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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

सितंबर 06, 2010

आप बुद्धिमान हैं , अनुभवी हैं , दूरदृश्टा हैं , कोई बात नहीं


आप बुद्धिमान हैं , अनुभवी हैं , दूरदृश्टा हैं , कोई बात नहीं ,क्या आप अंग्रेजी जानते हैं ? धाराप्रवाह बोल पाते हैं ? लिख-पढ़ पाते हैं ? यदि हाँ तो ठीक और नहीं तो सॉरी , आपके लिए अब हमारे पास कोई काम नहीं है । कुछ ऐसा हाल होता जा रहा है हमारे देश का भी ।
कॉफ़ी हाऊस में यह चर्चा शुरु हुई कुछ ऐसे कि एक बड़े हिन्दी अखबार ने एक अधिकारी की ऐसी  बेटी को सम्पादकीय विभाग में 45 हजार की मासिक पगार पर नौकरी दे दी है जिसे हिन्दी लिखना भी नहीं आता है । वहीं वर्षों के अनुभवी-वरिष्ठ लोग महज 20 - 25 हजार की पगार पर काम करने को मजबूर हैं ।क्योंकि ये हिन्दी को ही अच्छा जानते-समझते आ रहे हैं ,अंग्रेजी का इन्हें उतना ज्ञान नहीं है जितना आज के बच्चों को है। जय हो ।
क्या है ये अंग्रेजी भाषा -
अंग्रेजी एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है ,जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी । संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है।
ऐतिहासिक दृष्टि से -
अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेकों बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है । वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है. नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ । वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेकों भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है।
अंग्रेजी का महत्व -
आधुनिक अंग्रेजी, जिसको कभी कभी प्रथम वैश्विक सामान्य भाषा के तौर पर भी वर्णित किया जाता है, संचार, विज्ञान, व्यापार,विमानन, मनोरंजन, रेडियो और कूटनीति के क्षेत्रों की प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय भाषा है । ब्रिटिश द्वीपों के परे इसके विस्तार का प्रारंभ ब्रिटिश साम्राज्य के विकास के साथ हुआ, और 19 वीं सदी के अंत तक इसकी पहुँच सही मायने में वैश्विक हो चुकी थी। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रमुख भाषा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका की एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में पहचान और उसके बढ़ते आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के कारण अंग्रेजी भाषा के प्रसार में महत्त्वपूर्ण गति आयी है।अंग्रेजी भाषा का काम चलाऊ ज्ञान अनेकों क्षेत्रों, जैसे की चिकित्सा और कंप्यूटर, के लिए एक आवश्यकता बन चुका है; परिणामस्वरूप एक अरब से ज्यादा लोग कम से कम बुनियादी स्तर की अंग्रेजी बोल लेते हैं। यह संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाओं में से भी एक है।
डेविड क्रिस्टल जैसे भाषाविदों के अनुसार अंग्रेजी के बड़े पैमाने पर प्रसार का एक असर, जैसा की अन्य वैश्विक भाषाओँ के साथ भी हुआ है, दुनिया के अनेक हिस्सों में स्थानीय भाषाओँ की विविधता को कम करने के रूप में दिखाई देता है, विशेष तौर पर यह असर ऑस्ट्रेलेशिया और उत्तरी अमेरिका में दिखता है, और इसका भारी भरकम प्रभाव भाषा के संघर्षण (एट्ट्रीशन) में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निरंतर अदा कर रहा है। इसी प्रकार ऐतिहासी भाषाविद, जो की भाषा परिवर्तन की जटिलता और गतिशीलता से अवगत हैं, अंग्रेजी भाषा द्वारा अलग भाषाओँ के एक नए परिवार का निर्माण करने की इसकी असीम संभावनाओं के प्रति हमेशा अवगत रहते हैं।

इंग्लिश एक वेस्ट जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एन्ग्लो-फ्रिशियन और लोअर सेक्सन बोलियों से हुई है. इन बोलियों को ब्रिटेन में 5 वीं शताब्दी में जर्मन खानाबदोशों और रोमन सहायक सेनाओं द्वारा वर्त्तमान के उत्तर पश्चिमी जर्मनी और उत्तरी नीदरलैण्ड के विभिन्न भागों से लाया गया था। इन जर्मेनिक जनजातियों में से एक थी एन्ग्लेजी, जो संभवतः एन्गल्न से आये थे. बीड ने लिखा है कि उनका पूरा देश ही, अपनी पुरानी भूमि को छोड़कर, ब्रिटेन आ गया था.'इंग्लैंड'(एन्ग्लालैंड) और 'इंग्लिश ' नाम इस जनजाति के नाम से ही प्राप्त हुए हैं।
एंग्लो सेक्संस ने 449 ई. में डेनमार्क और जूटलैंड से आक्रमण करना प्रारंभ किया था, उनके आगमन से पहले इंग्लैंड के स्थानीय लोग ब्रायोथोनिक , एक सेल्टिक भाषा, बोलते थे। हालाँकि बोली में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन 1066 के नॉर्मन आक्रमण के पश्चात् ही आये, परन्तु भाषा ने अपने नाम को बनाये रखा और नॉर्मन आक्रमण पूर्व की बोली को अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है।

शुरुआत में पुरानी अंग्रेजी विविध बोलियों का एक समूह थी जो की ग्रेट ब्रिटेन के एंग्लो-सेक्सन राज्यों की विविधता को दर्शाती है। इनमें से एक बोली, लेट वेस्ट सेक्सन, अंततः अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हुई. मूल पुरानी अंग्रेज़ी भाषा फिर आक्रमण की दो लहरों से प्रभावित हुई. पहला जर्मेनिक परिवार के उत्तरी जर्मेनिक शाखा के भाषा बोलने वालों द्वारा था; उन्होंने 8 वीं और 9 वीं सदी में ब्रिटिश द्वीपों के कुछ हिस्सों को जीतकर उपनिवेश बना दिया. दूसरा 11 वीं सदी के नोर्मंस थे, जो की पुरानी नॉर्मन भाषा बोलते थे और इसकी एंग्लो-नॉर्मन नमक एक अंग्रेजी किस्म का विकास किया। (सदियाँ बीतने के साथ, इसने अपने विशिष्ट नॉर्मन तत्व को पैरिसियन फ्रेंच और ,तत्पश्चात, अंग्रेजी के प्रभाव के कारण खो दिया। अंततः यह एंग्लो-फ्रेंच विशिष्ट बोली में तब्दील हो गयी.) इन दो हमलों के कारण अंग्रेजी कुछ हद तक "मिश्रित" हो गयी (हालाँकि विशुद्ध भाषाई अर्थ में यह कभी भी एक वास्तविक मिश्रित भाषा नहीं रही; मिश्रित भाषाओँ की उत्पत्ति अलग अलग भाषाओँ को बोलने वालों के मिश्रण से होती है. वे लोग आपसी बातचीत के लिए एक मिलीजुली जबान का विकास कर लेते हैं)।

स्कैंदिनेवियंस के साथ सहनिवास के परिणामस्वरूप अंग्रेजी भाषा के एंग्लो-फ़्रिसियन कोर का शाब्दिक अनुपूरण हुआ; बाद के नॉर्मन कब्जे के परिणामस्वरूप भाषा के जर्मनिक कोर का सुन्दरीकरण हुआ, इसमें रोमांस भाषाओँ से कई सुन्दर शब्दों को समाविष्ट किया गया. यह नोर्मन प्रभाव मुख्यतया अदालतों और सरकार के माध्यम से अंग्रेजी में प्रविष्ट हो गया. इस प्रकार, अंग्रेजी एक "उधार" की भाषा के रूप में विकसित हुई जिसमें लचीलापन और एक विशाल शब्दावली थी।

ब्रिटिश साम्राज्य के उदय और विस्तार और साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका के एक महान शक्ति के रूप में उभरने के परिणामस्वरूप अंग्रेजी का प्रसार दुनिया भर में हुआ ।अब देखते ही देखते यह हमारे देश में भी सरकारी कामकाज की भाषा बनती जा रही है , प्रायवेट सेक्टर ने तो इसे पूरी तरह से मानो आत्मसाथ ही कर लिया है । अब उनका भारत , भारत नहीं रहा ,बल्कि INDIA (इंडिया) बन गया है । रही बात हिन्दुस्तान की तो वह पुराने जमाने की बात हो गई है । यह तो हाल है आज ENGLISH इंग्लिश का ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. अगर बाज़ार आज पगार तय कर रहा है तो दो ही रास्ते हैं या तो बाज़ार पर नकेल कस दी जाए (जो आज नहीं किया जा सकता) दूसरे, रोम में रोमन हो जाएं...अंग्रेज़ी बोलना पाप नहीं है अगर पगार दुगनी करती है ये भाषा

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  2. गलत अंग्रेजी बोल कर ही लोग इससे ज्यादा कमा लेते हैं।
    आपने काफ़ी मेहनत से यह पोस्ट तैयार की है तथा अच्छी जानकारी दी है। आभार

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  3. shodpoorn aalekh ke liye badhai. anek baaten pahali baar parhane ko mileen. hum log ab tak gulaam hai, isee liye videshee bhashaa ke prati itanaa pyar umadata rahataa hai. ab yah mansikata badal nahee sakatee. lekin isake viruddh lagatar sangharsh jaree rahega. baharhaal, ek shrmsadhya lekh ke liye badhaai.

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  4. आप सभी को मूल्यवान टिप्प्णी एवम हौसला आफ़जाई के लिए धन्यवाद। आभार ।

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  5. यहाँ पर जिन मोहतरमा की बात हो रही है कम से कम वो नाबालिग तो नहीं होंगी क्योंकि अगर नाबालिग होती तो इतना बड़ा अखबार ग्रुप उन्हें इतनी बड़ी .................. सैलरी पर रखता क्या.... बताइए भला...

    बाकि अंग्रेजी वाली बात से तो एकदम सहमत हूँ. मेहनत काफी की आपने इस पोस्ट को लिखने के लिए, पढ़कर ही मालूम चल रहा है.

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  6. आशुतोष जी !! इंग्लिश भाषा की उत्पत्ति की जानकारी दी .. और ये जान कर हंशी भी आ रही है की हिंदी भाषा के अखबार में इंग्लिश जानने वाली नयी कर्मी को पगार अपने वरिस्थ कर्मियों से दोगुनी .. इस मानसिकता पर अफ़सोस है | .. लेख अच्छा है.. शुभकामनाये

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  7. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए! मेरे अन्य ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! अच्छी और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!

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  8. Mishra Ji,
    Aap bhi BRAHMINS ke peeche pad gaye hai. Ek GARIB brahman ke kanya ko LALA JEE 45000/- de rahe hai to usme ENGLISH-HINDI ka chakkar kam aur GOLURAM KI CHHADI PARTY( kalpanik naam ) ka Jalwa jayada hai. Is Garib Brahman kanya ko uske DAD ki KAABILIYAT ko dekh kar rakha gaya lagta hai.

    PUSTAK CHAPAI ke kaam me bhi LALA JEE ko interest to nahi lag gaya hai?

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  9. Mishraji,
    Jai Shree Ram.

    Aap ne English ki UTPATTI ke bare me vistar se jaankari de hai. Thanks.
    Jis kanya ko 45000/- POWER PLANT wale NEWS PAPER dwara diya jaa raha hai, un logon ka asli kaam AFIM ki smuggling hai aur PURANE log un par police karyawahi ke bare me ACCHI tarah JAANTE hai.
    KANYA ke PITAJEE jo ki ek clerck the aur apni "KABILIYAT" ke dum par ek NIGAM ke HEAD ban gaye hai aur HAMIRI SARKAR me khub FAL-FUL rahe hai- 7-8 khokhe per yr nett. Unki kanya ko agar koi 45000/- P.M. de raha hai to NISHCHIT hi wo apne NAYE BAN RAHE MALL/Commercial Complex me SCHOOL ki BOOKS PRINT KARNE ka irada rakhte hai.
    DR. ke RAAJ me kewal "KABILIYAT" walon ka FEEL GOOD hai. CHHOTE STAR ke RASTRIYA NETA bhi isi FITRAT ke hai. CHHATTISGARH SHINING.

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आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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