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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

अगस्त 26, 2010

नौकरानी के शरीर में 23 कीलें ठोंक दीं

सऊदी अरब के एक परिवार ने दरिंदगी की सारी हदों को पार करते हुए अपनी नौकरानी के शरीर में 23 कीलें ठोंक दीं। अमानवीय यातनाएं झेलने के बाद श्रीलंका की यह नौकरानी अपने देश लौट गई है, जहां उसका इलाज चल रहा है। नौकरानी की पहचान आरियावथी (50) के रूप में हुई है।
श्रीलंका के न्यूज चैनल ‘न्यूजफस्र्ट सिरासा’ पर प्रसारित फुटेज में नौकरानी ने उन जख्मों के निशान दिखाए, जहां वक्त-वक्त पर कीलें ठोंकी गई थीं। उसने बताया कि उसे दिनभर काम करना पड़ता था। यदि वह थकान के बाद सुस्ताने की कोशिश करती तो दंड देने के लिए शरीर में कील ठोंक दी जाती।
उसके मालिकों ने धमकी दी थी कि यदि उसने इसका खुलासा किया तो उसे जान से मार दिया जाएगा। रियाद स्थित श्रीलंकाई दूतावास के एक अधिकारी ने कहा कि नौकरी दिलवाने वाले एजेंट ने इस बारे में दूतावास को कोई जानकारी नहीं दी। और महिला को स्वदेश भेज दिया। उन्हें विदेश मंत्रालय से इस बारे में शिकायत मिली है। इस बारे में जल्द कार्रवाई की जाएगी ।दरिदंगी के आगे मानवता फ़िर एक बार हुई है शर्मसार । 

7 टिप्‍पणियां:

  1. क्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी पर अपना ब्लॉग पंजीकृत किया है?
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  2. Saudi Arabia me jisi kathoretam saja aise mamlon me di jati hai, is case me bhi milni chhahiye.
    Aage se koi aisa dussahas na kar sake.

    Ye to A-manviyata ki parakashtha hai.

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  3. हमारीवाणी, इन्डली और अपनीवाणी पर रजिस्टर न करें. ये एग्रेगेटर जेहादी फंडिंग से चल रहे हैं और इनके संचालकों का परिचय भी संदिग्ध है. इन एग्रेगेटरों के पीछे काम कर रहे लोग आपका ब्लॉग और ईमेल आसानी से हैक कर सकते हैं. सावधान रहें.

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  4. मैं केरल में था तब हमारे मित्र ने कहा कि केरलियन लोग केरला में रह के कुछ काम नहीं करते। बाहर जाकर झाड़ू लगा लेंगे और यहां आएंगे तो कलफ़ वाली लुंगी पहन के घुमते रहेंगे।
    खाड़ी के देशों में यहां के मजदूरों को बहुत ही ज्यादा प्रताड़ना दी जाती है। सहते हैं और पड़े रहते हैं। कीलें ठोक देना तो अमानुषिकता की पराकाष्ठा है, ऐसा लग रहा है कि ये लोग अभी भी ग्लेडियेटर युग में जी रहे है।

    इन पर जितना थूका जाए उतना कम है।

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  5. हमेशा से वहां मानवता शर्मसार ही हुई है।
    थुकते हैं ऐसे लोगों की संसकृति पर।


    पधारिये और इस कविता पर नज़र किजिये:
    http://shrut-sugya.blogspot.com/2010/08/blog-post_26.html

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  6. घटना को किसी वर्ग विशेष के चरित्र के रूप में देखा जाना उचित नहीं, यह व्‍यक्ति विशेष के मानसिक विकार का ही परिणाम जान पड़ता है.

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आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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