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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जून 23, 2010

क्या यही सही तरीका है शिक्षकों के सम्मान का ?

गुरूर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरूः साक्षात परमब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः ॥ 


जिस देश में गुरू की महिमा का बखान सदियों से कुछ ऐसा किया जाता रहा हो उसी देश मे सरकारी स्कूल के गुरू जनों को शनैः शनैः अध्ययन - अध्यापन के कार्य से विमुख करते जाना  और उनके आत्म सम्मान -  स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ करना कहां तक उचित होगा ?
अब देखिए स्कूल खुले अभी चार दिन भी नहीं हुए हैं  सरकारी स्कूल के गुरूजनों को राशन कार्ड की जांच में लगा दिया गया है । अब गुरू जी स्कूल में बच्चों को पढ़ाना छोड़ कर गली-गली घूम कर , घर-घर जा कर लोगों का राशन  कार्ड चेक करेंगे । राशन कार्ड , चूल्हा-चौका , परिवार के सदस्यों की संख्या आदि चेक करेंगे । गर्मी की छुट्टियों में इन्हीं गुरू जनों ने जनगणना का काम पूरा किया है । इससे पहले पल्स पोलियो की अनिवार्य सी ड्युटी तो करते ही आ रहे हैं । इसके अलावा पशु गणना ,  टीका करण कराना । मतदाता सूची सुधारना , लोगों की आपत्तियाँ सुनना ,  दावा प्रपत्र भरवाना  । इस तरह के ढ़ेर सारे काम इन गुरू जनों को  बारहों महीनें करना पडता है । जिला मुख्यालय मे कलेक्ट्रेट और नगर पालिका निगम  , निचले स्तर पर अनुविभागीय अधिकारी ,  तहसीलदार ,  नायाब तहसीलदार छोटे-छोटे गांवों में कोट्वार स्तर के लोग भी गुरू जनों की ड्युटी लगाते रहते हैं । क्या ऐसे ही सम्मान - स्वाभिमान के साथ जीने की तमन्ना संजोए लोग गुरू जी की नौकरी करने की चाहत  रख कर इस फ़ील्ड में आए होंगें  ?
 भला कैसे होगी इन गुरु जनों के सम्मान की रक्षा ?  किस पर होगा इसका जिम्मा ?  कैसे पढ़ाई होगी सरकारी स्कूलों में ?  गुरू जन अपने स्कूलों में ध्यान केन्द्रित करें या  फ़िर नौकरी बचाने के लिए स्कूल छोड़ कर गली-गली घूमें  , सर्वे करें  ?  नेता अपने भाषणों में यह कहते नहीं थकते कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है । देश की 80 %   आबादी  आज  भी  भारत के गावों में रहती है । और इन्हीं गावों में स्कूल भवनों की कमी है  , अधिकांश जगह तो है ही नहीं । इन्हीं गांवों में गुरू जनों की कमी है । ये कैसी राजनीति कर रहे हैं  आजाद भारत के नेता ?
 क्या होगा उस बड़ी आबादी का  जो गावों में ही इस  विश्वास  के साथ बसती है  कि  उसके अगुआ , उसके नेता उसके गांवों का  कल्याण करेंगे । उनके नौनिहालों का भविष्य  संवरेगा । लेकिन जमीनी सच्चाई लोगों के इस विश्वास पर घात की तरह प्रतीत होती है । क्या हो रहा है  सरकारी स्कूलों पर विश्वास रखने वाली देश की 80 % आबादी  के इस विश्वास के साथ  ? ? ? कोई देगा जवाब देश को ?

1 टिप्पणी:

आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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