प्रयोग धर्मी राजधानी रायपुर में नित्य नई मुसीबतें जनसामान्य के सामने आ खड़ी होतीं हैं । अब एक नई मुसीबत का सामना करहे हैं राजधानी वासी , इस मुसीबत का नया नाम है विद्युत विभाग का नया और अनोखा प्रयोग , " स्पॉट बिलिंग " सेवा ।
बताया जा रहा है कि यह काम भी अब ठेका प्रथा से कराया जायेगा ।वह भी एक निजी ठेकेदार के द्वारा किया जाना है ।
राजधानी रायपुर में एक साल के अंदर लगातार तीसरी बार ऐसा हो रहा कि तमाम कालोनियों में बिना किसी पहचान पत्र के , बगैर किसी पूर्व सूचना के कोई भी आदमी
आकर आपका दरवाजा खट्खटाता है और सीधे अंदर घुसा चला आता है ,कहता है वह मीटर रीडर है , मीटर रीडिंग लेने आया है ,अगले महिनें से स्पॉट बिलिंग होगी । याने कि मीटर रीड़िंग के बाद आपके घर पर ही वह बिजली का बिल थमा देगा , आप चाहें तो उसी
वक्त बिल का भुगतान कर सकते हैं । साल भर से भी ज्यादा हो गया ऐसा होते हुए लेकिन इस योजना का कहीं कोई अता-पता नहीं है । खैर यहां बात वह नहीं है कि यह योजना कब शुरू होगी ? होगी भी या नहीं ? यहां कहने का सीधा सा मतलब यह है कि आखिर ये हो क्या रहा है ? कैसे कोई भी बिना किसी निर्धारित ड्रेस कोड़ के , बगैर किसी विभागीय पहचान पत्र , बगैर शासन की किसी योजना के लागू हुए बिना , लोगों के घर पहुंच रहे है वह भी सरकारी काम का हवाला देकर । बहुत ही गंभीर और आपराधिक किस्म का मामला है यह । यह मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब यह विभाग सीधे प्रदेश के मुख्यमंत्री के अधीन हो । जब उनके विभाग में ऐसा कुछ चल रहा हो तो सोचिए दूसरे विभागों का क्या हाल होगा प्रदेश में । लोगों के रीडिंग के पहुंचने वाले लोग अपने आप को हैदराबाद का बताते हैं - कहते हैं छत्तीसगढ़ में मीटर रीडिंग का ठेका "अन्ना" ने लिया है । सवाल है कौन है यह अन्ना ? इसका और इसकी कम्पनी का कोई नाम तो होगा ? विद्युत विभाग का मुख्यालय रायपुर में है , क्यों इस बात की जानकारी या पूर्व सूचना लोगों नहीं दी जा रही है ? क्यों जरूरी नहीं है मीटर रीडर के लिये विभागीय पहचान पत्र ? क्यों जरूरी नहीं है उनके लिए एक यूनीफ़ॉर्म ? क्यों जरूरी नहीं है कि जन मानस को ऐसा कुछ होने जा रहा है , इसकी सूचना पहले से दी जाय ? लोग किसे सही और किसे गलत मानें ? हर काम के लिए यह सरकार प्रदेश से बाहर वालों को ही सबसे योग्य आखिर क्यों मानती है ? सर्वाधिक धोखाधड़ी - चोरी , लापरवाही इसी एक विभाग में आखिर क्यों होती है ? कब तक चलेगा यह सब ? क्यों सरकार को अपने ही प्रदेश के सरकारी विद्युत कर्मियों पर भरोसा नहीं है ? क्यों चाहिए उसे दूसरे राज्यों से आदमी ? क्या गारंटी है कि ये बाहरी लोग छत्तीसगढ़ियों से ज्यादा विश्वसनीय हैं - भरोसे के लायक हैं ? क्या है इनकी पृष्ठ भूमि ? कहां से आ रहे हैं ये लोग ? वहां कैसा है इनका पुलिस में रिकॉर्ड ? कहां और किसके पास है यह सब ब्योरा ? कैसे ये किसी के भी घर घुस सकते हैं ? किसनें और क्यों दिया इन्हें यह अधिकार ? ऐसा सब करने के पीछे निहित मंशा आखिर क्या है ? मीडिया मौन क्यों रहने लगा है ? पहले तो यहां ऐसा कभी नहीं होता था । कौन है इस लचर और बेहद खतरनाक व्यवस्था के लिए जिम्मेदार ? मंत्री या उनके अधीनस्थ कोई देंगे इन सवालों का जवाब ? ? ? अरे भाई साहब अकेले के फ़ीलगुड के लिए नहीं ,प्रदेश की जनता के फ़ीलगुड के लिए होता है शासन तंत्र , समझिए भी ।
Ye,Raman, Rajeev aur Aman ka hai Triveni Sangam.
जवाब देंहटाएंIs Sangam ne 2.20 crore logon ko dubo diya hai. Abhi to CSEB ke VIKHANDAN ke JALWON ko bhogne ki shuruvat honi hai. Tab asli current lage ga.
Naam Aman aur kaam Bijli ke jhatke dena. Is depeartment me jo ho raha hai uuse hamari peedhiyan bhuktengi.
जवाब देंहटाएंNaarayan Naarayan.
अच्छी खबर , ऐसे ही लिखते रहे कभी तो व्यवस्था बदलेगी
जवाब देंहटाएंकौन है भाई ये अन्ना, प्रधान बिहार से, कोटवार यूपी से, डकहार केरल से. हां हां यही है छत्तीसगढ़ की बिजली कम्पनी.
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