दीपावली का त्यौहार सभी ने मना लिया ,बधाइयाँ । मुझे ऐसा प्रतीत हुआ इस वर्ष की दीपावली गत वर्ष की अपेक्षा कुछ ज्यादा इको फ़्रेण्डली रही । आतिश बाजी भी अपेक्षाकृत कम हुई , हरे-हरे केले के पेड़ो को काटा तो गया लेकिन खरीददारों ने तरजीह नहीं दी ,तभी जगह-जगह जहाँ से बिकते थे वहाँ ही बिना बिके पडे देखे गये। नकली खोये के भय ने भी अपना काम किया ,घरों में बेसन-आटे की मिठाइयाँ -घर के बने नमकीन ज्यादा दिखे । बच्चों ने भी अपेक्षाकृत बडे बम कम ही फ़ोडे , आकाशिय फ़टाके कहीं ज्यादा चलाये । घरेलू सजावट में भी चायनिज रंगीन बल्बों का अधिक्ता में प्रयोग किया गया हो ऐसा भी कहीं नहीं दिखा । अच्छा है जागरुकता आए । लेकिन वहीं दूसरी ओर शहर के हर बडे अखबारों ने जिन्होंने ढ़ेरों विज्ञापन पूरे हफ़्ते भर छापे थे उन्हें शायद मजबूरी में यह बताना पडा अपनी रिपोर्ट में कि राजधानी में करोड़ों का बर्तन , सोना-चाँदी , कपड़ा , आटोमोबाईल , फ़टाका बिका । बाज़ार बूम रहा । ये बाज़ार को बूम बताने वाले आंकड़े भी हर एक ने अपने-अपने ढ़ंग से बताए । ऐसी रिपोर्ट को लेकर बाज़ार में तरह - तरह की चर्चाएं होतीं रहीं , खुद अधिकांश व्यवसायी हतप्रभ थे । संक्षेप में कुछ ऐसी रही इस बार की दीपावली ।
बेहतरीन प्रस्तुति .बधाई !
जवाब देंहटाएंthanks bajaj ji
जवाब देंहटाएंभाई साहब,आपकी मर्ज़ी है, आपका अखबार है कुछ भी लिखे
जवाब देंहटाएंachha vishleshan
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