ब्लॉग पर अपने साथियों को यह खबर देते हुए खुशी हो रही है , खबर अच्छी है न शायद इसीलिए खुश हो रहा हूं । हमारे शहर रायपुर में एक डॉक्टर ऐसा भी है , जो न तो लोगों को गुमराह करता है और ना ही लूटता है , किसी तरह से डराता भी नहीं है । सिर्फ़ और सिर्फ़ ईलाज करता है । है न अजब-गजब सी बात ? आपको लगे न लगे , भई मुझे तो यही लगता है ,क्यों कि हमारे शहर में इस बिरादरी की क्या दशा है ? हम यहां कह कर आपका और अपना समय खराब नहीं करेंगे ।
हां तो आप जानिए इन डॉक्टर साहब के बारे में , इनका नाम है डॉ सुरेश श्रीवास्तव , होम्योपैथी के डॉक्टर हैं , पंडरी मार्ग पर छोटी रेल लाईन के समीप अमर कॉम्पलेक्स में नीचे एक बहुत ही छोटे से कमरे मे बगैर किसी तामझाम के सीधे अपने मरीजों से हंसते हुए अभिवादन स्वीकार करते हुए देखे जा सकते हैं डॉक्टर साहब । रविवार को छोड़ कर बाकी दिनों में सुबह 9 से 11 बजे तक और शाम को कों 6 से 9 बजे तक मिलते हैं डॉक्टर साहब ।यह सब कुछ आपकी सुविधा के लिए बता रहा हूं ।
अब बताने लायक बडी बात यह है कि इन साहब के हांथ में मानो यश है , मरीजों हर तकलीफ़ को मुस्कुरा कर सुनते हैं , बीमारी के तमाम लक्षण जो आप बताना भूल जाते हैं , डॉक्टर साहब आपको बताते जाते हैं , बात करते-करते अपने हांथ से आपको दवा की दो-चार बूंदें पिलाते हैं । फ़िर शुगर बॉल पर दवा की कुछ बूंदें टपका कर एक छोटी सी प्लास्टिक की बोतल में आपको देते हैं । अब बात आती है कुछ लेने-देने की ,सच मानिये ये डॉक्टर साहब लेते कुछ भी नहीं हैं । एक पैसे भी नहीं लेते किसी भी मरीज या उनके परिजनों से । इनके ईलाज से लोगों को इतना फ़ायदा होता है कि शहर के लोगों की भीड़ तो लगी ही रहती है ,लोग दूर - दूर से लोग अपने पहचान वालों को , रिश्तेदारों को लेकर यहां आते हैं और इनके ईलाज का फ़ायदा पाते हैं । ड़ॉक्टर साहब का बनाया टाईम टेबल धरा का धरा रह जाता है, भीड उनको समय का भान नहीं होने देती है । अब आप की जिज्ञासा होगी कि आखिर दवाईयां कहां से आतीं होंगी / डॉक्टर साहब का खर्चा कैसे चलता होगा ? तो पहले तो यह जानिए कि डॉक्टर साहब घर- परिवार से सम्पन्न हैं खानदानी हैं और बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी भी नहीं हैं । सीमित साधनों में बहुत खुश रहना जानता है आपका परिवार , अब बात दवाईयों की तो उसे स्व स्फ़ुर्त लाने वाले लोगों की कमी नहीं है । कुछ तो मेडिकल स्टोर्स वाले ही दवाइयां पंहुचाते रहते हैं कुछ इन्के लिए बेहद रियायती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराते हैं । अमर कॉम्प्लेक्स के मालिक स्वयं भी दवाईयां ला - लाकर देते देखे जाते हैं । डॉक्टर साहब के चाहने वालों ने उन्हें सलाह दी कि इस पुनीत कार्य में यदि कोई मरीज या उसके परिजन अंशदान करना चाहें तो उनके लिए भी कोई सरल सहज रास्ता होना चाहिए , कम से कम एक छोटी सी पेटी ही टेबल पर रखी जाय और यह कहते हुए एक पेटी अब रखी गई है ,जिसमे जिसकी जो इच्छा होती है सहयोग राशि डाल देता है ।
इस पूरी कहानी को बताने के पीछे मेरी मंशा है , जरूरत मंद लोगों को स्वास्थ्य लाभ हो , मुफ़्त मे मिल रही दवा की वजह से नहीं बल्कि एक नेक दिल इन्सान के हांथों से नेकी से दी गई दवा से । वर्ना आप भी यह भलीभाँति जानते ही हैं कि आज मर्ज, मरीज और ईलाज का क्या हाल है। हमारा शहर तो मानों इस पेशे की व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे रहना चाहता है । सर्दी - खांसी और बुखार से पीडित लोगों को भी नर्सिग होम में भर्ती होना पड्ता है क्योंकि शहर से छोटी - छोटी डिस्पेंसरियाँ तो अब गायब हैं । नर्सिंग होम का रूम रेंट और वार्ड का खर्चा किसी बड़े होटल से कम नहीं है और ईलाज का खर्चा तो पूछिए ही मत । आम आदमी - मध्यम वर्गीय इंसान को जहां तक सम्भव हो बचाया जा सके इन झंझावातों से इसी उद्देश्य के साथ यह खबर आप तक सादर सम्प्रेषित है । लाभ दिलाइये जरूरत मंदों को । धन्यवाद ।
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
जून 19, 2010
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अच्छी जानकारी,
जवाब देंहटाएंऐसे लोग बिरले ही मिलते हैं।
होम्योपथी में ही एक डा. बी.सी. गुप्ता बूढ़ापारा वाले भी इसी तरह मरीजो की सेवा करते है उनके हाथ में भी काफी यश था | आज भी समाज में ऐसे लोग है जो डाक्टरी को सेवा का ही माध्यम मानते है | आपने अच्छी जानकारी दी |
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya jankari, vakai aaj ke samay me aise log birle hi hain jo is tarah seva karte hon, salam dr saheb ko....
जवाब देंहटाएंachchhi khabar hai .
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