नीदरलैंड में अब यह मुद्रा भी चलती है ।
महर्षि महेश योगी द्वारा जारी की मुद्रा '' राम'' को नीदरलैंड में क़ानूनी मान्यता दे दी गई है ।
'' राम'' नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पाँच और दस के नोट हैं ।
इस मुद्रा को महर्षि की संस्था ''ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस'' ने गत वर्ष अक्टूबर में जारी किया गया था। तभी से तीस गाँवों और शहरों की सौ से अधिक दुकानों में ये नोट चल रहे हैं. इन दुकानों में कुछ तो बड़े डिपार्टमेंट स्टोर श्रृँखला का हिस्सा हैं ।डच सेंट्रल बैंक ने कहा है कि '' राम'' का उपयोग अब क़ानून का उल्लंघन नहीं होगा. बैंक के प्रवक्ता ने बीबीसी से कहा है कि संस्था ने सारी वैधानिक कार्रवाई पूरी कर दी है. पर बैंक के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि फ़िलहाल इसके सीमित उपयोग की अनुमति ही दी गई है ।
'' राम'' का लेनदेन - अमरीकी राज्य आइवा के महर्षि वैदिक सिटी में भी ''राम'' का प्रचलन है. वैसे 35 अमरीकी राज्यों में '' राम'' पर आधारित बॉन्डस चलते हैं ।महर्षि संस्था के ''वित्त मंत्री'' बेंजामिन फेल्डमैन ने बीबीसी से कहा है कि '' राम'' का उपयोग ग़रीबी दूर करने और विश्व शांति के लिए हो सकता है.उन्होंने कहा कि सरकारें ''राम'' का उपयोग कृषि और विकास की अन्य परियोजनाओं में कर सकती हैं.फेल्डमैन ने कहा,''डेढ़ अरब लोग बेहद ग़रीब हैं और उन्हें डॉलर जैसी मुद्रा नसीब नहीं हो रही है, राम का उपयोग उनके लिए मकान, सड़कें और अस्पताल बनवाने के लिए हो सकता है. ''नीदरलैंड जैसे धनी देश में मुद्रा जारी करने को तर्कसंगत ठहराते हुए उन्होंने कहा कि इससे विकासशील देश प्रेरणा ले सकते हैं ।मूल्य =नीदरलैंड की डच दुकानों में एक '' राम'' के बदले दस यूरो मिल सकते हैं. डच सेंट्रल बैंक के प्रवक्ता ने बताया कि इस वक्त कोई एक लाख ''राम'' नोट चल रहे हैं ।लोग इसे बैंक में जाकर भुना सकते हैं ।और हमारे यहाँ जहाँ राम थे ,अब उनका नाम लेने वाला आम आदमी भी साम्प्रदायिक कहलाता है । राम के नाम - काम , उनके जन्म स्थान का निर्धारण अदालतें करतीं हैं ।
महर्षि महेश योगी -
महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की। उन्होने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की। महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी। हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 में उन्होने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की। सन् 1957 में उनने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और
इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। महर्षि महेश योगी द्वारा चलाया गए आंदोलन ने उस समय जोर पकड़ा जब रॉक ग्रुप 'बीटल्स' ने 1968 में उनके आश्रम का दौरा किया। इसके बाद गुरुजी का ट्रेसडेंशल मेडिटेशन पूरी पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे।पश्चिम को योग और आध्यात्म से परिचित कराने वाले महर्षि महेश योगी ने मंगलवार पाँच फ़रवरी को करीब 7 बजे नीदरलैंड (हॉलैंड) के शहर व्लोड्राप स्थित आवास में अंतिम सांसें लीं। तब वह 91 वर्ष के थे । 11 जनवरी 2008 को उन्होंने सामान्य जीवन से संन्यास ले लिया था।
उनका कहना था कि गुरूदेव द्वारा प्रदत्त समस्त कर्तव्य उन्होंने पूर्ण कर दिए हैं। अब उनका कार्य समाप्त हो चुका है। इसके बाद उन्होंने अपना सारा समय वेदों के अध्ययन और अनुसंधान में बिताया। ऐसा लगता है कि उन्हें अपनी संभावित मृत्यु का आभास हो चुका था।
महर्षि की पार्थिव काया 09 फरवरी को भारत ल्ली गई और 12 फरवरी को इलाहाबाद के संगम घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
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... behad prabhaavashaali post !!!
जवाब देंहटाएंआपने गर्व व सम्मान बढ़ाने वाली जानकारी दी है . ऐसा राम के देश में कब होगा ?
जवाब देंहटाएंआपने गर्व व सम्मान बढ़ाने वाली जानकारी दी है . ऐसा राम के देश में कब होगा ?राम जाने.........?
जवाब देंहटाएंउम्दा पोस्ट-सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट वार्ता पर भी है
Is Umdaa Jaankaaree ke liye aapkaa haardik shukriyaa.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी , भारत सरकार को सीखना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंwaah kya baat hai
जवाब देंहटाएंवाह शानदार खबर.............जय श्री राम...........!!
जवाब देंहटाएंप्रणाम !!
विदित हो "अभियान भारतीय" स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर से प्रारंभ किया जा रहा है, इसके औपचारिक शुभारम्भ हेतु एक पुस्तिका के विमोचन का विचार है!!
आपसे सादर निवेदन है की इस पुस्तिका में प्रकाशित करने हेतु अपना "सन्देश" कृपया हमें प्रेषित करें, कृपया आप अपना सन्देश अतिशीघ्र स्क्रैप के माध्यम से प्रेषित कर "अभियान भारतीय" को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करें आपका यह सन्देश हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा ............वन्दे मातरम !!
हम तो आपके मुरीद हो गये श्रीमन्त
जवाब देंहटाएंये तमाचा है राम के अस्तित्व पर सवाल करने वालों के मुह पर ।
आजकल कुछ भ्रष्ट लोगों ने श्रीराम के अस्तित्व पर फिर बवाल काट रहे हैं, शायद इसी कारण भगवान श्रीराम अपना प्रभाव दिखा रहे हैं ।
जय श्रीराम
क्या बात है........................विदेशो में ऐसा हो रहा है देश में कब होगा.......................सरकार को कुछ सीखना चाहिए.................आपको बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दीपक
Videshon mein is liye aisa ho raha hai kyonki wah Ram kisi ek sampradaay ki jateey milkiyat nahin hai wah ek ideology hai "Global Country of World Peace".
जवाब देंहटाएंDesh mein aise is liye nahin ho sakta kyonki ki yahan ek tabka doosre tabkon pe bhari hone ki liye Ram naam ki chhuri ka pryog karta hai...
Ek baat samajh nahin aayi yeh Ram nam ka note garibi kaise hatyega 1 ke badale 10 Euro hain to 18 USD hi to huye :)
Peace,
Desi Girl