लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
दिसंबर 16, 2010
तंग आ चुके लोगों ने भिखारी को ही बनाया नेता
नेताओं के झूठे वायदों से तंग आ चुकी उत्तर प्रदेश के एक गाँव की जनता ने इनसे निपटने का एक अनोखा तरीका निकाला । उत्तरप्रदेश के शहावर शाह में की बात है जहाँ गांव के लोगों ने कोरे वादे करने वाले नेताओं को ठेंगा दिखाते हुए ऐसे नेताओं की बजाय एक भिखारी को अपना नेता चुनना कहीं ज्यादा अच्छा समझा और ऐसा कर दिखाया है । मजे की बात तो यह है कि चुनाव जीतने के एक महीने बाद भी यह नया "नेता" भीख ही मांग रहा है , लेकिन अब भीख अपने साथ-साथ जनता के लिए भी । इस गाँव के मतदाताओं को कुल आठ उम्मीदवारों में से एक का चयन करना था। लेकिन उन्होंने सभी को नकारते हुए 70 वर्षीय नारायण नट को अपना नेता चुना। यह नट पिछले 40 बरसों से गांव में भीख माँग रहा हैं । चुनाव लड़ने और जीतने के बाद वह कहता है कि उसने सपने में भी कभी ऐसा नहीं सोचा था कि नेतागिरी भी करनी पड़ेगी , उसका मानना है कि अब तो ग्राम विकास के लिए आगे भी उसे भीख मांगना जारी रखना होगा । भीख में मिले सारे पैसों का उपयोग वह गांव के विकास के लिए करेगा । अभी तक आजकल के नेता भिखारी कहे जाते थे अब भिखारी भी नेता हैं , धन्य है समय की लीला । आगे-आगे देखिए और क्या-क्या देखने-सुनने को मिलता है ।
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धन्य है !
जवाब देंहटाएंजय हो ……………बस यही देखना बाकी था।
जवाब देंहटाएंलोगों ने अच्छे भले भिकारी को लुटेरा बना दिया,कल तक जो लोगों से भिक मांगता था वो अब उन्हि को लुटेगा॥ भिकारी भले ही सज्जन वय्क्ति होगा लेकिन अब उसके शरीर में नेता वाला वायरस प्रवेश कर गया है,अब तो गांव वालों क भगवान ही मालीक है।
जवाब देंहटाएंअशोक बजाज जी आपके आगमन एवम कथन के लिए कोटिशः धन्यवाद । सम्बल बनाए रखेंगे ,विश्वास है । वन्दना जी आपने ठीक ही कहा जय हो । सत्यमेव जयते हो । मालुम नहीं नेताओं पर जो बेशर्मी के पर्याय भी हैं , इस घटना का कुछ असर भी होगा , लेकिन लोगों को तो अपना काम करते रहना चाहिए । Matrix की चिंता भी सही है , अपने काम पर लगा आदमी सचमुच कहीं नेतागिरी के वायरस का शिकार न हो जाए । ईश्वर उसकी रक्षा करें । आप सभी के आगमन एवम महत्वपूर्ण विचार रखने के लिए आभार - धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंThis is probably the 1st of it's kind, incident. Few years back, an old female labourer, at a stone crusher in Bihar was elected as Member of Lok Sabha of her constituency. But the latest elected representative from a village in U.P. and that too at the age of 70 has really shattered the citizens of this DECMOCRATIC NATION. Will the Politicians and Govt. Officials do serious introspection.
जवाब देंहटाएंOne amazing thing about this BEGGER neta is that he still wants to continue his Profession. It shows that he still wants to remain HONEST by continuing to BEG for his livelihood and opt for any CORROUPT means.
This is the 8th colour of INDIAN DEMOCRATIC INDRA-DHANUSH. God save this country.
Please read .......BEG for livelihood than opt for any CORROUPT means.
जवाब देंहटाएंThanx Neta ji .
जवाब देंहटाएंNeta jee, this is not fun,does it not stink where the nation is going,what path its progressing.does it make any sense in electing a beggar as our representative.What does it mean,this is simply reddiculas and a criminal wastage of Govt's money,and precious time.To avoid is better than curing wrongly.I strongly criticizes the Idea and appeal the masses to not do such kind of mistakes as this may unvail our country's Democracy.
जवाब देंहटाएंनारायण जी को इस चयन पर बधाई. उन्होंने नेतागिरी की कभी सोचा नहीं था, फिर तो बात नामांकन से शुरू होनी चाहिए. खबर अधूरी जैसी लग रही है, बल्कि खबर से अधिक कहानी लग रही है.
जवाब देंहटाएंभाईयों मैं भी आप लोगों कि आज्ञा चाहता हुं,खरीखोटी सुनाने की।
जवाब देंहटाएंभिखारी को नेता बना दिया... जोरदार खबर...
जवाब देंहटाएंकाश इसका उलटा भी होता...
आमीन , हबीब साहब की और हम सभी की ऐसी इच्छा पूरी हो !!!
जवाब देंहटाएंजरूर वन्दना जी , आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंnice
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