में राष्ट्र मण्डल खेल होने जा रहे हैं । इन खेलों के भारत में , खास कर दिल्ली में आयोजित किये जाने को लेकर गत दिनों एक चैनल में बहस सुनी । सोचा अपने पाठकों को भी इस विषय में कुछ बताऊँ ।
इस बहस में शामिल थे अटल बिहारी बाजपेयी जी के कार्यकाल के खेल मंत्री(नाम याद नहीं) , मनमोहन सिंह जी के साथ खेल मंत्री रहे मणिशंकर अय्यर और ओलंपिक संघ के वाईस प्रेसीडेंट त्रिलोचन सिंग , खेल पत्रकार वी कृष्णा स्वामी , एक एन जी ओ से मि.हूनू ।
मि.हूनू ने बताया इस आयोजन में कुल 90 हजार करोड़ रूपए खर्च होंगे । दिल्लीमें इसके लिए 35 हजार गरीबों के परिवारों को विस्थापित किया गया है , जिनमे सेकेवल एक हजार परिवार को ही बसाहट की व्यवस्था दी गई है । शेष भगवान भरोसे हैं ।जब तक ये खेल चलेंगे दिल्ली की सड़कों मे जहाँ जहाँ से खिलाड़ी निकलेंगे उन सड़कों की
एक लेन पर धारा 144 लग जायेगी , दूसरा कोई भी इन सड़कों -लेनों का उपयोग
नहीं कर पायेगा ।चैनल का कहना था अनुमानित खर्च 80 हजार करोड़ से भी ज्यादा होगा । हिन्दुस्तान
की हकीकत पर पर्दा डाल कर चकमक दिल्ली दिखाने की कोशिश की जाएगी ।खेल मन्त्री रहे मणिशंकर अय्यर ने बताया इस आयोजन से देश की जनता पर ,खासकर दिल्ली की जनता पर आर्थिक बोझ बहुत अधिक बढ़ेगा ,मंत्री रहते हुए ही उन्होंनेयह बात प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी से कही थी और आयोजन के तौर-तरीकों पर
अपनी आपत्तियां समय रहते ही दर्ज कराईं थीं , मगर उनकी एक ना सुनी गई ।मौजूदा परिस्थितियों में अमीरों को फ़ायदा होगा , गरीब और गरीब हो जायेंगे । उनका क्षेत्र विकसित नहीं हो पायेगा , जबकि होना उल्टा चाहिए था ।4 मिनट नाचने के लिये एश्वर्या राय को 4 करोड़ रूपयों का भुगतान किया गया ,शेष का हिसाब भी करोड़ो में है । ओपनिंग और क्लोजिंग सेरेमनी पर ही करोड़ो रुपयों के फ़टाके फ़ोड़े जायेंगे । ये सभी खर्च कर्ज लेकर किया जाता है ।बड़े-बड़े विकसित देश यह कर्जा 20 से 25 वर्षों में अदा कर पाते हैं ,इसकी अदायगी का बोझ भी परोक्ष रूप से जनता पर ही रहता है । त्रिलोचन सिंह और खेल पत्रकार स्वामी इस आयोजन को खेलों के विकाश के लिये बेहद आवश्यक बता रहे थे । इन्फ़्राइस्ट्रक्चर ड्व्लपमेंट के लिए और खिलाड़ियों की बेहतरी के
लिए जरूरी खर्च बता रहे थे । त्रिलोचन सिंह जी तो विभिन्न श्रोतों से 6-7 सौ करोड़ रुपयों की वापसी का भी इंतेजाम हो जाने की बातें कर रहे थे । इन बातों से परे ,यहां आने वाले पर्यटकों के स्वागत की तैयारियों में जुटी दिल्ली सरकार को अनुमान है कि एक लाख से भी अधिक विदेशी पर्यटक इस दौरान दिल्ली आयेंगे ,सब दिल्ली वासियों को मदद करनी होगी । शीला दीक्षित जी की यह अपील है ।तो कुछ ऐसा हाल है दूर की दिल्ली का ।समय शेष है और भी बातें मालूम होंगी । औरचर्चा करेंगे । आज के लिए इतना ही ।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' नें कहा था ....
जवाब देंहटाएंचल रहे ग्राम-कुंजों में पछिया के झकोर,
दिल्ली, लेकिन, ले रही लहर पुरवाई में ।
है विकल देश सारा अभाव के तापों से,
दिल्ली सुख से सोई है नरम रजाई में ।
पूरी कविता यहॉं है