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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

दिसंबर 24, 2010

डा. विनायक सेन, नक्सली नेता नारायण सान्याल और पीयूष गुहा राजद्रोही करार

 रायपुर की एक स्थानीय अदालत ने डा. विनायक सेन, नक्सली नेता नारायण सान्याल और पीयूष गुहा को राजद्रोह और छत्तीसगढ जन सुरक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया ।
डा. विनायक पर छत्‍तीसगढ़ जनसुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दायर किया गया है ।
माओवादियों का मददगार करार देकर उन्‍हें मई 2007 में गिरफ्तार किया गया था । दो साल जेल में बीताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन्‍हें जमानत दी थी । डा. विनायक पर आरोप लगाया गया था कि बिलासपुर जेल में बंद माओवादी नेता नारायण सान्‍याल की चिट्ठियां वे अन्‍य माओवादियों तक पहुंचाते थे । आसित सेन पर नक्‍सली साहित्‍य छापने का आरोप है । जेल में सजा काट रहे पीयूष गुहा पर भी माओवादियों को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया गया है । 2007 में रायापुर रेलवे स्‍टेशन पर गिर फ्तार किये जाते वक्‍त इनके पास से नारायण सान्‍याल की लिखी चिट्ठी मिली थी । पीयूसीएल नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. बिनायक सेन देशद्रोह के मामले में दोषी ठहराए गए हैं । शुक्रवार को रायपुर सेशन कोर्ट ने बिनायक सेन को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, लोगों को भड़काने और प्रतिबंधित माओवादी संगठन के लिए काम करने के आरोप में दोषी करार दिया है। इस मामले पर बिनायक सेन के वकील ने कहा कि वह सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे । 
गौरतलब है कि डॉ. विनायक सेन को पुलिस ने छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा कानून के अंतर्गत 14 मई 2007 को गिरफ्तार किया था । उन पर नक्सलियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगा था। हाई कोर्ट ने डॉ. सेन को जमानत देने से इनकार किया इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके खिलाफ चार्ज शीट दायर की । 
दिसंबर 2007 ने सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. सेन की जमानत को निरस्त कर दिया। स्वास्थ्यगत कारणों से मई 2009 में डॉ. सेन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी । 
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी 2011 तक इस मामले का फैसला देने की आखिरी तारीख निश्चित की  थी ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. अभुत्तवपुर्व,अकल्पनीय ,अदभुत फ़ैसला है माननीय न्यायलय का,आज फ़िर से न्यायलय ने दिखा दिया है की दोषी कोई भी हो वह बच नही सकता है। भारतीय न्यायपालिका की जय हो।

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  2. आप प्रभावी ब्लॉग लेखन
    कर रहे हैं...आगे आशाएँ जुड़ी रहेंगी.
    =============================
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  3. अदालत का फै़सला सर्वोपरि है। ज़रूर इनके ख़िलाफ़ ठोस सबूत रहे होंगे।

    आपको क्रिसमस व नये साल की ढेरों शुभकामनाएँ।

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  4. उम्मीद की जानी चाहिए कि ऊपरी अदालतें भी इस सज़ा को बरक़रार रखेंगी। दोषियों को सज़ा मिलने से आम जनता में भी अच्छा संकेत जाएगा।

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  5. ऐसे निर्णयों से जनता में न्याय के प्रति विश्वास कायम रहेगा ...आपका प्रयास स्वागत योग्य है

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  6. जैसी करनी वैसी भरनी।
    देर है पर अंधेर नहीं है।

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  7. उम्मीद की जानी चाहिए कि विनायक के खिलाफ अदालत में पेश सबूत मनगढ़ंत नहीं थे।

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आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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