दोस्तों शादीयों का सीजन आ गया । हम आप बहुत सी शादीयाँ अटेंड करेंगे । पार्टियाँ अटेंड करेंगे और देखेंगे कि कैसे लोग असत्तियों की तरह गिरते तक लबलबा कर अपनी खाने की प्लेट भरेंगे ,जैसे कि पहली बार पार्टी का खाना खा रहे हैं या फ़िर उन्हें दुबारा कोई खाना लेने से रोकेगा या खाना ही खत्म हो जायेगा । और शायद इसी डर से वे लोग अपनी - अपनी खानें की प्लेटें इतनी भर लेंगे कि उसे खा भी नहीं पायेंगे और बेझिझक बड़ी बेशर्मी के साथ बचा हुआ खाना ड्स्टबीन में डाल कर चलते बनेंगे ।
सच मानिये भारतीय विवाह वस्तुत: अब पारिवारिक आयोजन न रहकर सामाजिक एवं आर्थिक हैसियत और पारिवारिक शक्ति प्रदर्शन का भौण्डा हथियार बन गये हैं। यही कारण है कि वे सार्वजनिक मेलों की तरह आयोजित होते हैं । विवाह स्थल पर लोग एक दूसरे को धक्का देकर खाना खाते हैं। समारोह स्थल पर थर्मोकोल और प्लास्टिक के गिलासों के पहाड़ बन जाते हैं। हर आदमी थाली में बड़ी मात्रा में झूठन छोड़ता है।
एवरेज हजार लोगों की पार्टी में लगभग 250 - 300 लोगों के खाने लायक का खाना बेकार कर यूं ही फ़ेंका जाता है । यह हम सभी आये दिन शादी - पार्टियों मे देखते हैं । अन्न की इस बरबादी को कैसे रोका जा सकता है , हम सब को मिलकर ही सोचना होगा । समझना ही होगा कि हम सब मे से ही बहुतों से यह गलती होती है । अन्न की ही तरह पानी की भी बरबादी को भी समझबूझ कर रोकना होगा । इस जरूरत को प्राथमिकता के आधार पर समझना होगा । कैसे इस सवाल का जवाब भी अपने आपसे ही पूछ्ना और अपनी आवाज सुन कर समझना होगा । क्या हम अपने आप को , अपने मित्रों को , अपने रिश्तेदारों को इस दिशा में सहयोग देने की समझाईस दे सकते हैं ?
असल में खाने वाले को यह ही नहीं पता रहता कि उसके पेट में कितनी जगह है। वह सारे आयटम प्लेट में डाल लेता है और नहीं खा सकने पर प्लेट सहीत कूड़े दान में डाल कर चल देता है।
जवाब देंहटाएंबफ़े पार्टियों का मतलब है कि जो आईटम आपको पसंद है थोड़ा थोड़ा सबका आनंद लीजिए।
कुछ तो समझ आना चाहिए लोगों को
इससे तो अच्छा अपनी पंगत पार्टी है जिसमें भोजन जाया नहीं जाता।
सार्थक पोस्ट आशुतोष भाई
Definately the old PANGAT SYSTEM is the best. It helps avoid wastage and also takes care of every guest on a personal basis.
जवाब देंहटाएंIndira Ji wore a pink khadi saree on her marriage day that Nehru Ji had woven in jail. Arjun Singh's son Ajay (Rahul) Singh's barat had only 10/15 baratis because he did not intend to put the bride's parents in any sort of ackward position. On the other hand we just heard about the GRAND GADKARI MARRIAGE.
I firmly believe that there is a big difference between AMIR & RAEES.
ललित भाई,शिलपा जी,आशुतोष भाई। बात जब खाने खिलाने कि हो रही है तो मेरा बोलना लाज़मी होगा क्युकि मै भी खाने खिलाने का शौकीन रहा हुं,और ये शौक़ युंही नही है,बाप दादों से मिला है मेहमान नवाज़ी का पुरसूकून जज़्बा। ख़ैर रही बात दावतों की तो मैं इतना ही कहुंगा की खिलाने और खाने पे संयम रखें और ये ज़रुर याद रखें कि आप अपने लिये खिला रहें है और आप अपने लिये खा रहें है। आप कोई विनोद दुआ तो है नही जो अकेले देश के लिये खातें है। ये काम आप दुआ जी के लिये ही छोड दें क्युंकि बिरले होते है जो देश के नाम पर खा कर हज़म भी कर जाते है, बहरहाल बात खाना बरबाद करने कि चल रही थी तो मै आप से निवेदन करुंगा कि अपने दोस्तों को ये मैसेज बताएं और निवेदन करें की कम से कम हम अपने घरों के कामों में खाना कम से कम नष्ट करें। नहीं तो--------------आज इतनी भी नहि बाक़ी तेरे मैख़ाने मे, जितनि कभी छोड दिया करते थे हम पैमाने मे।
जवाब देंहटाएंThankx matrix for a good reaction . Your Welcome My Dear Friend .
जवाब देंहटाएंhum aapki baat se sehmat hain dost such me yesa hi hota hai kaash vo is barbadi ko apne ghar ki barbadi samjhte .
जवाब देंहटाएंkhubsurat post bdhai dost
लिखते तो सभी हैं, लेकिन सामयिक लेखन परिणामदायी भी होता है।
जवाब देंहटाएंकोई समझे या नहीं समझे, हमें अपने आपको समझाना है। हर एक को स्वयं को ठीक करना है। इसका यही एक मात्र रास्ता है।
आज एसएमएस का जमाना है। हम इसे भी आजमा सकते हैं।
जिन लोगों को भोजन के अभाव में भूख से मरने वाले लोगों और कुपोषण के शिकार बच्चों की असलियत मालूम होती है वे कभी झूठा खाना नहीं छोडते।
जिन परिवारों में झूठन छोडने को ठीक नहीं समझा जाता, उन परिवारों के बच्चे तक झूठन नहीं छोडते।
गलत को गलत नहीं कहकर, हम इसे समय का बदलाव कहकर किनारा कर लेते हैं।
यह भी भोजन की बर्बादी सहित, बहुत सारी बुराईयों का कारण है।
सार्थक लेखन, साधुवाद।
शुभकामनाओं सहित।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
सार्थ्क मुद्दा उठाया है !
जवाब देंहटाएंइस बात की शिकायत मुझे भी लोगो से हमेशा रही है.कहीं भी जाती हूँ मेरी नजर भरी थालियों को झूठे में पड़ी देख मनको बहुत दुखाती है.मैं अक्सर लोगों को समझती हूँ कि घर में आप मात्र एक रोटी व्यर्थ फैंकते हैं तो साल में तीन सौ पैंसठ रोटियां.....उसे इकट्ठा जमा कर रखिये और देखिये.इस तरह हम अपनी खरी मेहनत और किसान की मेहनत को जाया करते हैं.कस कर भूख लगने पर जब कुछ भी खाने को नही मिले तब इन रोटियों को याद कीजिये आप अन्न को यूँ व्यर्थ नही जाने देंगे.प्लेट में थोडा थोडा लीजिए जरूरत पड़े दुबारा ,तिबारा लीजिए कौन मना कर रहा है.किन्तु......
जवाब देंहटाएंजागरूकता लाने वाली पोस्ट.एक व्यक्ति भी इससे प्रेरित हो कर जीवन में अन्न की कीमत समझ लेता है और समारोहों में झूठा फैंकना बंद कर देता है तो हम सभी के लिए इस पोस्ट और इसकी जैसी पोस्ट का लिखना और पढ़ना सार्थक हो जायेगा.सच्ची.साधुवाद इस पोस्ट के लिए.
श्री ललित जी , शिल्पा जी , मैत्रिक्स जी , मिनाक्षी जी , पुरुषोत्तम मीणा जी , जगदीश जी , इंदुपुरी गोस्वामी जी आप सभी ने इस पोस्ट पर न केवल अपने मूल्यवान विचार प्रेषित किए वरन एक महत्वपूर्ण विषय पर पोस्ट की आधी-अधूरी बातों को पूरा किया है । आप सभी का हृदय से आभार मानता हूँ । सच है एक भी आदमी इस बात का ध्यान रखता है कि खाना नहीं फ़ेंकना है, और किसी और को भी समझा पाता है तो सार्थकता सिद्ध होगी । नेटवर्क ब्लॉगस पर इस पोस्ट को राकेश गुप्ता जी, भाई देवेन्द्र शर्मा , संदीप नैयर,संजय मिश्रा 'हबीब', और विनय शर्मा जी ने भी लाईक किया । आप सब का भी आभार । आशा है आप सभी का स्नेह बना रहेगा । पुनः आभार - धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआशुतोषजी,
जवाब देंहटाएंआपके समाचारों सहित मधुर गीत संकलनों का फेसबुक पर निरन्तर मेरे द्वारा देखा जाना जारी है । जब बहुसंख्यक आबादी भूखमरी की कगार पर जीवनयापन कर रही हो तो विवाह कार्यक्रमों में होने वाली अन्न की बर्बादी पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है । आपका विषयानुकूल चिंतन आपकी जागरुकता को भी रेखांकित करता है ।
मेरे ब्लाग नजरिया को भी अपना समर्थन देने के लिये मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ । कृपया नजरिया पर मेरी नई पोस्ट "भ्रष्याचार पर सशक्त प्रहार" पर आपके सार्थक विचारों की प्रतिक्षा रहेगी । धन्यवाद सहित...