मेरे एक परिचित इंजीनियर की पत्नि अन्ना हजारे को उल्टा सीधा बके जा रहीं
थी । मैंने पूछा आखिर बात क्या है ? आप यहाँ रायपुर में बैठ कर अन्ना हजारे
को बुरा-भला कहे जा रहीं हैं , उन्होने आपका क्या नुकसान कर दिया है ?
इंजीनियर की पत्नि ने कहा - देखो न भईया , अन्ना कहतें भ्रष्टाचार को रोको ,
अरे हमारा घर कैसे चलेगा - बच्चों का क्या होगा ? मैंने कहा भैया तो 30 -
35 हजार वेतन पाते हैं आपका अपना घर हैं
और हाऊस रेंट भी आप को मिलता है । आपकी कार में पैट्रोल भी सरकारी ही डलता
है , ऊपरी का कोई हिसब नहीं फ़िर भी आप एक नेक विचार को कोस रहीं हैं । बड़ी
ही बेशर्मी के साथ और बेझिझक होकर उन्होंने कहा - अच्छा होता बुड्ढा मर
जाता तो … आप नहीं समझोगे । कहते हुए अपने घर रवाना हो गईं । सोचिए यह तो
हाल इस देश के उन लोगों और उनके परिवारजनों का जो भ्रष्टाचार पसंद ही नहीं
बल्कि उसमें आकण्ठ डूबे हैं । गौरतलब बात यह भी है कि ये इंजीनियर साहब हर
साल - दो साल में भ्रष्टाचार कर अपना नाम - काम पेपर की सुर्खियों में ला
कर सस्पेंड हो जाते हैं , अभी भी सस्पेंड चल रहे हैं ।
स्वच्छ शासन देने वाली बात को जनता भी नहीं चाहती है। अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंयही तो समस्या है इस राष्ट्र की
जवाब देंहटाएंअरे! भाई ये हो क्या रहा है।? संतो को कष्ट और गुन्डों को बेल लगता है सज्जनता छोड़ कर गुन्डा बनना पडेगा।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंकिस्मत से लड़ने में बहुत मजा आ रहा है दोस्तों
जवाब देंहटाएंये मुझे जीतने नहीं देती और मैं हार नहीं मानता !! —