लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
दिसंबर 10, 2010
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है …
छत्तीसगढ़ की जनता का दर्द कुछ अनोखा ही है । जिस-जिस को और जब-जब यहाँ लोगों ने सर आँखों पे बिठाया, उसने चार दिन बाद उसी जनता से बड़ी ही ढ़िठाई से पूछा है - कि तू क्या है … ? और ठगी सी रह गई जनार्दन कही जाने वाली जनता । देश के परिप्रेक्ष्य में भी यही देखा - महसूस किया जा रहा है । जिसे भी हम अपना नेता चुनते वह नमक हलाल न होकर चंद दिनों में ही लाल हो कर दिखाता है ।हम सब इन दिनों नेता और अधिकारियों के "भ्रष्ट आचरण" से परेशान हैं । भारतीय नागरिक इन दिनों दोहरा दर्द झेल रहे हैं । बेकाबू - बेलगाम "मंहगाई" की मार समानान्तर चल ही रही है , ऊपर से एक के बाद एक नित्य नए "घोटालों" की खबर , वह भी करोड़ों - अरबों रुपयों की । ऐसी खबरों ने मानो आम लोगों का दर्द बढ़ा दिया है । पहला दर्द यह कि इन प्रतिस्पर्धी भ्रष्टाचार और घोटालों पर काबू करने वाला कोई दिखता नहीं है । दूसरा पकड़े जाने के बाद भी ऐसे अपराधी समाज में सिर उठाए घूम रहे हैं । सैर - सपाटे पर सपरिवार विदेशों की यात्राएं कर रहे हैं । नित्य नये बंगले - नई देशी-विदेशी कारें खरीद कर लोगों को चिढ़ाते खुली सड़कों पर मौज-मस्ती करते दिख रहे हैं । यह कहते भी नहीं शर्माते हैं कि अच्छा है सस्पेंड कर दिया , घूम घाम लें । लौटकर सब ठीक कर लेंगे , तब तक मामला भी ठण्ढ़ा पड़ जायेगा , लोग भूल जायेंगे । और हो भी यही रहा है। छत्तीसगढ़ में कुछ ज्यादा ही ,लेकिन लोग भूल नहीं रहे हैं बल्कि और अधिक आक्रोशित हैं । हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने आधा दर्जन बड़े अधिकारियों को और उनके अपराधों को माफ़ कर दिया बिना इस बात की परवाह किये कि इसका जनमानस पर क्या असर होगा । मिर्जा गालिब की गज़ल की चंद वो लाईनें बरबस ही याद आतीं है कि - "हए एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है ? तुम्ही कहो कि ये अंदाज - ए - गुफ़्तगु क्या है , रगों में दौड़ते फ़िरने के हम नहीं कायल , जब आँख ही से न टपका तो फ़िर लहू क्या है … " यहाँ कुछ इसी अंदाज में सरकार अपनी जनता को और जनता सरकार को यहाँ देख रही है । सरकार की इसके पीछे छिपी सोच शायद यही होगी कि जनता का क्या है वह तो बिकाऊ है ,चुनाव के समय फ़िर खरीद लेंगे , उन्हीं के बीच से तमाम एजेंट भी हैं उसके पास । लेकिन कहीं जनता को खुश करने की सोच में दोषी अधिकारियों को सजा दे दी , अधिकारियों को माफ़ नहीं किया तो हमारी पोल खुल जायेगी और हम मुसीबत में पड़ जायेंगे । इन्हें सब मालूम ही नहीं है बल्कि सारी फ़ाईलें भी इन्हीं अधिकारियों के बस्तों में रहती है । इन्हें माफ़ करना जरूरी है , जनता का क्या ? वह मरती रहेगी सड़क , पानी, बिजली, मंहगाई , स्कूल अस्पताल और राशन-पानी के बोझ तले , मरने दो । छत्तीसगढ़ पिछले दस सालों से इसे लूटने वालों की नजर में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है । दिल्ली , कोलकता , हरियाणा , जयपुर , जोधपुर , ओड़िसा काटाभांजी , मुम्बई नागपुर और न जाने कहाँ-कहाँ से बड़े व्यापारी यहाँ आकर सत्त्ता के गलियारों से चिपके हैं ,सारा कामकाज सम्हाल रहे हैं । भ्रष्टाचार का आलम यहाँ यह है कि इनमें से कोई भी हजारों करोड़ रुपयों से नीचे की सम्पत्ति की बात नहीं करता है । मुख्यमंत्री बनने का सपने देख रहा एक मंत्री (भाईबंद सहित)और कांग्रेस के आधा दर्जन पूर्व मंत्री - विधायक जमीन के कारोबार में खुलेआम गुण्डागर्दी करते देखे-सुने जा सकते हैं । तमाम एन जी ओ अधिकारियों की गिरफ़्त में हैं , लेकिन इनके विरूद्ध कार्यवाही तो दूर कोई मुँह खोलने की हिम्मत नहीं कर रहा है । सत्तारूढ़ भाजपा का काँग्रेस के साथ इस मसले पर मानो खुल्लमखुल्ला गढ़बंधन जैसा है । यहाँ इस सफ़लता का श्रेय भाजपा को देना ही पड़ेगा ,जिसने काँग्रेस को उसके साथ प्रेम संबंध बनाने मजबूर कर दिया और आज यहाँ दोनो को फ़ील गुड है अब ऐसे में यदि यहाँ करप्शन का ग्राफ़ बढ़ता है,तो बढ़ने दो , फ़िर भला अधिकारी इस बहती गंगा में हाँथ धोने से क्यों चूकें ? बिहार का सोफ़ेस्टिकैटेड स्वरूप निर्मित किया है जमीन दलालों-लुटेरों ने यहाँ । सरकार भी सब कामकाज भूल कर बिल्डर की भूमिका में देखी जा रही है , जबरिया लोगों की जमीनें लेकर मकान, दुकान, मल्टिप्लेक्स, मॉल ,रेसिडेंसियल सिटीस बनाने में मस्त है। यदि आपके पास भी ऐसा कुछ करने का माद्दा है आईये छत्तीसगढ़ , आपका भी स्वागत है इस सरकार के रहते रहते आप भी लूट जाइये इस प्रदेश को । भोले-भाले आदिवासियों और सीधे-साधे छत्तीसगढ़ियों का राज्य है यह ।
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भाजपा ने कांग्रेस से जितने प्रगाढ़ सम्बन्ध छ्त्तीगढ में बना लिये हैं, वैसे सम्बन्ध तो आज-कल बाप-बेटे, सगे भाईयो और पति-पत्नी के बीच भी देखने को कम ही मिलते है। इन्ही सम्बन्धों के चलते छतीसगढ़ में लोकतंत्र का ये हाल हैं।
जवाब देंहटाएंएकमुश्त वोट देने वाला वर्ग चेपटी और चावल में सेट हो जाता है। इनके अलावा मुट्ठीभर सपलायर और स्टील-बिजली पैदा करनेवाले दिन रात भाजपा को हर हाल मे मजबुत रखना चाह्ते हैं।
आगे अन्जाम खुदा जाने।
देश वाकई कठीन दौर से गुजर रहा है। नैतिक्ता का पतन और भ्रष्टाचार का ह्मारे खुन मे मिल जाना, इसका सबसे बडा कारण है। जिस राजनितिक विचारधारा/द्ल ने आजादी दिलाने में एवम् देश की निव रखने मे सबसे महत्वपूर्ण भुमिका अदा की है उसे वापस अपने पुराने दौर मे लौटना होगा-उसी ईमान्दारी, निशठा और समरपण के साथ्। जिन बहुरुपियो का आजादी दिलाने एवम राष्ट्र निर्माण मे कोई योगदान नही रहा वो आज नैतिकता, राष्ट्रवाद, सुशासन, सन्सकार, शुचिता, धर्म, के ठेकेदार बने बैठे है। समय का तकाजा है कि घर मे बैठ कर टिप्पणी करने के बजाय अच्छे लोगों को सिधे सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेनी होगी। विशेषकर नौजवानों का इस क्षेत्र मे सिधा हस्तक्षेप तय किया जाना चाहिये। तभी हम पुनः पटरी पर वापस लौट पाएँगें।
जवाब देंहटाएंहर शाख़ पे ऊल्लु बैठा है,अंनजामें गुलिस्ताँ क्या होगा । बर्बादें गुलिस्ताँ करनें को , बस एक ही ऊल्लु काफ़ी है ॥
जवाब देंहटाएंvicharneeya bindu...hain..
जवाब देंहटाएं@ Matrix Jee se hahamat ha ha ha ha
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