सामने दिख रहे हैं रिटायर्ड सब इंजीनियर लोकेन्द्र सिंह ,पीछे सफ़ेद पैंट और ब्लू लाईनिंग शर्ट पहने हुए हैं जिला अधीक्षक जिन पर हमला हुआ । यह चित्र धटना के बाद का है । |
राजधानी रायपुर में पिछले चार वर्षों से अपनी पेंशन पाने के लिए भटक रहे एक वृद्ध सब इंजीनियर लोकेन्द्र सिंह ने कलेक्टोरेट अधीक्षक पर चाकू से हमला बोल दिया । अपनी पेंशन पाने सरकारी दफ़्तरों के चार साल से चक्कर लगाते - लगाते हताश हो चले इस वृद्ध के सब्र का बांध टूट गया और मानो मरने - मारने पर आमदा हो गया वह थक हार कर । 09 मई 2011 की दोपहर इस वृद्ध सब इंजीनियर लोकेन्द्र सिंह ने चाकू से जिला कलेक्ट्रेट में पदस्थ अधीक्षक जे आर साहू के गाल पर चाकू से वार किया और तभी मौके पर मौजूद जिला प्रशासन अन्य कर्मियों ने फ़ौरी तौर पर उसे पकड़ पुलिस के हवाले कर दिया । इतनी ही फ़ूर्ती यदि उसके पेंशन प्रकरण में निबटारे के लिए दिखाई गई होती तो शायद ऐसे वाकिए ही न होते । फ़िर क्या था सामने आया देश का कानून जिसने परेशान उस वृद्ध को सजा देने अपना लम्बा हाँथ आगे बढ़ाया , मगर यही कानून उसे उसके हक की पेंशन न दिला पाया ।
हताशा की यह छूरी चलाई है 36 साल जल संसाधन विभाग में कार्यरत रहे सब इंजीनियर लोकेन्द्र सिंह ने , जिन्हें विभाग से रिटायर हुए वर्षों हो चुकने के बाद भी आज तक पेंशन तक नसीब नहीं हो पाई है । जी पी एफ़ विभाग ने फ़ंसा रखी है इस व्यक्ति की पेंशन की फ़ाईल और घुमाता रहा जिला कार्यालय इसे ।
नियम है कि रिटायरमेंट के बाद अगले ही महिने से मिलने लगती है पेंशन और यदि किन्हीं कारणों से देर हो रही हो तो पेंशन की यह राशि उस व्यक्ति को एरियर्स के रूप में तुरंत मिलने लगती है । खेद जनक पहलू यह कि यहाँ उस वृद्ध सब इंजीनियर लोकेन्द्र सिंह को ऐसी कोई सुविधा नहीं मिल पाई , सिवाय प्रताड़ना और दफ़्तरों के चक्कर पर चक्कर लगाने के , वह अपने तमाम दस्तावेजों से भरा भारी भरकम (करीब 20 - 25 किलो वजनी) बैग टांगे सरकारी दफ़्तरों के चक्कर लगाता रहता और दोपहर लंच के समय कौफ़ी हाऊस पहुंच कर कभी दूध ब्रेड तो कभी चाय ब्रेड खा कर दोबारा उन्हीं दफ़्तरों के चक्कर काटने के लिए ताकत जुटाता दिखा ।
पेंशन और ग्रेच्युटी के लिए लगातार चार साल से चक्कर काट रहे सेवानिवृत्त सब इंजीनियर लोकेंद्र सिंह ने सोमवार को कलेक्टोरेट के अधीक्षक जतिराम साहू पर जब चाकू से हमला कर दिया तब हमले की खबर से कलेक्टोरेट परिसर में हड़कंप सा मच गया। कार्यालय के सभी अधिकारी और कर्मचारी तत्काल अधीक्षक कार्यालय के बाहर जमा हो गए। आनन-फानन में पुलिस को सूचना दी गई। गोलबाजार थाने की पुलिस पहुंचने के बाद घायल अधीक्षक को तत्काल डॉक्टरी मुलाहिजे के लिए आंबेडकर अस्पताल ले जाया गया। आरोपी को मौके पर ही चाकू के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
बालाघाट निवासी लोकेंद्र सिंह की माली हालत अच्छी नहीं बताई जाती है , वह जलसंसाधन विभाग रायपुर में सब इंजीनियर के पद पर पदस्थ थे। वे चार साल पहले ही सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन उनकी ग्रेच्युटी और पेंशन का भुगतान अब तक नहीं हो पाया था। जिसके लिए उन्हें बारबार बालाघाट से यहाँ रायपुर के चक्कर लगाने पड़ते हैं । तीन दिन पहले ही उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात कर भुगतान करने के संबंध में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई थी। कलेक्टर ने यह पत्र कार्यवाही के लिए कलेक्टोरेट अधीक्षक के पास भेज दिया। सोमवार को लोकेंद्र ने अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर अपने प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई की मांग की। अधीक्षक श्री साहू ने उन्हें कुछ देर बैठने के लिए कहा। काफी समय तक अधीक्षक के बुलावे का इंतजार कर लोकेंद्र को देर तक नहीं बुलाया गया। इससे आक्रोशित होकर उन्होंने अपने पास रखे सब्जी काटने के चाकू से जति राम पर हमला कर दिया। चाकू के वार से अधीक्षक के गाल पर हल्की खरोंच आई है। तात्कालिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
ऐसा तो हाल है राजधानी रायपुर में संवेदनशील कही जाने वाली सरकार के महकमे का , वह अपने सरकारी अधिकारियों - कर्मियों को जब तंग करने से बाज नहीं आ रहा है तो भला सोचिए आम आदमी यहाँ किस हाल में और कैसा होगा ? लोकेन्द्र अकेला नहीं है आज भी यहाँ पेंशन के हजारों प्रकरण लंबित हैं जिसकी परवाह किसी को भी नहीं है , क्या सभी को वृद्धावस्था में अपनी - अपनी पेंशन पाने इसी तरह चाकू - छूरी का सहारा लेना होगा ?
' सिस्टम' के गाल पर पड़ी हताशा की इस छूरी से क्या कुछ सबक लेगा यहां का स्वयंभू और कथित ' संवेदनशील' प्रशासन , कहा नहीं जा सकता !!!
यह बेचारा ओर करे भी क्या, इन कुत्तो को टुकडे डाल डाल कर हार गया होगा,लानत हे इन सब पर, मुझे सहानुभुति हे इस इंजिनियर से, इस बेचारे की हालत देखो हड्डियो का ढांचा बन गया, ओर उन को देखो रिश्वत खा खा कर कैसे पले हुये हे..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवद भाटिया जी ।
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