लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।
जनवरी 16, 2011
आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की 31 मंज़िला ईमारत का निर्माण अवैध , ईमारत तोड़ने की बात : गर हम डूबे तो तुम्हें भी ले डूबेंगे सनम
मुंबई स्थित आदर्श हाउसिंग सोसायटी में करगिल युद्ध लड़ने वाले वीर जवानों उनके परिजनों को फ़्लैट मिले , यह योजना थी , जिस पर इस देश के कर्णधार नौकरशाहों और नेताओं के रिश्तेदारों की बुरी नजर पड़ गई , फ़िर क्या था जो ग्रहण लगा कि आज यह ईमारत तोड़ने की बात कर रहे हैं बेशर्म नेता , वे अब इसे भ्रष्टाचार की ईमारत कह रहे हैं क्योंकि अब इसमें उन्हें- उनके रिश्तेदारों को फ़्लैट जो नहीं मिल पा रहा है । हुई न वही बात कि गर हम नहीं खा पायेंगे तो खाने की सजी सजाई थाली में पानी डाल देंगे । किसी को भी नहीं खाने देंगे । गर हम डूबे तो तुम्हें भी ले डूबेंगे सनम ।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने रविवार (16 जनवरी 2011) को अपने बयान में कहा, "यदि दूसरा विकल्प चुना जाता तो ईमारत के अवैध निर्माण को जायज़ ठहराए जाने के बराबर होता. तीसरे विकल्प पर चर्चा हुई पर उसका मतलब भी यही होता । इसलिए तथ्यों और परिस्थितियों पर चर्चा के साथ-साथ विश्लेषण करने के बाद मेरा निर्णय है कि पहले विकल्प (यानी पूरी इमारत को गिराने) का फ़ैसला किया जाए ।"
भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने पाया है कि विवादों में घिरी मुंबई स्थित आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की 31 मंज़िला इमारत का निर्माण अवैध तरीके से, अनिवार्य इजाज़त लिए बिना किया गया और पूरी ईमारत को गिरा दिया जाना चाहिए ।
मुंबई स्थित आदर्श हाउसिंग सोसायटी तब विवादों में घिर गई जब पाया गया कि इसकी इमारत के निर्माण में अनेक स्थानीय नियमों और क़ानूनों का उल्लंघन हुआ था । यही नहीं, कई प्रभावशाली अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के रिश्तेदारों को इस ईमारत में फ़्लैट दिए गए । पूरे मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ा और कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस की सरकार के उस समय मुख्यमंत्री रहे आशोक चव्हान को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा । अब मंत्रालय का कहना है कि उसके पास तीन विकल्प थे. पहला विकल्प ये था कि कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन (तटीय नियमन क्षेत्र - 1991) की इजाज़त के बिना अवैध तौर पर बनाई गई पूरी ईमारत को गिरा दिया जाए । सवाल उठता है खर्च किये गये रुपयों के लिए जिम्मेदार कौन होगा ? एक दिन में तो यह इमारत बनी नहीं होगी , क्या कर रहे थे जिम्मेदार अधिकारी तब, जब यह ईमारत बन रही थी । क्यों न उन अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए जिनके जिम्मे यह दायित्व होता है कि ऐसे निर्माण न हों । सबसे बड़ी बात यदि सब कुछ नौकरशाहों और नेताओं के हिसाब से सब कुछ चल रहा होता , उनके रिश्तेदारों को फ़्लैट मिला हुआ होता तो क्या ये नेता ऐसा निर्णय लेते ? आज हर बड़े शहर में सैकड़ों अवैध बहुमंजिला ईमारतें सीना ताने खड़ी हैं ,क्या उन्हें गिराने कोई मंत्री - नेता सामने आयेगा । पर्यावरण के नियमों का खुल्ला उल्लंघन देश में हजारों-लाखों उद्योग कर रहे हैं , क्या कर रहा है जय राम रमेश का पर्यावरण विभाग उनके खिलाफ़ ? रायपुर इसका सबसे बड़ा उदाहरण हो सकता है , जहाँ समूची सत्ता इसी काम में जुटी देखी जा सकती है , आम आदमी सरकार के ऐसे कार्यों के विरुद्ध अदालत की शरण ले रहे हैं ।
मेरा मानना है पर्यावरण मंत्रालय का ऐसा सुझाव करगिल के शहीदों का अपमान है । देश का अपमान है । इसके विरूद्ध जनता की आवाज बुलंद होनी ही चाहिए । यह पूरी ईमारत वीर सपूतों के परिजनों को जो जरूरतमंद हों उन्हें दिया जाना चाहिए , पर्यावरण ही नहीं अन्य सभी संबंधित मंत्रालयों को जिनका इससे संबंध है आगे आकर स्वीकृति प्रपत्र ईमारत को बचाने के लिए देना चाहिए । साथ ही जो लोग इस काण्ड से जुडे हैं उन्हें ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिससे दूसरे सबक लें ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत अच्छी जानकारी पर उनके खिलाफ आवाज़ कोंन उठाएगा दोस्त क्युकी कार्यवाही करने वाले भी तो उन्ही मै से एक होगा न !
जवाब देंहटाएंसैंया भये कोतवाल फिर डर काहे का!
जवाब देंहटाएंअंतिम पैरा में व्यक्त आपके निष्कर्षों से पूर्ण सहमती है.
जवाब देंहटाएंआशुतोष जी,
जवाब देंहटाएंयही नेता जब अपनी इमारत बनाते हैं तो सारे नियम ताक पर रख देते हैं !
तोड़ने से पहले जिनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई लगी है ,पहले उसे वापस करने का इंतजाम होना चाहिए !
नेताओं को तो कोई फर्क नहीं पड़ता !
-ज्ञान चंद मर्मज्ञ
आशुतोष जी,इस इमारत को अब शहीदो को ही दे देना चाहिये, ओर अगर यह बेशर्म नेता उसे गिराने की बात करते हे तो ठीक हे, इसे तभी गिराया जाये जब सब दोषी जेल मे चक्की पिसे, यानि इन सब हरमियो को भी जेल मे डाल देना चाहिये जिन्होने पहले चोरी कि अब सीना जोरी भी करने लगे हे,इसे ही तो हरामी पना कहते हे
जवाब देंहटाएंजिन शहीदों के परिवारों का इस पर हक़ है उन्हें दिया जाना ही न्यायसंगत है...... ऐसी अफसोसजनक हरकतों के खिलाफ यक़ीनन जनता का आवाज़ उठाना ज़रूरी है.....
जवाब देंहटाएंआज अगर कोई प्लाट पे ज़्याद निर्माण कर लेता है तो नगर पालिका निगम कुछ जुर्माना अदा करा कर उसका नियमतीकरण कर देती है तो इस इमारत का भी कर दें ।कुछ लोगों की गलतियों कि वजह से हमारा पैसा क्यों पानी बने ।
जवाब देंहटाएंइमारत तोड़ना तो तुगलगी फ़ैसले जैसा है। इसका आबंटन शहीद परिवारों को किया जाना चाहिए और घो्टाले बाजों पर देशद्रोह की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर जेल भेजा जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंचाहे कानून पालन का प्रदर्शन हो या बेझिझक कानून का उल्लंघन , अपने स्वार्थ के लिये करना राजनीति का पहला धर्म बन चुका है । पर इसका खामियाजा जनता को भुगतना पडता है । आपने बहुत सही मुद्दा उठाया है । इसी तरह सवाल उठते रहें तो कही तो असर होगा ही ।
जवाब देंहटाएंइन बेमुराद और बेईमान नताओं से और भ्रष्ट अधिकारियों से भगवान ही बचा सकता है। नेताओं के रिश्तेदारों को फ़्लैट्स नहीं मिले इसलिये अब पूरी बिल्डिंग ही अवैध हो गयी।
जवाब देंहटाएं