छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड के भिलाई इस्पात संयंत्र में अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे परिवार के पाँच सदस्यों ने 12 अप्रैल2011 को जहर खा लिया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई तथा एक सदस्य को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
राज्य के मुख्य विपक्षी दल काँग्रेस ने इस मामले की न्यायिक जाँच कराने की माँग की है।
भिलाई निवासी 39 वर्षीय सुनील साहू संयंत्र की कालोनी में अपनी माँ मोहिनी साहू [65], तथा तीन बहने रेखा [40], शीला [32] और शोभा [28] के साथ रहता था। सात अप्रैल को साहू परिवार ने भिलाई इस्पात संयंत्र में अनुकंपा नियुक्ति की माँग को लेकर स्वयं को घर में बंद कर लिया था।
इस घटना के बाद जब भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों ने परिवार से लगातार बात की तो कल को परिवार ने घर से बाहर आने की बात मान ली थी, लेकिन आज सुबह परिवार के सदस्यों ने जहर खा लिया।
कुमार ने बताया कि परिवार के जहर खाने के बाद सुनील ने इसकी जानकारी जब अपने पड़ोसियों को दी तो उन्होंने पुलिस की मदद ली। पुलिस ने परिवार के सदस्यों को अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक साहू की माँ मोहिनी साहू तथा तीनों बहनें रेखा, शीला और शोभा की मृत्यु हो गई थी। साहू अस्पताल में भर्ती है, जहाँ उसकी हालत स्थिर है। कुमार ने बताया कि पुलिस ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि जानकारी मिली है कि सुनील के पिता एमएल साहू भिलाई इस्पात संयंत्र में अधिकारी थे तथा दिसंबर 1994 में एक रेल दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके बाद से वह संयंत्र में अनुकंपा नियुक्ति की माँग की थी। मृत मोहिनीदेवी के पति एम.एल. साहू बीएसपी के औद्योगिक सम्बंध (आईआर) विभाग में डिप्टी मैनेजर थे। उनका शव 4 दिसम्बर 1994 को रेलवे पटरी पर संदिग्ध हालत में पाया गया था। परिजनों ने घटना में बीएसपी के ही कुछ कर्मियों पर उनकी हत्या करने का आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने अनुकम्पा नियुक्ति की मांग की थी। पुलिस ने घटना में आत्महत्या का मामला दर्ज किया था। इस आधार पर प्रबंधन ने अनुकम्पा नियुक्ति देने से इनकार कर दिया था। एम.एल. साहू की मौत के बाद भी परिवार बीएसपी क्वार्टर में रह रहा था। गुरूवार 7 अप्रैल को कब्जा खाली कराने के लिए चल रहे अभियान के दौरान उनके घर की बिजली सप्लाई रोक दी गई। अनुकम्पा नियुक्ति व आवास आवंटन की मांग को लेकर शुक्रवार को परिवार ने खुद को मकान में बंधक बनाकर आंदोलन शुरू कर दिया था।
इस दौरान सुनील का परिवार संयंत्र की कालोनी में ही रह रहा था। गत दिनों जब संयंत्र प्रबंधन ने मकान खाली करने के लिए सुनील को नोटिस दिया तो उसके परिवार ने अनशन शुरू कर दिया और स्वयं को मकान में बंद कर लिया। ।
इस मामले में भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने अब इस घटना के बाद इसे दुखद बताते हुए कहा कि प्रबंधन ने सुनील के प्रकरण पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का भरोसा दिलाया था।
सवाल यह है कि यदि भरोसा दिलाने में प्रबंधन कामयाब रहता तो साहू परिवार सल्फ़ास जैसा जहर खा कर आत्म हत्या क्यों करता ???
भिलाई इस्पात संयत्र के उपमहाप्रबंधक जनसंपर्क एसपीएस जग्गी ने बताया कि कल सोमवार को बीएसपी प्रबंधन के उप महाप्रबंधक [औद्योगिक संबंध] एके कायल, एसडीएम सिद्धार्थ दास तथा सीएसपी राकेश भट्ट ने सुनील से उनके निवास पर मिलकर चर्चा की थी।
चर्चा के दौरान सुनील को बताया गया था कि उनके प्रकरण में मानवीय आधार पर सहानुभूतिपूर्वक पुन: विचार किया जाएगा। इससे पहले समय समय पर विभिन्न जनप्रतिनिधियों ने उससे चर्चा कर उसे पूरी सहायता करने का आश्वासन दिया था। कल प्रबंधन के कुछ अधिकारियों से चर्चा के बाद सुनील ने कहा था कि आज 12 अप्रैल को सुबह 11 बजे बाहर आकर सामान्य स्थिति बहाल करेगा ।
यह सारा नाटक आत्महत्या की इस बड़ी घटना के बाद महज अखबार बाजी करने की औपचारिता मात्र प्रतीत होती है ।सच्चाई यह है कि प्रबंधन से विगत 17वर्षों से प्रताड़ित साहू परिवार सामूहिक आत्महत्या करने को मजबूर हो गया और इस घटना को नया मोड़ देने भिलाई का प्रबंधन अब एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है , जिसमें उसके "पेड" लोग काफ़ी सक्रिय गेखे जा रहे हैं ।
इधर, इस घटना के बाद राज्य के मुख्य विपक्षी दल काँग्रेस ने इसके लिए रमन सरकार और भिलाई इस्पात संयंत्र को आड़े हाथों लेते हुए इस मामले की न्यायिक जाँच की माँग की है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा है कि सुनील का परिवार पिछले 17 सालों से अनुकंपा नियुक्ति के लिए लड़ रहा है। यदि इस मामले की न्यायिक जाँच कराई जाएगी तो ही इस घटना के दोषियों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
जोगी ने कहा है कि राज्य में युवक नौकरी को लेकर आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार इस मामले में असंवेदनशील है। सरकार इस मामले की न्यायिक जाँच की घोषणा करे तथा दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करे। भिलाई स्टील प्लांट में छोटे कर्मचारियों - अधिकारियों को , उनके परिजनों को , प्रबंधन के द्वारा सताये जाने के तमाम मामले वर्षों से देखे - सुने जा रहे हैं , जो बाद में स्थिति बिगड़ने के बाद मीड़िया और चंद नेताओं के जेबें गरम होते ही शांत कर दिये जाते हैं , इसमें भी यही होना है ।
राज्यपाल-मुख्यमंत्री ने जताया शोक
राज्यपाल शेखर दत्त ने इस घटना को स्तब्ध कर देने वाली त्रासदपूर्ण बताते हुए गहरा शोक प्रकट किया और उन्होंने परिवार के एकमात्र बचे सदस्य के शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना ईश्वर से की है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी घटना को अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यजनक बताया है और पीड़ित परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की है। उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया है और दुर्ग कलेक्टर को जांच करने तथा जल्द अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने परिवार के बेरोजगार युवा सदस्य द्वारा भिलाई इस्पात संयंत्र से अनुकम्पा नियुक्ति की मांग किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय इस्पात प्राधिकरण और संयंत्र प्रबंधन को इस पर मानवीय दृष्टिकोण से विचार करते हुए गंभीरता और तत्परता से ध्यान देना चाहिए था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।