अयोध्या की विवादित जमीन पर आए ऐतिहासिक फैसले के बाद की घड़ी देश के दोनों बड़े समुदायों को करीब लाने की है। शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल के बीच देश के किसी भी हिस्से से अप्रिय घटना की खबर नहीं है। यह हमारे परिपक्व प्रजातंत्र का परिचायक है और इससे देश में हर किसी ने राहत की सांस ली है। फैसले के बाद रात शांति से गुजरी। सभी पक्षों ने फैसले का सम्मान किया है। हालांकि इसके बावजूद सुरक्षा व्यवस्था में कोई ढील नहीं दी गई है। खासतौर से यूपी में सभी जिलों में प्रशासन को अलर्ट रहने को कहा गया है। देश के गृह मंत्री पी चिदम्बरम की इस अवसर पर तारीफ़ की जानी चाहिए , जिन्होंने सारे देश में एक ही समय में सब राज्य सरकारों के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिखाया ।
हालांकि आम आदमी भी शांति ही चाहता है और उसने गुरुवार के फैसले के बाद अपने रवैये से ये जाहिर भी कर दिया है। प्रधानमंत्री से लेकर हर बड़ी शख्सियत लोगों से यही अपील कर रही है कि वे किसी के बहकावे में न आएं और शांति व्यवस्था बनाए रखें।
अयोध्या जमीन विवाद की कानूनी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी। सुन्नी वक्फ बोर्ड और हिन्दू महासभा दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।
हिन्दू महासभा ने कहा है कि वह राम जन्मभूमि को तीन हिस्सों में बांटने के फैसले को चुनौती देगी। उधर, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने भी कहा है कि एक-तिहाई जमीन के बंटवारे का फॉर्मूला मान्य नहीं है। हाईकोर्ट में दावा खारिज होने पर उन्होंने कहा कि वह मस्जिद का दावा नहीं छोड़ने वाले हैं और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जिलानी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगा, वह उसे मंजूर करेंगे।
इस ऐतिहासिक फैसले के लिए तीन जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसले दिए। लेकिन ऐसा कम होता है कि तीन जज बिल्कुल अपना−अपना अलग फैसला लिखें। इस बार तीन जजों ने कुछ ऐसा ही किया। एक ने कहा कि पूरा विवादित परिसर रामजन्मभूमि के नाम कर दिया जाए। बाकी दो की राय कुछ अलग दिखी।
अदालत के सामने कई अहम सवाल थे। 60 साल से चल रहे मुकदमे का फैसला आसान नहीं था। कई सवालों पर जजों की राय बंटी। काफी सवाल ऐसे थे जिन पर आम राय दिखी।
पहला सवाल- क्या यहां मस्जिद थी?
जस्टिस एसयू खान ने कहा- हां।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने भी कहा, हां, मुसलमानों ने हमेशा इसे मस्जिद माना है।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने कहा, नहीं, क्योंकि ये इस्लाम की परंपरा के खिलाफ बनाई गई थी।
फिर भी बहुमत से फैसला रहा- हां।
दूसरा सवाल- क्या विवादित भूमि राम की जन्मभूमि है?
जस्टिस एसयू खान ने कहा मस्जिद बनने के बाद हिन्दुओं ने इसे राम जन्मभूमि माना।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने भी कहा हां, हिन्दुओं की यही मान्यता है।
जस्टिस - धर्मवीर शर्मा ने भी कहा हां।
यानी सबकी राय− हां।
अगला सवाल- क्या मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को गिराया गया था?
जस्टिस एसयू खान ने कहा- नहीं यह एक उजाड़ मंदिर के खंडहर पर बनाया गया था।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल बोले, हां एक गैर-इस्लामी ढांचे यानी हिन्दू मंदिर को गिराया गया था।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी (एएसआई) ने साबित किया है कि एक बड़ा हिन्दू धार्मिक ढांचा गिराया गया था।
बहुमत− हां
एक और सवाल− क्या मूर्तियां 22−23 दिसंबर, 1949 की रात रखीं गई थीं।
जस्टिस एसयू खान− हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल− हां
जस्टिस डीवी शर्मा− हां
बहुमत− हां।
सवाल ये भी था कि क्या ये जगह हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों से जुड़ी है।
जस्टिस एसयू खान ने कहा- हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल भी बोले− हां
जस्टिस डीवी शर्मा ने कहा- नहीं, सिर्फ हिन्दुओं से
बहुमत− हां
एक और अहम सवाल- क्या राम की मूर्ति मुख्य गुंबद के नीचे रहनी चाहिए?
जस्टिस एसयू खान− हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल− हां
जस्टिस डीवी शर्मा− हां
बहुमत− हां
सवाल यह भी था कि जमीन का बंटवारा कैसे होगा?
जस्टिस एसयू खान ने कहा कि तीनों को एक तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
सुधीर अग्रवाल ने कहा तीनों को एक-तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
जस्टिस डीवी शर्मा ने कहा मंदिर के निर्माण में मुसलमान हस्तक्षेप न करें।
बहुमत− तीनों को एक-तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
अक्तूबर 01, 2010
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उत्तम विचार एवं प्रेरणादायी लेख .
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