छत्तीसगढ़ राज्य के दस साल पूरे होने पर रायपुर के साइंस कालेज मैदान में मंगलवार को राज्योत्सव की रंगारंग शुरुआत हुई। महोत्सव का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल शेखर दत्त ने कहा कि इन दस सालों में राज्य ने काफी तरक्की की है। खनिज संसाधनों के साथ ही उद्योगों का भी विकास हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दस सालों की विकास यात्रा को गौरवशाली बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षो में प्रदेश का नागरिक हर क्षेत्र में तरक्की करेगा। समारोह के पहले दिन अभिनेता सलमान खान की मौजूदगी खास रही। इसके अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल भी मौजूद थे। इस मौके पर संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य की सांस्कृति विरासतों व धरोहरों का गुणगान किया। नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने कहा कि उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्य एक साथ बने हैं और तीनों ही राज्य उन्नति कर रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को 01 नवम्बर 2010 को दस बरस पूरे हो जायेंगे । हर बरस इस खुशी में हमारे प्रदेश में एक बडे मेले का आयोजन किया जाता है जिसे 'राज्योत्सव' का नाम दिया गया है । इस मेले में शासन गरीबों की गाढ़ी कमाई में से करोड़ो रुपये फ़ूंकता है , मुम्बई ने नामी-गिरामी नाचने-गाने वाले आते हैं और मंत्रियों- बडे अधिकारियों , बडे व्यापारियों , इनके परिजनों के मनोरंजन का सार्वजनिक इंतजाम किया जाता है । ये वी वी आई पी बन कर सोफ़ा सेट पर बैठ कार्यक्रमों का मजा लेते हैं , और प्रदेश की गरीब जनता - युवा , महिला-पुरुष पीछे दूर खड़े तमाशा देखते रहते हैं । बीच-बीच में पुलिस आकर इनपर अपना रोब दाब दिखा कर व्यवस्था बनाती दिखती है । पूरे सात दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम को गौर से देखें तो बर्बस ही अंग्रेजों की याद आ जाती है । छत्तीसगढ़ियों को दर किनार कर उन्हे पीछे धकेल कर सातों दिन कार्यक्रम का पूरा मजा लूटते हैं -राज्य शासन के मंत्री- बडे अधिकारी , बडे व्यापारी , और इनके परिजन - चाहने वाले । संक्षेप में यही है छत्तीसगढ़ का 'राज्योत्सव' । सरकारी खर्चे पर बडे लोगों का आनंद मेला । पूरे सात दिनों तक और बाद में भी चापलूस इसकी भी जय जयकार करते देखे जायेंगे। जिसकी इस वर्ष शुरुवात 26अक्टूबर की शाम हो गई है यह उत्सव एक नबम्बर तक चलेगा । शायद आप यह भी जानना चाहेंगे कि क्या है -
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कामन-वेल्थ में भी तो यही हुआ था.
जवाब देंहटाएंसदा यही होते आया है।
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं आप।
जवाब देंहटाएंआपकी बात से असहमत होने का तो सवाल ही नहीं है यहां। उपर से हद तो तब करते हैं ये संस्कृति के पहरुए कि इस पूरे आयोजन में छत्तीसगढ़िया संस्कृति एक कोने में दुबक कर सिसकती रहती है और मुंबईया फिल्मी संस्कृति का ही जलवा दिखाई देता है। हमारे मुख्यमंत्री से लेकर संस्कृति मंत्री भी यह जानकर हैरान नहीं होते कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति के आयोजन के लिए जितनी रकम विभाग मंजूर करता है उसका कितना ज्यादा गुना मुंबईया संस्कृति के कार्यक्रम के लिए बिना किसी हीलहवाले के मंजूर कर दिए जाते हैं।
जवाब देंहटाएंअरे हां, लिंक खुल नहीं रहा है, देखिए कहीं कोई गड़बड़ हो गई है।
जवाब देंहटाएंmai to us aadami ke dimaag k bare mey soch raha hoo, jisanae yah ''papalu'' fit kiya, had hai hamare janpratinidhi.....itane baune ho gaye ye log....?
जवाब देंहटाएंभाई साह्ब,उप्ररोक्त विशय चिन्ता का है और गरीब कि मेहनत कि कमाई इसमे झोकी जा रही है .
जवाब देंहटाएंInka kuchh na kuchh to karna hi chahiye bhai sahab ..
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