष्णन, कर्नल राजीव खुल्लर और लेफ्टिनेन्ट कर्नल लोकेश सक्सेना ने राज्यपाल को इन रक्षा उपकरणों की विस्तार से जानकारी दी। राज्यपाल श्री दत्त ने यहां सैनिक स्कूल, एन.सी.सी., सैनिक कल्याण, सेन्ट्रल आर्डिनेन्स डिपो जबलपुर, सेना भर्ती कार्यालय रायपुर आदि के स्टाल पहुंचकर प्रदान की जा रही महत्पूर्ण जानकारी तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डी. आर. डी. ओ,) में प्रदर्शित अग्नि तथा अन्य उपकरणाें के मॉडलों तथा अन्य अनुसंधान कार्यो की विस्तार से जानकारी प्राप्त की।  

राज्यपाल का अनुरोध : 'कदम-कदम बढ़ाए जा' गीत पर बजी धुन


स्टालों के अवलोकन के अवसर पर जब राज्यपाल ब्रास बैंड और पाईप बैंड बजाने वाले जवानों के पास पहुंचकर सब मेजर पाल सिंह तथा सब मेजर ए. के. डे.और बैंड के सदस्यों को शानदार और यादगार प्रस्तुति के लिए बधाई दी तो उन्होंने राज्यपाल की इच्छा जानकर उनके अनुरोध पर 'कदम-कदम बढ़ाए जा' तथा 'ये देश है वीर जवानों का' गीतों के धुन सुनाई। उल्लेखनीय है राज्य में पहली बार सेना के इतने बड़े बैंड दल ने प्रदर्शन किया है। इस अवसर पर ब्रास बैंड के अंतर्गत सिक्ख रेजीमेंटल सेन्टर, बिहार रेजीमेंट सेन्टर, ए. एस. सी. सेन्टर नार्थ, ए.ए.डी. सेन्टर, जे.ए.के. आर.आई. एफ. सेन्टर तथा पाईप लाईन बैंड के अंतर्गत ग्रेनेडियर रेजीमेंटर सेन्टर, 39 जी. टी.सी. सिक्ख रेजीमेंटल सेन्टर, ए.ए.डी. सेन्टर, ए.एस.सी. सेन्टर नार्थ ने एक साथ प्रदर्शन किया है।

आग के गोले को मोटर सायकल से पार करता जवान , सैकड़ों ट्यूब लाईट्स को फ़ोड़ते निकलता सेना का जवान .

Document A

अक्तूबर 22, 2010

ऐसा होता क्यों है … ?


बहुत दिनों से एक बात दिमाग में कौंधती रही है कि किसी भी शादी में वर-वधु दोनो ही पक्ष बेहद खुश रहते हैं । खुशी-खुशी शादी होती है । सर्वाधिक खुशी माँ-बाप को होती है । खुशी का यह शायद अतिरेक का सा होता है जो अधिकांशतः बाद में कायम नहीं रह पाता , और तरह-तरह की कहानियाँ बनती हैं , माँ-बाप ही बाद में बेहद दुख का शिकार होते हैं । दुखद पक्ष देखने सुनने में आते हैं । अधिकांश बातें कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाती हैं । आपसी समझ , प्रेम , मान-मर्यादा , धैर्य, त्याग इन सब बातों की जगह स्वार्थ और वैमनस्य-प्रतिशोध का भाव ले लेता है ।यह मानवीय स्वभाव समझ से परे हो गया , आखिर ऐसा क्यों होता है ? अखबार ऐसी खबरों से रंगे रहते हैं क्यों ??? क्या आप बता पायेंगे ?

अक्तूबर 20, 2010

आदमी


एक मित्र की दुकान में रुक कर उसका हालचाल जानना चाहा , इसी बीच एक ग्राहक ने दुकान में आकर शैम्पू देने को कहा , मित्र ने ग्राहक से ब्राण्ड और क्वांटिटी पूछी । खरीददार ने उल्टा पूछा अच्छा क्या रहेगा । मित्र ने  उसे समझाना शुरु किया देखिए यदि आप शैम्पू का शैशे लेते हैं तो  उतनी ही मात्रा आपको आधी कीमत पर मिल सकती है यानि कि 100 एम एल के 30 शैशे आपको 28 रुपये मे मिलेंगे , और इतनी ही मात्रा इसी कम्पनी की आप यदि बॉटल पैक लेते हैं तो 45 रुपये ,दूसरी कम्पनियों के लगभग 60 में आएंगे ,बोलिए क्या दूं । उस समझदार आदमी ने  बिना देर किये शैम्पू की बॉटल खरीदी और कारण समझाया कि दरअसल शैशे तो उसकी कामवाली बाई भी लेती है न , फ़िर वह भी वही ले , अच्छा नहीं लगता ।

अक्तूबर 16, 2010

विजयादशमी की शुभ कामनाएं - बहुत बहुत बधाईयाँ

भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है।  दशहरा अथवा विजयादशमी राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। वर्तमान संदर्भ में चिंता का विषय यह है कि प्रति वर्ष धन पिशाचों के बल पर रावण के पुतले का कद बढ़ रहा है और रावण का कद बढ़ाने में जुटे धन पिशाचों को उनके इस कृत्य पर गर्व भी है ।
                                   बुराईयों पर विजय पाईये 
                                     आईये विजयादशमी के शुभ अवसर 
                                        पर मिठाईयाँ - पान खाईये ।
                                                                                                                                                                                         शुभ कामनाएं

फ़िल्म दिल्ली 6 का गाना 'सास गारी देवे' - ओरिजनल गाना यहाँ सुनिए…

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