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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जुलाई 10, 2010

एक और नेता ने पकड़ी लालू की राह


 भारतीय राजनीति में अब विदूषकों की कमी नहीं रही । अब तो शीर्ष पर बैठा व्यक्ति भी ऐसा कुछ कर दिखाना चाहता है जिससे कि केवल एक लाईन या फ़िर एक मुहावरा बोल देने मात्र से ही वह अपने देश की राजनीति में मानो रातोरात छा जाए । पिछ्ले ड़ेढ़-दो दशक से लालू यह काम करके चर्चा में बने हुए हैं और अब आ गए हैं नए नवेले नेता गडकरी । आम लोग सोचते हैं बड़ा नेता कुछ सोच-समझ कर ही बोलता होगा , गंभीर और पते की बातें बोलता होगा ,लेकिन अब जिस तरह के बयान पढ़ने-सुनने को मिलने लगे हैं ,उसे देख-सुन कर वजनदार नेताओं का हल्कापन मानों खुलकर समझ आने लगा है , साथ ही लोग यह समझने में भी दिक्कत महसूस नहीं कर रहे हैं कि ये साहब कितने पानी में हैं।यहां यह बताना शायद जरूरी समझता हूं कि मैं किसी राजनीतिक पार्टी का कोई हिमायती या सदस्य नहीं हूँ । भगवान की साक्षात कृपा है , बचा हुआ हूँ । लिखने को विवश इसलिए हूँ कि अब राजनीति की मुंडेर पर "हंस" बने बैठे लोग "कौए" की कर्कश आवाज में शोर मचा कर लोगों को परेशान करते दिखने लगे हैं , महज लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए । वर्ना उनका बयान इतना सतही-हल्का कतई न होता , अगर राजनैतिक परिपक्वता होती और विचारों में जरा भी गंभीरता होती । शर्म की बात तो यह है कि जिन्होनें अपने कंधे पर "राष्ट्रीयता"का बोझ लाद रखा है वे ही गैरजिम्मेदाराना बयान देने में ,अमर्यादित भाषा बोलने में नहीं झिझकते , क्या आप इसे विडम्बना नहीं कहेंगे ? जिन्हें सार्वजनिक रूप से बोलना तक नहीं आता उनसे भला कैसे यह उम्मीद की जाय कि ये देश का भला भी सोच पायेंगे ? अटल जी -  आडवानी जी ने तो बहुत दिक्कतें देखीं हैं भारतीय राजनीति में , इन्हें तो कभी भी अप शब्दों का सहारा नहीं लेना पड़ा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को परास्त करने के लिये ?
सच ही है बहुत अंतर है एक जबर्दस्त नेता होने और जबर्दस्ती नेता होने में , समय-समय पर यह अंतर देखने को मिलता है । वैचारिक गरीबी भी अब देश के कथित - स्वयंभू कर्णधारों को दबोचने-घेरने लगी है। तभी तो शायद एक राष्ट्रीय पार्टी का शीर्ष नेता दूसरे को सार्वजनिक रूप से "कुत्ता" कहता है । किसी की "बेटी" कहीं व्याहने को आतुर हो कर बयान देता है । मकसद सिर्फ़ इतना कि देश मे उसकी - उसके उल्टे-सीधे बयानों की चर्चा हो । इसमें जरूर वह कामयाब है ।मगर हमारी चिंता यह है कि देश के शीर्ष आसन पर बैठने वाले ही जब मानसिक रूप से गरीबी का शिकार हो जायेंगे तो फ़िर इस देश की गरीब जनता का क्या भला हो पायेगा - कैसे भला हो पायेगा ?

9 टिप्‍पणियां:

  1. RSS KI PARAMPARA SE HATKAR BHAGWAT JI KO DHARATAL PAR UTAR KAR GADKARI KO SAMNE LANA PADA PAR NATIJA DUSHYANT KUMAR KE SHABDO ME U BAYAN KIYA JA SAKATA HAI "YAHA DIWARE PARDO KI TARAH HILANE LAGI ,SHART MAGAR YE THI KI BUNIYAD HILANI CHAHIYE !SIRF HANGAMA KHADA KARNA MERA MAQSAD NAHI MERI KOSHISH HAI KI SURT BADALANI CHAHIYE!!'' KUCHH BHI HO GADKARIJI GALIB KE SHABDO ME"JIKRA TUMHARA TUMASE BEHATAR JO MAHFIL ME HAI ,GAM KYA KI KHANJAR KAF-E-KATIL ME HAI". FEEL GOOD.

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  2. hello dear sir ji aapka blog bahut hi accha hai aap jourliast hai jo achha hai aap print media se ya elctronic media se me puresh patel rajasthan ke jalore ki raniwara teh. se etv repoter hu aap mere ko aapke call no send kare mere call no hai 09414546501

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  3. तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
    काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
    =0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=

    सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।

    ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।

    इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।

    अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।

    आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-

    सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-

    (सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
    राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  5. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  6. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  7. आप सभी का आभार , आप ब्लॉग पर आए ,अपना बहुमूल्य
    अभिमत प्रदान किया , धन्यवाद । स्नेह बनाए रखिएगा ।
    -आशुतोष मिश्र

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  8. " बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
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आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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