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मेरा अपना संबल
दिसंबर 04, 2010
ओछी मानसिकता
हरियाणा के बहादुरगढ़ कसबे में पूर्व सैनिक भगवान सिंह राठी के घर जन्में मित्र रविन्द्र राठी जी बताते हैं कि -
भारत माँ को अपने अमर सपूत तरुण शहीद खुदी राम बोस की शहादत पर सदा फक्र रहेगा और इनके सम्मान में हमारा सर सदा ही झुका रहेगा। मगर मुजफ्फरपुर में जहाँ उनका अंतिम संस्कार हुआ था, वहां कुछ देशद्रोही ताकतों ने एक जन शौचालय का निर्माण करवा कर अपनी ओछी मानसिकता का ही परिचय दिया है। मैं अपने सभी मित्रों से अपील करता हूँ कि आज उस महान क्रांतिकारी की जयंती पर सभी बिहार के मुख्यमंत्री (cmbihar-bih@nic.in) को पत्र लिखकर इस मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग करें। यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जय भारत। अमर शहीद खुदीराम बोस का जन्म 3दिसम्बर,1889 को ग्राम्य हबीबपुर, जनपद-मिदनापुर ,प0बंगाल में श्री त्रिलोक्यनाथ बोस के घर हुआ था। बताते हैं स्वदेशी आन्दोलन में भाग लेने के लिए खुदीराम बोस ने नवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ी थी। खुदीराम बोस का जन्म भारत वर्ष में आजादी के लिए लड़ने व क्रांति मार्ग को प्रज्जवलित करने के लिए ही हुआ था।
28फरवरी,1906 को ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ परचा बांटने के जुर्म में पुलिस सिपाही ने आपको पकड़ लिया। इस समय मात्र 15 वर्षीय खुदीराम बोस ने सिपाही को एक जोरदार तमाचा मारा और उससे अपना हाथ छुड़ा कर भाग निकले। 1अप्रैल,1906 को मिदनापुर के जिलाधीश की उपस्थिति में भी खूदीराम बोस ने वन्देमातरम् का नारा लगाया और पर्चे बांटे और वहाँ से भी बच निकले । 31मई,1906 को छात्रावास में सोते समय ही ब्रिटिश पुलिस खुदीराम बोस को गिरफ़्तार कर पाई । बंग-भंग आंदोलन के समय कलकत्ता का मुख्य मजिस्टेट किंग्सफोर्ड था।इसके दमन चक्र ने सारी हदें तोड़ दी थी। 28मार्च,1908 को किंग्सफोर्ड़ का तबादला मुजफफरपुर,बिहार कर दिया गया।
खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी को किंग्सफोर्ड़ को मारने का कार्य सौंपी गया। 30 अप्रैल,1908 को रात के 8बजे दोनों लोग यूरोपीयन क्लब पहुँचे। वहाँ किंग्सफोर्ड़ की गाड़ी के धोखें में कैनेड़ी परिवार की गाड़ी को बम फ़ेंक कर नष्ट कर दिया। फिर चाकी समस्तीपुर स्टेशन की तरफ तथा खुदीराम बोस बेनीपुर स्टेशन की तरफ भागे। चाकी ने 1मई,1908 को पुलिस द्वारा पकड़े जाने अपनी ही गोली से खुद को शहीद कर लिया । उधर 20-25 किमी पैदल चनने के बाद पुलिस के दो सिपाहियों ने खुदीराम बोस को दो रिवाल्वर,37कारतूस व नक्शों के साथ हिरासत में लिया । खुदीराम बोस को 21मई,1908 को मुजफफरपुर के मजिस्टेट के सामने पेश किया गया। वहाँ से अपराध स्वीकृति के बाद 25 मई,1908 को सेशन्स कोर्ट भेजा गया तथा 8जून,1908 को सेशन्स कोर्ट में सुनवाई हुई। जज ने खुदीराम बोस को फाँसी की सजा दी। 6जुलाई,1908 को हाईकोर्ट में अपील की गई। जिसकी सुनवाई 13 जुलाई,1908 को हुई। अभी खुदीराम की उम्र 18 वर्ष की भी नहीं थी लेकिन फाँसी की सजा हाईकोर्ट ने बरकरार रखी।
फाँसी के दिन 11अगस्त,1908 को खुदीराम बोस का वजन दो पौण्ड़ बढ़ गया था। प्रातः 6बजे उन्हें फाँसी दे दी गई । गंड़क नदी के तट पर खुदीराम बोस के वकील श्री करलीदास मुखर्जी ने उनकी पार्थिव काया अग्नि को समर्पित की ।हजारों की संख्या में युवकों का समूह एकत्रित था। अमर शहीद खुदीराम बोस चिता की आग से निकली चिंगारियां सम्पूर्ण भारत में फैली। चिता की भस्मी को लोगों ने अपने माथे पर लगाया , पुड़िया बांध कर घर ले गये। खुदीराम बोस ही प्रथम शख्स हैं जिन्होंने बीसवीं सदी में आजादी के लिए फाँसी के तख्ते पर अपने प्राणों की आहुति दी थी।
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His life was filled with anguish and a thirst to fight back just like many other teenagers in the the town, but as many dreamt, he lived his dream.
जवाब देंहटाएंWhen you tuck in your bed tonight for a warm and safe sleep, remember there were thousands of Khudiram's who made your country a free nestle – just for you and me.
आज ही ब्रजकिशोर प्रसाद जी के ब्लॉग 'इतिहास और अपना समय' पर उधम सिंह के बारे में पढ़ा, अच्छे विश्लेषण सहित और यहां जानकारीपूर्ण रोमांचक खुदीराम बोस, नमन.
जवाब देंहटाएं1992 मे बाबरी काड के बाद भिलाइ के एक बाहुबली नेता को ये बताया गया कि देश के बुद्धुजिवी उस स्थान पर अस्प्ताल, बगिचा, आदि बनाना चाह्ते है तो उन्होने केह दिया कि ऐसे मे तो राजघाट पर म्हात्मा गान्धी की स्माधि पर मुत्रालय बना देना चाहिये।
जवाब देंहटाएंधर्म, स्नस्कार, देशभक्ति, आदि कि एकमात्र ठेकेदार पार्टी जहा गठ्बनधन मे है वहा मुजाफ़पुर जैसि घट्नाओ पर कोई अचरज नहि।
Pt. Jawaharlal Nehru once said, " people choose their representatives, they deserve".
जवाब देंहटाएंआपने अच्छा लिख्ाकर देश्ाभ्ाक्त का प्रमाण्ा दिया है। आपको नमन करते है। सभी को बिहार सरकार को अवश्य लिखना चाहिए और उस जगह को खाली करवाकर वहां एक समृति स्थल का निर्माण करवाना चाहिए। आपको बधाई है।
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