हाय ! मंहगाई.. मंहगाई... मंहगाई .... तू कहाँ से आई ? तुझे क्यों शर्म आई ..शायद आज से 26 साल पहले तब भी बेतहासा यह " मंहगाई" बढ़ी होगी , तभी तो 1974 में बनी फ़िल्म रोटी कपड़ा और मकान में पुरजोर कोशिश कर "मंहगाई" को चित्रण के माध्यम से प्रदर्शित किया गया । मगर कहीं भी , किसी को भी रत्ती भर भी फ़र्क नहीं पड़ा । मैं तो कहता हूं यदि कहीं हद है बेशर्मी की , तो वह यहीं है, यहीं है और यहीं है । यहां मैं इस लेख के माध्यम से यह कहना चाहता हूं की सब कुछ उन पर ही निर्भर करता है जो हमारे ही बीच से निकल कर नेता और अधिकारियों की श्रेणी में आते हैं, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित ने यह कर के मानो दिखा ही नहीं दिया बल्कि मेरी सोच को सच साबित किया है । मेरा मानना है राजनीतिज्ञों में दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी , बढ़ती लालच और अधिकारियों में आई स्वेच्छाचारिता का , स्वच्छंदता का नतीजा है , मौजूदा लापरवाह - उत्श्रृंखल शासन - प्रशासन । इन सभी की लालच ने निरंतर पाला-पोसा है मंहगाई को । गरीबी हटाने की बात करने वालों ने गरीबी को नहीं ,गरीबों को हटा कर भरीं हैं अपनी-अपनी जेबें । दुर्भाग्य ही कहिये इस देश का , की रोकने वाला एक ना मिला , जो रोकने आगे बढ़ा वो भी जाकर उसी भीड़ का हिस्सा बन बैठा , वो भी लाल हो गया ।नेता आज जमीनों की सरेआम दलाली करते नहीं शर्माते हैं । क्या ऐसे होती है जनसेवा ? बड़े कहे जाने वाले लोग ने शक्कर का जंगी स्टाक करके ,दालों का स्टॉक करके , तेलों का स्टॉक करके, और ना जाने किन-किन जिन्सों का स्टॉक करके बढ़ाई है मंहगाई और बकायदा सत्ताधीश बन कर किया है यह काम , कितना बड़ा दुर्भाग्य है इस देश की जनता का कि हर जगह जहां कहीं भी उसने रक्षक ढ़ूंढ़ा उसे भक्षक ही मिलते गये ।दिल्ली में वैट कम करके डीजल के दाम घटा कर मंहगाई पर आंशिक ही सही ,पर थोड़ा बहुत राहत तो पहुंचाई है मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित ने । ऐसे कदम हमारी राज्य सरकार और अन्य प्रदेशों की राज्य सरकारें क्यों नहीं उठा सकतीं ? डीजल - पैट्रोल के साथ - साथ और भी बहुत सी चीजें हैं जिन पर से वैट कम या फ़िर खतम किया जा सकता है । क्या ऐसा करना जनहितकारी कदम नहीं होगा ? मगर मानों हमारे नेता डरते हैं अपने व्यापारी मित्रों से, डरते है उन अधिकारियों से जो उन्हें उंगली पकड़ चलना सिखाते हैं । रंक से राजा बनाते हैं । कैसे भला होगा आम आदमी का जो इस समय बुरी कदर पिस रहा है ,इन अल्पबुद्धी नेताओं के फ़ैसलों तले । आय कर विभाग का छापा इन बातों की पुष्टि कुछ ऐसे करता है कि रायपुर शहर की सड़कों में सायकल से घूम-घूम कर डबल रोटी बेचने वाला आदमी करोड़ों रुपयों की आय कर की चोरी में पकड़ा जाता है । प्रेस में ही खाने-सोने का जुगाड़ खोजने वाला व्यक्ति साड़े तीन - चार सालों में 15 से 20 लाख की कार में घूमता है ,और अपने चहेतों को यह बताते नहीं थकता है कि उसने केवल 75 से 100 करोड़ ही कमाए हैं । अब जबकि दोबारा मौका मिला है चार गुना कर लेगा । तीन मंत्री तो ऐसे हैं जिनके पास कितना है मानो कोई हिसाब ही नहीं है । क्या ऐसे ही होते हैं जनसेवक ? जिनको अपने से ही फ़ुर्सत नहीं , उनसे भला आप जनता के भले की क्या उम्मीद करेंगे ? और किस बिना पर करेंगे ? मंहगाई बढ़ती है तो बढ़े ,उन्हें या फ़िर उनके बच्चों को कोई फ़र्क पड़ने वाला नहीं है । अब तो उनकी दसों पीढ़ियाँ ,केवल जमाधन के ब्याज से घर बैठ कर ठात से खा सकतीं हैं । मरो आप ।
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
जुलाई 17, 2010
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... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंचूहा मार दवाई और ज़हर भी महंगाई की भेंट चढ़ गए हैं. साल आदमी चैन से मर भी नहीं सकता.
जवाब देंहटाएंMishra Ji,
जवाब देंहटाएं2009 me MEHANGAI par kai dino tak halla hua tha is desh me. Chhattisgarh me bhi kewal halla hi hua. Dikhawe ke liya kuch tel, shakkar aur dal walon par karyavaahi ka ahsas karane ki koshish hui. Koi JAMAKHOR, JAIL nahi gaya. Kise ko SABAK sikhne ki zarurat nahi samji gayi.
Delhi Govt. ne DIESEL par VAT me bhari kami ki. C.G. Govt. bhi ye kar sakti thi. Par HAMARI Party ke SANSKAR alag hai.
Hum basicly VYAPARIYON ki kripa se PALA-BADHE hai aur NAMAK ka karj ada karte hai.
Vande Matram.
Aurat-Bacchon ko ghar par chod kar fokat ka rahne-khane ka jugad karne wala & 2003 December me BJP ki sarkar banne tak BJP Office ke 2nd floor me reh kar 5000/- ki BJP ki naukri karnewala AAJ KARODON me khel raha hai, ye dekh kar FEEL GOOD hota hai.
जवाब देंहटाएंIs SAJJAN ne rajdhani se 300kms dur apne shehar me ek choti si JHOPDI me cycle repair ki dukan bhi chalane ka prayas kiya, aur na jane kitne aur prayas kiye daal rooti ke liya.
Lekin Rajdhani Ki Fiza raas aa gayi.
Is SARKAR ME KUCH BHI SAMBHAV HAI. Aadmi ko KISMAT ke udhaaran dekhne hai to CHHATTISGARH aana chahiye.
Discovery Channel walon ko BHIKHARI SE KARODPATI shirshak par ek ghante ki documentry banani chahiye.