
डा. विनायक पर छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दायर किया गया है ।
माओवादियों का मददगार करार देकर उन्हें मई 2007 में गिरफ्तार किया गया था । दो साल जेल में बीताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें जमानत दी थी । डा. विनायक पर आरोप लगाया गया था कि बिलासपुर जेल में बंद माओवादी नेता नारायण सान्याल की चिट्ठियां वे अन्य माओवादियों तक पहुंचाते थे । आसित सेन पर नक्सली साहित्य छापने का आरोप है । जेल में सजा काट रहे पीयूष गुहा पर भी माओवादियों को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया गया है । 2007 में रायापुर रेलवे स्टेशन पर गिर फ्तार किये जाते वक्त इनके पास से नारायण सान्याल की लिखी चिट्ठी मिली थी । पीयूसीएल नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. बिनायक सेन देशद्रोह के मामले में दोषी ठहराए गए हैं । शुक्रवार को रायपुर सेशन कोर्ट ने बिनायक सेन को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, लोगों को भड़काने और प्रतिबंधित माओवादी संगठन के लिए काम करने के आरोप में दोषी करार दिया है। इस मामले पर बिनायक सेन के वकील ने कहा कि वह सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे ।
गौरतलब है कि डॉ. विनायक सेन को पुलिस ने छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा कानून के अंतर्गत 14 मई 2007 को गिरफ्तार किया था । उन पर नक्सलियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगा था। हाई कोर्ट ने डॉ. सेन को जमानत देने से इनकार किया इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके खिलाफ चार्ज शीट दायर की ।
दिसंबर 2007 ने सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. सेन की जमानत को निरस्त कर दिया। स्वास्थ्यगत कारणों से मई 2009 में डॉ. सेन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी ।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी 2011 तक इस मामले का फैसला देने की आखिरी तारीख निश्चित की थी ।
अभुत्तवपुर्व,अकल्पनीय ,अदभुत फ़ैसला है माननीय न्यायलय का,आज फ़िर से न्यायलय ने दिखा दिया है की दोषी कोई भी हो वह बच नही सकता है। भारतीय न्यायपालिका की जय हो।
जवाब देंहटाएं... svaagat yogy nirnay !!!
जवाब देंहटाएंआप प्रभावी ब्लॉग लेखन
जवाब देंहटाएंकर रहे हैं...आगे आशाएँ जुड़ी रहेंगी.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
अदालत का फै़सला सर्वोपरि है। ज़रूर इनके ख़िलाफ़ ठोस सबूत रहे होंगे।
जवाब देंहटाएंआपको क्रिसमस व नये साल की ढेरों शुभकामनाएँ।
उम्मीद की जानी चाहिए कि ऊपरी अदालतें भी इस सज़ा को बरक़रार रखेंगी। दोषियों को सज़ा मिलने से आम जनता में भी अच्छा संकेत जाएगा।
जवाब देंहटाएंऐसे निर्णयों से जनता में न्याय के प्रति विश्वास कायम रहेगा ...आपका प्रयास स्वागत योग्य है
जवाब देंहटाएंजैसी करनी वैसी भरनी।
जवाब देंहटाएंदेर है पर अंधेर नहीं है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि विनायक के खिलाफ अदालत में पेश सबूत मनगढ़ंत नहीं थे।
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