लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
सितंबर 15, 2010
मित्रों का दुख
मित्र हैं और उनका गर कोई दुख है तो वह अपना दुख है ।कॉफ़ी हाऊस में रोज ही जमा होती है मित्रों की टोली ,तमाम विषयों पर खुल कर चर्चा भी होती है । अधिकांश मित्र नौकरी पेशा या फ़िर व्यवसायी हैं , बताने का मतलब कि ये पत्रकार नहीं हैं । दिन भर के अपने-अपने काम - काज के बाद यहाँ आकर एक -एक कॉफ़ी से थकान उतारना शुरु करते हैं ।पिछले कुछ दिनों से हमारे बीच चर्चा का विषय है प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों , अस्पतालों और मंदिरों के समीप खुलती "शराब दुकानें" । मित्र चर्चा करते - एक दूसरे को पूछते-बताते हैं कि इन सभी (स्कूलों , अस्पतालों और मंदिरों) के 100 मीटर के आसपास की परिधि में तो नियमानुसार शराब दुकानें नहीं खुलनी चाहिए , और बिना सरकारी अनुमति के इनके लिए स्थल चयन भी नहीं किया जाता , फ़िर भला कैसे जगह-जगह स्कूलों , अस्पतालों और मंदिरों के समीप ये शराब दुकानें खुलती हैं ? एक बार खुलने के बाद इसे बगैर धरना - प्रदर्शन ,आंदोलन किए बगैर नहीं हटवा पाता कोई भी । पुलिस प्रताडना के भय से कोई माई का लाल इनके खिलाफ़ शिकायत तक नहीं कर पाता । शराब के कारोबार को शासन-प्रशासन के खुले सपोर्ट की बातें और हो रहीं थीं कि तभी एक मित्र ने बड़ी ही सहजता के साथ बीच में बात काटते हुए समझाया , चलो हो भी गया न यार, सरकार ध्यान देती है वह ऐसी जगहों से स्कूलों , अस्पतालों और मंदिरों को ही हटा देती है । हो गया न । मेरी बात समझ न आ रही हो तो याद करो कितने मंदिर तोड़े गये हैं , पिछले कुछ ही सालों में । मजे कि बात तो यह है कि यह सब उन्हीं के शासन काल में हो रहा है जो अयोध्या में मंदिर बनाने की बात कह-कह कर यहाँ तक का सफ़र तय कर चुके हैं । सबसे ज्यादा मंदिरें इन्हीं ने तोड़ीं हैं , सबसे ज्यादा पेड़ भी इन्हीं ने काटे हैं , सबसे ज्यादा नहरें भी इन्हीं ने पाटीं हैं ,और तो और गरीबों का झोपड़ा - गुमटियाँ खेत-खलिहान तोड़ कर सबसे ज्यादा कॉम्पलेक्स, मॉल और मल्टीप्लेक्स भी इन्हीं ने बनाए हैं । लोग
सब कुछ देख रहे हैं । साफ़-साफ़ कहूं तो अजीत जोगी की गलती को आज तक समूचा प्रदेश भुगत रहा है । कांग्रेस खुद तो गई तेल लेने , अब प्रदेश भी जा रहा है । तुम तो फ़ोकट का टेंशन मत ही बढ़ावो ,चलो एक-एक कॉफ़ी और मंगावो । कॉफ़ी आई ,बातें बदलीं , आपस की चर्चाएं हुईं , बारिश - उमस को याद किया कराया गया और फ़िर कॉफ़ी खतम कर हम सब बाहर आ कर रैलिंग के पास खड़े हो गये ।क्या मैं सरकार मे बैठे जिम्मेदार लोगों से अपने दोस्तों की चिंता के विषय में कुछ पूछ सकता हूं ? कोई देगा सही जवाब , बगैर लफ़्फ़ाजी के ? क्या सच नहीं कहा है, मित्रों ने ? क्या मित्रों का यह दुख जनता का दुख नहीं है ???
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charcha karya rup me badale yahi aasha hai
जवाब देंहटाएंआमीन । आपकी वेबसाईट देखा ,अच्छा लगा । बधाई ।
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya tamacha tha mere bhai.ab phir milenge to yahi kahenge rahne do sarkar dekhegi aap to coffee mangwao.
जवाब देंहटाएंye benami aap ka anuj Chishty hai
जवाब देंहटाएंaapke aane pr kahi'N jyada khushi hui chishty bhai . shukriyaa . aaiye coffee pine aap bhii .
जवाब देंहटाएंछत्तीसगढ़ में हालात बुरे हैं ,यहाँ रक्षक भक्षक बने बैठे हैं । जनता के दुख-सुख से मानो इनका कोई लेना -देना ही नहीं है । पहले अधिकारी लोगों को दुत्कारते थे अब नेता भी दुत्कारने लगे हैं । शराब - शबाब तो इनका अभिन्न अंग है । ये नेता अधिकारी पैसों के लिए ठेकेदारों के आगे दुम हिलाते हैं , इनमें भला इतना नैतिक साहस कहाँ कि ये शराब दुकानों को हटा सकें ।
जवाब देंहटाएंहर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट
मेरे ब्लॉग पे इज्जत अफजाई का बहुत शुक्रिया.
JAI SHREE RAM.
जवाब देंहटाएं1993 ke Vidhan Sabha Election me Congress ne NARA diya tha: "GHAR CHURA KE LOTTERY KHELI, PATTA TODA BHUKHE PET, MAAL LE GAYE PATWAJI AUR BONUS KHA GAYE LAKHEE SETH". Hame bura lagatha par baat to sahi thi. Ab bhi hum baat MANDIR banane ki karte hai aur hum hi Mandir todte hai. Hum KHAKHI HALFPANTwalon ke atit & vartman me- AASMAN-PAATAL ka antar ho gaya hai. AAGE kya yoga RAM JANE.
2/- me RICE & Gali-Gali me DARU. Yahi is BJP SARKAR ka UDDESH hai. Vote lene ke liya JANTA ko KAAMCHOOR, NIKAMMA & SHARABI bana diya.
जवाब देंहटाएंNischit hi AJIT JOGI ki GALTI ko Congress se JYADA Janta bhugat rahi hai. Congressi to apni dukandari chala hi rahe hai; Panditji ko 25 peti, PAPERwale ke saath har 15 din me CHAI.... aur na jane kya-kya. Haa Congress ka jaroor BHHATA baith gaya hai.
Narayan-Narayan.
sahi kaha ji.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट .बधाई
जवाब देंहटाएंक्या कहा जाये..दुखद!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और सठिक लिखा है आपने! उम्दा पोस्ट!
जवाब देंहटाएंदारु और चावल मे जन्ता को फ़सा कर माल भाज्पा सर्कार दबा रहि है। ज़ित्ना भ्रस्ताचर 6 वर्श मे हुआ है उत्ना पिच्ले 55 साअल मे नहि हुआ।
जवाब देंहटाएंदोनो उप चुनाव मे पता चलेगा।
राम भगवान इन्कि खबर लेन्गे।
प्रणाम, आपकी बातों से मै शत प्रतिशत सहमत हूँ आज चाल चरित्र और चेहरे की बातें करने वालों के लिए शायद अब इन चीजों का कोई मोल नहीं रहा गया है....
जवाब देंहटाएंमेरे नवोदित ब्लॉग पर आपके मार्गदर्शन की कामना के साथ ही इस बेहद सार्थक पोस्ट के लिए सादर बधाई प्रेषित है कृपया स्वीकार करें........!!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंek choti si charcha me sab simat aaya........daba hua akrosh, aam aadmi ki majboori ,samaaj ke prati laparwahi ,voton ki rajneeti.....aur naa jane kya kya.....itani nakaratmak baate hote hue bhi shayad.......jab ye charchaye falibhoot hoti hai....desh aage badata hai.......isiliye ye charchye ati aavasyak hai.......
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