लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
अक्तूबर 20, 2010
आदमी
एक मित्र की दुकान में रुक कर उसका हालचाल जानना चाहा , इसी बीच एक ग्राहक ने दुकान में आकर शैम्पू देने को कहा , मित्र ने ग्राहक से ब्राण्ड और क्वांटिटी पूछी । खरीददार ने उल्टा पूछा अच्छा क्या रहेगा । मित्र ने उसे समझाना शुरु किया देखिए यदि आप शैम्पू का शैशे लेते हैं तो उतनी ही मात्रा आपको आधी कीमत पर मिल सकती है यानि कि 100 एम एल के 30 शैशे आपको 28 रुपये मे मिलेंगे , और इतनी ही मात्रा इसी कम्पनी की आप यदि बॉटल पैक लेते हैं तो 45 रुपये ,दूसरी कम्पनियों के लगभग 60 में आएंगे ,बोलिए क्या दूं । उस समझदार आदमी ने बिना देर किये शैम्पू की बॉटल खरीदी और कारण समझाया कि दरअसल शैशे तो उसकी कामवाली बाई भी लेती है न , फ़िर वह भी वही ले , अच्छा नहीं लगता ।
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बहुत सुन्दर पोस्ट .आभार !
जवाब देंहटाएं... बहुत सुन्दर ... लाजवाब !!!
जवाब देंहटाएंHa ha ha Yahi se bhedbhav janam leta hai..
जवाब देंहटाएंग्राम -चौपाल में पधारने के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंदिखावे और झूठी - बनावटी जीवनशैली को लेकर जी नहीं बल्कि रोज मर रहा है आज का आदमी ।
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