भारत चीन युद्ध के दौरान करीब 48 साल पहले चीन सीमा पर शहीद हुये सेना के जवान वीर करम चन्द कटोच के अन्तिम संस्कार हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिला के पालमपुर के पास उसके पैतृक गांव अगोजर में किया आज 15 जुलाई 2010 की सुबह पूरे सैनिक सम्मान कि साथ किया गया । भारत माता के इस वीर सपूत को हमारा कोटि-कोटि नमन। एक जुलाई, 2010 को वलोंग के समीप भारी भूस्खलन होने पर बीआरटीएफ के जवानों द्वारा जब सड़क पर से मलवा हटाया जा रहा था, उस समय अचानक शहीद के पहचान स्वरूप सेना की डिस्क तथा चांदी की अंगूठी मिली, जिसकी जांच करने पर 4-डोगरा रेजिमेंट के जवान वीर करम चन्द कटोच के रूप में पहचान की गई। इसके उपरान्त इस क्षेत्र में तैनात सिक्ख रेजिमेंट के जबानों द्वारा भूस्खलन का जोखिम उठाते हुए 5 जुलाई, 2010 को शहीद करम चन्द के शव को बाहर निकाला गया,यह शव पिछ्ले 48 वर्षों से वहां बर्फ़ में दबा हुआ था । 48 वर्ष उपरान्त शहीद करम चन्द के शव उनके पैतृक गांव अगोजर लाया गया जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद वीर करम चन्द कटोच एक बहादुर सिपाही थे , जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए प्रतिकूल मौसम के वावजूद चीन की सेना के साथ लोहा लेते हुए देश की रक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर किये थे। शहीद वीर करम चन्द की शहादत को कृतज्ञ राष्ट्र कभी नहीं भुला सकेगा। हजारों की संख्या में लोगों ने, विशेषकर महिलाओं ने समाज की रूढ़िवादी परम्परा को दरकिनार करके शहीद वीर करम चन्द कटोच को आज उनके पैतृक गांव अगोजर के समीप मच्छयाल खड्ड के किनारे अश्रुपूर्ण विदाई दी गई। शहीद का अंतिम संस्कार उनके भतीजे जसवन्त सिंह कटोच द्वारा चिता को मुखाग्नि देकर किया गया । आईये हम सब भी , अमर शहीद - भारत माता के इस वीर सपूत को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करें।
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
जुलाई 15, 2010
माँ की गोद में ही 48 साल ली गहरी नींद
भारत चीन युद्ध के दौरान करीब 48 साल पहले चीन सीमा पर शहीद हुये सेना के जवान वीर करम चन्द कटोच के अन्तिम संस्कार हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिला के पालमपुर के पास उसके पैतृक गांव अगोजर में किया आज 15 जुलाई 2010 की सुबह पूरे सैनिक सम्मान कि साथ किया गया । भारत माता के इस वीर सपूत को हमारा कोटि-कोटि नमन। एक जुलाई, 2010 को वलोंग के समीप भारी भूस्खलन होने पर बीआरटीएफ के जवानों द्वारा जब सड़क पर से मलवा हटाया जा रहा था, उस समय अचानक शहीद के पहचान स्वरूप सेना की डिस्क तथा चांदी की अंगूठी मिली, जिसकी जांच करने पर 4-डोगरा रेजिमेंट के जवान वीर करम चन्द कटोच के रूप में पहचान की गई। इसके उपरान्त इस क्षेत्र में तैनात सिक्ख रेजिमेंट के जबानों द्वारा भूस्खलन का जोखिम उठाते हुए 5 जुलाई, 2010 को शहीद करम चन्द के शव को बाहर निकाला गया,यह शव पिछ्ले 48 वर्षों से वहां बर्फ़ में दबा हुआ था । 48 वर्ष उपरान्त शहीद करम चन्द के शव उनके पैतृक गांव अगोजर लाया गया जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद वीर करम चन्द कटोच एक बहादुर सिपाही थे , जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए प्रतिकूल मौसम के वावजूद चीन की सेना के साथ लोहा लेते हुए देश की रक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर किये थे। शहीद वीर करम चन्द की शहादत को कृतज्ञ राष्ट्र कभी नहीं भुला सकेगा। हजारों की संख्या में लोगों ने, विशेषकर महिलाओं ने समाज की रूढ़िवादी परम्परा को दरकिनार करके शहीद वीर करम चन्द कटोच को आज उनके पैतृक गांव अगोजर के समीप मच्छयाल खड्ड के किनारे अश्रुपूर्ण विदाई दी गई। शहीद का अंतिम संस्कार उनके भतीजे जसवन्त सिंह कटोच द्वारा चिता को मुखाग्नि देकर किया गया । आईये हम सब भी , अमर शहीद - भारत माता के इस वीर सपूत को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करें।
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... जय हिन्द !!!
जवाब देंहटाएंभारत माता के सच्चे सपूत ,वीर को शत-शत प्रणाम । नमन ।
जवाब देंहटाएंजय हिन्द । जय भारत । वन्दे मातरम ।
-अनुग्रह
वीर जवानों का बलिदान याद करेगा हिन्दुस्तान । अमर शहीद करमचन्द
जवाब देंहटाएंको शत-शत नमन । जय हिन्द ।
अभिलाषा
naman aise veer javano ko. shraddhanjali unhe...
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