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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जून 14, 2010

आओ मॉल-मॉल खेलें…

आओ मॉल-मॉल खेलें… रायपुर में यह खेल बच्चों के खेल की ही तरह खेला जा रहा है। फ़र्क केवल इतना है कि यह खेल यहां बच्चे नहीं ,बड़े खेल रहे हैं। जो जितना बड़ा है, वो उतना बड़ा मॉल बना रहा है। राजधानी बनने के बाद यहां पैसों की तो कोई कमी नहीं रही । कमी है तो मॉल के लिये जगह की। लेकिन अब यह कमी भी नहीं रहेगी । शहर में हर वो जगह जिस पर किसी बड़े आदमी की नजर है ,खाली करा दी जायेगी।  शहर के सारे तालाब पाटे जा रहे हैं, पेड़ एक-एक कर काटे जा रहे हैं। नहरें पहले ही पाट दी गई हैं। अब बारी है पुरानी गंज मन्डी की फ़िर गोल बाज़ार की फ़िर बूढ़ा तालाब की ।यानि कि कुछ सालों बाद हमारा शहर मॉलों का शहर हो जायेगा। हम चुपचाप यह सब देखते रह जायेंगे । हम आम लोग विरोध भी नहीं करेंगे , जैसी की हमारी आदत पड गई है । और शायद इसी कमजोरी का फ़ायदा उठाते आ रहे हैं लोग । खेती की जमीन - मध्यम वर्गीय लोगों के मकान-दुकान बिक रहे हैं ।इस खेल में बड़े मालामाल हो रहे हैं,छोटे और मध्यम वर्गीय लोग बेहाल हो रहे हैं।
कोई इन मालदारों से पूछ सकता है कि भैया जी ,सौ - पचास  सालों से बैठ्ते आ रहे छोटे-छोटे व्यवसायी जिनकी पीढ़ियां यहां इन्हीं छोटे से धन्धे के सहारे पली - बढ़ी है ,वो कहां जायेगी ? उनका क्या होगा? आपके मॉल मे वो दुकानें भला कैसे खरीद पायेंगे ? वहां वो क्या धंधा-पानी करेंगे ?अनके परिवार का क्या होगा? फ़िर सीधी और सरल बात यह कि आप उनका धंधा उजाड़ कर अपनी दुकान क्यों और कैसे सजायेंगे ? केवल पैसा है आपके पास इस बिना पर कुछ भी कर जायेंगे आप ?
खेद की बात तो यह भी है कि इस अन्धी दौड़ मे खुद प्रदेश की सरकार भी एक प्रतिद्वन्द्वी  की तरह लगी हुई है,फ़िर किससे समझदारी की उम्मीद की जाय ? आम आदमी का हित कौन सोचेगा ? ? ?
क्या सारे छोटे - छोटे बाज़ार उजाड कर मॉल बना देना ही उचित होगा ? क्या विकास के नाम पर सारे शहरों की मौलिकता मिटा देने के लिये हमने बनाई है सरकार ? क्या यही है हमारे कथित नेताओं की दूरदर्शिता ? क्या हांथ पर हांथ धरे बैठे रहना हम सभी की मजबूरी है ? सोचिए ।

1 टिप्पणी:

आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

फ़िल्म दिल्ली 6 का गाना 'सास गारी देवे' - ओरिजनल गाना यहाँ सुनिए…

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