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मेरा अपना संबल
अगस्त 17, 2010
अब इन्हें भी चाहिए ज्यादा तनख्वाह !!!
सचमुच मेरा भारत महान है । मेरे देश के कथित नेता अब झगड़ रहें हैं अपना वेतन बढ़ाने के लिए , क्योंकि मंहगाई की डायन उन्हें भी तंग कर रही है , ऐसा उनका कहना है । मंहगाई से समूचा देश परेशान है , और जिन्हें मंहगाई कम करना है वे ही मंहगाई से अपने आप को परेशान बता कर अपना वेतन 16 से 80 हजार करना चाह रहे हैं । हद है बेशर्मी की । देखिए इसके लिए ये क्या-क्या कर रहे हैं -
वेतन बढ़ाने के मामले पर सांसदों ने आज लोकसभा में जमकर हंगामा किया। वामपंथियों के अलावा सभी सांसद इस मुद्दे पर एकमत थे कि वेतन बढ़ाने कि सिफारिश पर तुरंत अमल किया जाए। हंगामा इतना बढ़ा कि लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। मालूम हो कि कल कैबिनेट ने इस मसले को टाल दिया था।दरअसल सोमवार को कैबिनेट ने सांसदों का वेतन बढ़ाने का मसला यह कहकर टाल दिया था कि महंगाई की मार के बीच ऐसा करने का गलत संदेश जाएगा लेकिन मंगलवार को सांसदों ने ऐसा बवाल काटा कि लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सांसदों का कहना था कि महंगाई की मार के वे भी शिकार हैं और उन्हें क्लर्क के बराबर भी वेतन नहीं मिलता। इस हंगामे में वामपंथियों को छोड़कर सभी दलों के सांसद शामिल थे। गौरतलब है कि संसद की स्थाई समिति ने सिफारिश की है कि सांसदों की महीने की तनख्वाह 16,000 रुपये से बढ़ा कर 80,001 रुपये मतलब केंद्र सरकार के सचिव स्तर के अफसर से एक रुपया अधिक कर दिया जाए। वहीं संसदीय कार्य मंत्रालय ने सांसद का वेतन 50000 रुपये करने की सिफारिश की है।
सरकार द्वारा सांसदों की वेतन वृद्धि का फैसला टाले जाने पर लालू प्रसाद यादव ने विरोध किया और हंगामें के चलते सदन की कार्यवाही दो घंटे के लिए स्थगित की गई। शून्य काल शुरू होते ही लालू प्रसाद यादव ने सांसदों की वेतन वृद्धि का फैसला टाले जाने का विरोध किया। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव बहुजन समाज पार्टी, शिव सेना और तृणमूल कांग्रेस ने भी राजद अध्यक्ष का साथ दिया। सांसदों के हमगामें का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि सांसदों की वेतन वृद्धि के लिए सदन के मौजूदा सत्र में सरकार विधेयक प्रस्तुत करेगी। लोकसभा में मुखर्जी ने बताया कि सरकार इस विधेयक को जल्द से जल्द पेश करने के लिए तैयार है।
उधर इस मामले पर लेफ्ट का कहना है कि सांसद अपना वेतन खुद बढ़ा लें, यह अनैतिक है। इस पर क्रियान्वयन के लिए अलग से विचार किया जाना चाहिए। लेफ्ट के इस रुख को देखकर लोकसभा के अंदर हुए हंगामे में शामिल बीजेपी ने भी आयोग के पक्ष में बयान जारी कर दिया। लोकसभा में हुए हंगामे में सासंदों का यह दर्द बार-बार छलका कि उन्हें आमतौर पर भ्रष्ट माना जाने लगा है। लोगों को ये भी देखना चाहिए कि इतनी कम तनख्वाह में एक ईमानदार सांसद का घर भी नहीं चल सकता। वैसे, सिद्धांत रूप से सरकार को वेतन बढ़ोतरी से एतराज नहीं है। ये बढ़ोतरी पंद्रहवीं लोकसभा के गठन के समय से लागू होगी। यानी लाखों को एरयिर भी तय है।
वेतन बढ़ाने की मांग अनैतिक भारतीय जनता पार्टी संसदीय दल के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने आज संसद के दोनों सदनों में अपनी पार्टी के सदस्यों से कहा कि वेतन में प्रस्तावित बढ़ोतरी पर अपने विचार सार्वजनिक तौर पर नहीं रखें क्योंकि सांसदों द्वारा अपना ही वेतन बढ़ाने की मांग उठाना अनैतिक है ।आडवाणी ने आज संसदीय दल की साप्ताहिक बैठक में कहा कि सांसदों को अपने वेतन भत्ते बढ़ाने के मुद्दे पर मीडिया के सामने नहीं बोलना चाहिए या सार्वजनिक तौर पर विचार नहीं रखने चाहिए.। भाजपा के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि उन्हें लगता है कि सांसदों के वेतन और भत्तों को लेकर समय-समय पर फ़ैसला करने के लिए वेतन आयोग की तरह ही एक निकाय होना चाहिए. आडवाणी इसके सख्त खिलाफ़ हैं कि सांसद खुद ही यह फ़ैसला करें कि उनका वेतन कितना होना चाहिए । पार्टी के आला नेताओं समेत अधिकतर सांसदों का मानना है कि सांसदों को वर्तमान में मिल रहा वेतन काफ़ी कम है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए लेकिन उनका सोचना है कि इस मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यवस्था होनी चाहिए । पार्टी के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि सरकार ने खुद ही संयुक्त संसदीय समिति गठित करके यह कवायद शुरू की । इस समिति ने सांसदों का वेतन 16 हजार से बढ़ाकर सीधे 80 हजार रुपये करने की सिफ़ारिश की । अब खुद सरकार के ही कुछ मंत्री इसका विरोध कर रहे हैं ।
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इन्हें जितना भी दे दो ,कम ही रहेगा । देखना एक दिन ये देश बेच खायेगें । एक लड़ाई और लडनी पड़ेगी ।
जवाब देंहटाएंअरे ! इनकी तनखा तो सबसे कम है ...!
जवाब देंहटाएंभला ६०००-७००० करोड़ रुपये भी कोई तनखा होती है...बेचारे गरीब....!
इनके तो हाथ में ही कटोरा पकड़ा दिया जाए ...बेचारे जैसे-तैसे जी-खा लेंगे...साथ में फेरारी या फिर हेलीकाप्टर भी दिया जाए...आखिर भीख कैसे मांगेगे ये....?
हाँ नहीं तो...!
इन गरीबों की तनखा बढानी चाहिए-नौकरों का ध्यान रखना चाहिए।
जवाब देंहटाएंनहीं तो बगावत पर उतारु हो जाते हैं,हुक्म उदुली करते हैं।
मैं परेशान हूँ--बोलो, बोलो, कौन है वो--
टर्निंग पॉइंट--ब्लाग4वार्ता पर आपकी पोस्ट
उपन्यास लेखन और केश कर्तन साथ-साथ-
मिलिए एक उपन्यासकार से
कभी पान पराग का एक विज्ञापन आता था न..." इतने से मेरा क्या होगा..." और तुरंत उस लम्बे आदमी को समाधान मिल जाता था..."तो आप ये लीजिये..."
जवाब देंहटाएंबहुत माल है यहाँ...जितना चाहे ले सकते हैं ये....