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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जून 22, 2010

ये क्या हो रहा है ? क्यों होता है ?? कौन है जिम्मेदार ???


हमारे देश में शिक्षा शुरू से ही बदहाली का शिकार रही है । आज हालात और भी ज्यादा बदतर हैं ।     स्कूल खुल गये हैं । हर माँ - बाप को यही सही समझ आता है कि सरकारी स्कूलों में न तो ठीक से बैठने की जगह है और ना ही पढ़ाई , अच्छा हो यदि उनका बच्चा किसी प्राइवेट     स्कूल में पढ़े । मुझे ऐसा क्यों लगता है इस सोच का फ़ायदा प्राइवेट     स्कूल तो उठा ही रहे हैं , सरकार में बैठे लोग भी उठा रहे हैं । शायद इसीलिए सरकारी स्कूलों की इमारतें नष्ट होते दिख रहीं हैं ,स्कूलों के खिड़की - दरवाजे गायब हो रहे हैं।     स्कूल भवनों का रख-रखाव नहीं हो पा रहा है । जो सरकारी उदासीनता का  द्योतक है । बच्चों को मुफ़्त पुस्तकें हमारे प्रदेश में दी जा रही हैं , जिनकी गुणवत्ता और प्रकाशित विषय-वस्तु   पर लगने वाले सवालिया निशान को लेकर आये दिन अखबारों में कुछ न कुछ छपता ही रहता है । इस बात से इतर मूल बात तो यह है की निजी     स्कूलअब पूरी तरह व्यावसायिक हो गये हैं । स्कूल खोलने के पीछे निहित उद्देश्य भी केवल पैसा कमाना रह गया है । इन बिगड़े हुए हालात में जब भी कोई छात्र संगठन  , मंहगी होती - आम आदमी की पकड से दूर होती शिक्षा प्रणाली का विरोध करने सड़क पर उतरता है तो उसे आम आदमी का आन्दोलन बनने से पहले ही राजनैतिक स्वरूप दे कर कुचल दिया जाता है  , परिणाम स्वरूप साल दर साल स्थिती बद से बद्तर होती देखी जा रही है । क्या बच्चों के ऐसे आन्दोलनों को बड़ों का नैतिक सहारा नहीं मिलना चाहिए ?  क्या ऐसे प्रयास सिर्फ़ राजनीतिक छात्र संगठनों को ही , वो भी विपक्षी दल के , को ही करना चाहिए ? गंभीर मुद्दों को लेकर , अपनी पढ़ाई  भूल कर  बच्चों के ऐसे आन्दोलनों को राजनीति के चश्में से देखा जाना कहां तक उचित होगा ?  लेकिन दुर्भाग्य जनक पहलू यह है कि आज तक सिर्फ़ और सिर्फ़ यही होता आया है । जिस तरफ़ सरकारों की सजगता प्रदर्शित होनी चाहिए, नहीं होती है , बाद में अगर बच्चे उस ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहें तो वह बात  राजनीति कह कर सदैव दूसरी दिशा में मोड़ दी जाती है । समस्या और बड़ा रूप लेकर समाज के सामने खड़ी मुंह चिढ़ाती खड़ी रहती है । आज स्कूलों की बढ़ी हुई फ़ीस , बस्तों का बढ़ा हुआ वजन , निजी प्रकाशकों से उनके मुंह मांगे दामों पर पुस्तकों के खरीदने का  अभिभावकों को होने वाला तनाव   और स्कूलों के बताये स्थान से मंहगे दामों पर यूनीफ़ार्म -जूतों के खरीदे जाने की मजबूरी , तमाम ऐसे अन्य उदाहरण हैं जो लोगों को      स्कूल की वजह से एक अतिरिक्त तनाव में रखते हैं । जिन विषयों की पुस्तकें एन सी ई आर टी  30  से 50  रुपये के दामों पर उपलब्ध कराता हैं  , उन्हीं विषयों को दिल्ली के ही निजी प्रकाशक 375  रुपयों के दाम से लेकर ऊंचें दामों पर स्कूली बच्चों को बेचते हैं ।  बच्चे और उनके अभिभावक मजबूर हैं , उन्हें तो वही खरीदना होगा और वहीं से खरीदना पड़ेगा जहां से खरीदने को  स्कूल प्रशासन कहेगा ।  यही हाल युनीफ़ार्म और शूज की खरीदी- बिक्री का है । शर्मनाक बात तो यह है कि सब कुछ जानने - समझने के बाद भी अति जिम्मेदार लोग यह कहते हुए नहीं झिझकते कि - मत पढ़ाओ प्रायवेट     स्कूल में अगर हैसियत नहीं है तो , हमने क्या सारे लोगों का जिम्मा ले रखा है ?
        इन्हें कोई कैसे समझाए कि व्यवस्था का  जिम्मा कुर्सी पर बैढ़े होने की वजह से आपका ही है जनाब । छोड़ दीजिए कुर्सी , अलग हो जाईये सार्वजनिक जीवन से  कहीं एक किनारे बैठ कर आप भी अपनी रोजी- रोटी चलाईये , कोई नहीं आयेगा आपके पास कुछ कहने - बोलने । अरे कुर्सी की जिम्मेदारियों को तो समझिये , निभाईये । अपने विभाग में जन आकांक्षाओं के अनुरूप अपनी मजबूत पकड़ तो दिखाईये जनाब , और कब तक यूं ही परेशान करते रहेंगे लोगों को  ? ? ?  कुछ समय के लिये लक्ष्मी जी से ध्यान हटा कर सरस्वती माँ  के  साधक बच्चों की ओर भी ध्यान दीजिए । 

1 टिप्पणी:

  1. सच है,भ्रष्टाचार सब और है,तो स्कूल कैसे अछुते रह सकतें हैं ।

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आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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