मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत वन क्षेत्रों के अलावा आठ प्रतिशत ऐसी जमीन है, जिसे छोटे-बड़े झाड़ के जंगल बताकर उसे वन भूमि में शामिल कर लिया गया है। जबकि वास्तव में इस भूमि पर कोई जंगल नहीं है। इस भूमि पर आदिवासियों के लिए स्वास्थ्य केन्द्र, शाला भवन और अन्य विकास कार्य कराने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र जरूरी समझे तो केन्द्र और राज्य की संयुक्त निरीक्षण दल बनाकर इस भूमि का परीक्षण कराया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में कार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों द्वारा अर्जित किए जाने वाले राजस्व में से दस प्रतिशत हिस्सा स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए खर्च करने का प्रावधान किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से पिछड़े क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए आवश्यक संसाधन जुटाए जा सकते हैं। डॉ. सिंह ने छत्तीसगढ़ में वनोपज के व्यापार को नियमित करने के लिए सभी प्रकार के वनोपजों का समर्थन मूल्य घोषित करने तथा समर्थन मूल्य पर उनकी खरीदी करने की मांग की।
बैठक में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजी गई 4553 करोड़ रूपए की कार्ययोजना पर भी विचार किया गया। मुख्यमंत्री ने इस कार्ययोजना को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने की मांग की। ज्ञातव्य है कि राज्य शासन द्वारा केन्द्र को भेजी गई इस प्रस्तावित कार्ययोजना में कुल तीन लाख 70 हजार 499 कार्य शामिल किए गए हैं। इनमें सड़क सम्पर्क के लिए 1545.30 करोड़ रूपए, शैक्षणिक विकास और स्कूल भवनों के निर्माण के लिए 544.30 करोड़ रूपए, स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए 336.16 करोड़ रूपए, खाद्य एवं पोषण कार्यों के लिए 289.64 करोड़ रूपए, अधोसंरचना विकास के लिए 735.86 करोड़ रूपए, विद्युतिकरण् के लिए 167.32 करोड़ रूपए, कृषि एवं जीवकोपार्जन के कार्यों के लिए 873.21 करोड़ रूपए और सुरक्षा, राहत सहित अन्य विकास कार्यों के लिए 61.38 करोड़ रूपए का प्रस्ताव शामिल है।
१३० करोड़?...... मतलब bankok में एक और होटल और ब्रेड बेचने वालों का एक और tower done ?
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