अविभाजित मध्यप्रदेश कभी कांग्रेस का अभेद गढ़ था । गाँव-गाँव में कांग्रेस का परचम लहरता था । आज हालात एकदम विपरीत हैं । सच्चाई यह है कि आज भी कांग्रेस को यहाँ छत्तीसगढ़ में सिर्फ़ और सिर्फ़ कांग्रेस ही जगह-जगह पराजय की ओर धकेल रही है । कांग्रेस में यहाँ असंतोष चरम पर है । कांग्रेस का हर वो बड़ा सिपाही जिसके जिम्मे यहाँ वर्तमान में पार्टी का दारोमदार है , एक दूसरे को नीचा दिखाने के अलावा और कुछ नहीं करना चाह रहा है ।
सरगुजा जिले में हाल ही में सम्पन्न भटगाँव विधान सभा क्षेत्र के उप चुनाव के नतीजे ने एक बार फ़िर यह साबित किया है कि कांग्रेस को सिवाय कांग्रेस के कोई और नहीं पराजित कर सकता । प्रदेश के जिम्मेदार समझे जाने वाले भाजपा नेता प्रदेश सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि भटगाँव के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के लोगों का अप्रत्यक्ष सहयोग मिला है । सरगुजा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक और भटगाँव उपचुनाव के संचालक टी एस सिंहदेव ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस चुनाव में भा ज पा ने यहाँ 10 करोड़ रुपये बांटें हैं । लेनदेन में 07 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक के पैकेट दिये गये हैं । मतदान के दिन दो-दो हजार के पैकेट अलग से बांटे गये हैं । कुछ लोगों को हवाला के जरिये भी पैसे दिये गये हैं ।
कोई आश्चर्य की बात नहीं है , हो भी सकता है ,ऐसा । कांग्रेस में गाँव से लेकर शहर तक का हाल यह है कि पुराने कांग्रेसी नेता - कार्यकर्ता जोगी की सरकार बनते ही उपेक्षित कर दिये गये थे , जो आज भी उपेक्षित हैं । अब तो यह कहिए कि वे सभी उदासीन हो गये हैं । भाजपा की ही तर्ज पर व्यापारी-ठेकेदार , छोटे-बड़े व्यापारी , नवधनाड़य कांग्रेस के कर्ताधर्ता बन बैठे हैं , किसी एक को ड़मी तलाश कर उसकी ताजपोशी कर जातिय समीकरण की राजनीति बनाते-बिगाड़ते रहते हैं । अगड़े-पिछड़े की राजनीति करते हैं जिससे सिवाय उन चन्द बड़े लोगों के किसी और को यहाँ तक कि कांग्रेस को भी कोई फ़ायदा नहीं होता दिखता । एक परिवार तो इस प्रदेश में मानो कांग्रेस को चलाने का ठेका ले रखा है जिसका नाबालिग सा दिखने वाला लड़का बारहों महिने अपने छापाखाने से कांग्रेस के नाम पर केवल 'छ्पाई' करता देखा - सुना जा सकता है । जिनके बड़े अब्बा दिल्ली में बैठे सारा हिसाब-किताब रखते हैं और यहाँ चन्द वर्षों में ही इस बच्चे से दिखने वाले कांग्रेस चालक ने करोड़ों का कारोबार और करोड़ों का ही अपना पैतृक निवास भी रिनोवेट कर लिया है । इनका विरोध यदाकदा प्रदेश के पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी मुखर हो कर करते रहे हैं , लेकिन उनके स्वयं के पास भी दुश्मनों की फ़ौज कोई कम नहीं है , जिसकी वजह से उनके विरोध का मायने ही बदल दिया जाता है । भगवान की दया से उनके घर में ही उनके पास एक ऐसा सलाहकार है कि बाहर दुश्मन ना भी हों तो भी उन्हें इसकी कोई कमी नहीं महसूस होगी । यहाँ की कांग्रेस अलग ही है । ध्यान रहे यहाँ मेरा इशारा अमित के लिए नहीं है ।
रही बात कभी कद्दावर कांग्रेस नेता रहे विद्या चरण शुक्ल की तो उनका और उनके चहेतों का हाल भी किसी से छिपा नहीं है । दल बदल कि राजनीति ने मानो उन्हें अब कहीं का भी नहीं छोड़ा है । कभी उनके खास समर्थक रहे चन्द आम लोग अब इतने खास हो गये हैं कि अपनी शर्तों पर कांग्रेस में रहना - चलाना चाहते हैं । जहाँ
पार्टी के लिए - संगठन के लिए अब कोई बड़ा कार्यकर्ता - नेता काम करता नहीं मिलता ,तो भला वो क्यों करें।
विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष पर सता पक्ष के साथ मिले होने का आरोप है । यह मिलान स-अर्थ है । यह स्वयं कांग्रेस जन कहते सुने जा सकते हैं ,जिसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान और राहुल गांधी से भी की जा चुकी है । मगर यह कांग्रेस जहाँ किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगती ।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल गांधी स्वयं छत्तीसगढ़ का दौरा कर कहते हैं यहाँ राजनीति में जातिवाद हावी है - यह क्षेत्र अभी भी पिछड़ा है ।
कांग्रेस की राजनीति को अपने कंधों का सहारा देते देते मर गये यहाँ के बुजुर्ग लेकिन कांग्रेस ने यहां से अपने किसी भी नेता को राज्य सभा के लायक नहीं समझा और मोहसीन किदवई छ्त्तीसगढ़ से राज्य सभा भेजी जाती हैं । भला इससे और बुरा हाल क्या हो सकता है छत्तीसगढ़ का ?
कहने का सीधा सा मतलब है ऊपर से लेकर नीचे तक सभी अपने-अपने स्तर पर लगे हैं यहां कांग्रेस को निपटाने । परेशान हैं सिर्फ़ वो जो सही में यह चाहते हैं कि राज्य में कांग्रेस की स्थिति सुधरे, परेशान हैं छोटे-मंझोले कार्यकर्ता , पुराने लोग । लेकिन इनकी परेशानी से क्या होगा ? कांग्रेस आलाकमान क्या सही में चिंतित होगीं यहाँ पार्टी की दशा से ? यहाँ तो पार्टी चंद नेताओं की जेबी संस्था सी बन गई है, फ़िर भला भाजपा के चतुर-सुजान नेता क्यों न उठाएं इन मौकों का फ़ायदा ?
भगवान ही बचा सकता है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को ।
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
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सही मुद्दे को लेकर आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! बेहतरीन पोस्ट!
जवाब देंहटाएंसच कहूँ तो काफी दिन बाद आपके ब्लॉग पर अपना लिखा हुआ कुछ पढ़ा, , देखा तो खुद बा खुद दौड़ा चला आया, इसी मुद्दे पर आपसे बात भी करने की सोच ही रहा हु २-३ दिन से. करता हूँ जल्द ही
जवाब देंहटाएंwelcome sanjeet .
जवाब देंहटाएंsach kaha aapane congress me vibhishano ki kami nahi hai
जवाब देंहटाएंविनाश काले विपरीत बुद्धि ।
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