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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जून 27, 2010

इंतहां हो गई लालच की

बिहार में भू माफ़िया संस्कृति किस कदर लोगों के सर चढ़ कर बोलने लगी है , इसका सबसे बड़ा और इसकी इंतहाँ को दर्शाने वाला  एक औत उदाहरण पिछले दिनों देखने - सुनने को मिला । ढ़ंग जरूर थोड़ा सोफ़ेस्टिकेडेड सा है । मगर  मामला जमीन हथियाने का ही है , जिसके लिए बिहार का पूरे देश -  दुनियाँ  में  काफ़ी नाम है । एक कहानी सामने आई है जो भू-माफ़ियाओं की लालच की इंतहां बयां करती है  ।
देश के प्रथम राष्ट्रपति  को  भी  नहीं बख्शा बिहारी बाबुओं नें ।राजनीति में मूल्यों को तिलांजलि दी जा चुकी है ,इसे कोई और नहीं बल्कि बिहार में कांग्रेसी ही प्रमाणित करते दिखते हैं ।डॉ बाबु ने  शायद यह सोचा भी नहीं होगा कि कांग्रेस के नेता उन्हें  शिक्षण संस्था चलाने  के लिए   मिली जमीन पर अवैध कब्जा कर लेंगे। लेकिन सच यही है। शर्मनाक स्थिति से पार्टी को बचाने के लिए इस मामले में  प्रधानमंत्री कार्यालय को हस्तक्षेप करना पड़ा है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस  मामले में झारखंड सरकार को कार्रवाई करने को कहा हैं। खबरों की दुनियाँ में वर्षों बाद याद आए देश के प्रथम राष्ट्रपति  डा. राजेंद्र प्रसाद जी कुछ इस तरह ।
 डा. राजेंद्र प्रसाद  को दुमका के एक व्यवसायी रामजीवन हिम्मत सिंह ने  सन 1940  में  करीब साढ़े तीन एकड़ जमीन शिक्षण संस्था खोलने के लिए दान में दी।  हाईवे पर स्थित इस जमीन की कीमत आज करोड़ो रूपये हो गई है ,तमाम लोगों की नजर इस जमीन पर लगी हुई थी ।
कांग्रेस नेताओं की नजरें भी लम्बे समय से  इस जमीन पर थी।  डा. राजेंद्र प्रसाद जी 1963 में इस संसार से विदा हो गये । सन 1970 में कांग्रेस ने इस कीमती जमीन पर कब्जे की कोशिशें शुरू कर दी थी ।  नेताओं का मानना था कि डॉक्टर साहब  कांग्रेस के ही तो  थे,  इसीलिए, उनकी यह जमीन भी कांग्रेस पार्टी की तो हुई ना । कांग्रेस ने 19 अप्रैल 1976 को दुमका के सरकारी दफ़्तर में एक अर्जी लगा कर जमीन को पार्टी के नाम पर चढ़ाने की मांग की।
जमीन के दानदाता परिवार को  इस बारे में आपत्ति थी उन्होने अपनी आपत्ति दर्ज  भी की। लेकिन दानदाताओं की आपत्ती को नजर अंदाज कर प्रशासन ने जमीन कांग्रेस के नाम कर दी।   डा. राजेंद्र प्रसाद  मेमोरियल ट्रस्ट ने 2007 में दुमका की राजस्व संबंधी मामलों वाली अदालत में इस मामले को लेकर  दोबारा  अपील की। फ़ैसला सुनाते हुए इस  अदालत ने कांग्रेस को दी गई जमीन के आदेश को निरस्त कर दिया। लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने डिप्टी कमिश्नर आफिस में 2008 में फैसले के खिलाफ अपील की जिस पर न्याय आना शेष है । हमार मकसद है हमारे वो भाई जो इस खबर को ना पढ़ पायें हों यहां पढ़ लें  । जान - समझ लें कि आज लोग राजनीति में क्या-क्या कर रहे हैं ।
यह खबर देश के अनेक अखबारों में प्रकाशित भी हुईं ,लेकिन शायद ही किसी संबधितों को शर्म आई हो , क्यों की जमीन के मामले में सभी में राष्ट्रीय एकता जो है । इसमें कोई मतभेद नहीं है । शर्मसार तो देश है । नेता और पार्टियां तो अपने आप को इन सब से उपर मानते हैं , तभी तो कुछ भी करने से न तो झिझकते हैं और ना ही उसे गलत मानते हैं । गलत मानते हैं उसे जो टोकता है । कहां ले जाएगी ये लालच हमें ?

1 टिप्पणी:

  1. बेहद शर्मनाक कृत्‍य है यह. यह है नामधारी राष्‍ट्रीय पार्टियों की राजनिति.

    जानकारी देने के लिए धन्‍यवाद भईया.

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