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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जुलाई 13, 2010

धन्य हुआ है ये प्रजा तन्त्र आपसे मेरे लाल फ़ीताशाहों

छत्तीसगढ़ में " लालसलाम " और लालफ़ीताशाही का खुला राज है । सत्ताधीश इन दोनो के सामने मानो नत मस्तक हो कर रहने में ही अपनी भलाई और फ़ायदे की बात मानने लगे हैं । प्रदेश शासन की बागडोर अब धीरे-धीरे नेताओं को अयोग्य ठहराते-नासमझ बताते हुये प्रदेश के लालफ़ीताशाह अपने हाथों में लेते जा रहे हैं । खुद निर्णय करने लगे हैं और उस निर्णय पर प्रदेश के मुखिया से हामी के हस्ताक्षर कराने लगे हैं । बदले में जीवन भर सुख-समृद्धि , ऐशो-आराम की गारंटी । अर्जित फ़ंड के मैनेजमेंट की गारंटी,जिससे की कभी सत्ता रहे न रहे आमदनी बनी रहे जीवन पर्यन्त इस बात की भी सौ फ़ीसदी गारंटी दे रहा है लालफ़ीताशाही दिमाग । बस बदले में एक गारंटी देना होगी जनता के मुखिया को कि वह कहीं भी अपना दिमाग इस्तेमाल नहीं करेंगे । बस हाँ में हाँ कहेंगे । मामला किसी खरीद- फ़रोख्त का हो फ़िर कोई दमनकारी नीति का हो लालफ़ीताशाह बेखटक निर्णय करने और उस पर सरकार की मुहर लगवाने लगे हैं ।खबर  हाल  ही की है जिसमे एक नौकरशाह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को यह समझाने में कामयाबी पा ली की प्रदेश में चल रहे लगभग 1500 छोटे अखबार जो बेबाक-बेझिझक कुछ भी छापने में नहीं ड़रते उन्हें तकनीकि कारण बता कर सरकारी विज्ञापन देने से रोका जाए । मुख्यमंत्री ने हामी भर दी और तुरन्त ही प्रदेश के ऐसे अखबारों को ' डी ब्लॉग ' घोषित कर दिया गया । सरकार अब इन्हे विज्ञापन नहीं देगी। इन ' डी ब्लॉग ' घोषित अखबारों में अधिकांश अखबार ऐसे ही हैं जो सरकार की कहीं ना कहीं पोल खोलते हैं । लालफ़ीताशाही को उजागर करते हैं और सरकारी तंत्र इन्हें ब्लैक मेलर की संज्ञा देते रहता है । क्यों कि ये छोटे अखबार उन " चारण - भाट " की तरह काम नहीं करते जो पैकेज लेकर खबरें छापते हैं , और सालाना करोड़ो रूपयों का सरकारी विज्ञापन (एड्वांस रुपया लेकर भी ) सिर्फ़ इसलिए छापते हैं कि अघोषित सेंसरशिप के तहत निर्देशित ढ़ंग से प्रतिबद्ध्तापूर्ण तौर तरीके से ही काम करेंगे । सरकार या बताये गये लोगों के खिलाफ़ कुछ भी नहीं लिखेंगे । तब तक जब तक की कोई निर्देश ना दिया जाये । निर्देश प्राप्त होने पर किसी भी नेता , मन्त्री , अधिकारी के विरूद्ध प्रदत्त सामग्री का यथा स्वरूप प्रकाशन करेंगे । यह सारी शर्तें मानों किसी तरह का कोई बॉण्ड हों उस तरीके से मनवाई जातीं हैं । यह तो हाल है हमारे राज्य में प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ का । कितना मजबूत या कमजोर है यह तो सभी देख और महसूस कर ही रहे हैं । लेकिन अफ़्सोस सिर्फ़ इस बात का है कि क्या प्रहरी और क्या जन सेवक , क्या मंत्री और क्या मुख्यमंत्री सभी ने मानो घुटने टेक दिये " लालफ़ीताशाहों " के सामने । क्या अब यह सच नहीं लगने लगा कि सचमुच पैसा ही सबकुछ है । सर चढ़कर बोलता है । अच्छे-अच्छों का दिमाग फ़िरा देता है । ऐसे में लगता है कि फ़िर उनका क्या दोष जिन्हें एकाएक - अप्रत्याशित रूप से करोड़ो रुपये देखने को मिले हों । कैसे सम्हलेंगे दिन-रात सिर्फ़ यही चिंता सताती हो । ऐसे हालात में क्या बुरा है किसी अधिकारी की बात मानना ? आखिर बेचारा उनके लिये मैनेजर जैसा काम भी तो कर ही रहा है ना ?इसके बदले में उसे - करो जो करना है सिर्फ़ इतनी ही छूट तो दी गई है , इसमें भला गलत कहाँ है , क्या है ? मजे की बात तो तब देखेंगे जब यही अधिकारी आने वाली दूसरी सरकार को हंस - हंस कर यह बतायेंगे कि ऐसे एक साथ इतने - इतनों को " उनका " दुश्मन बना कर निबटाया था पिछ्ली सरकार को , आपके एक इशारे पर " सर " । आखिर हम सब हैं तो आपके ही जूनियर हैं " सर " । दस साल बाद ही सही , मुबारक हो आपको आपकी पुरानी कुर्सी " सर " । आदेश !!!

3 टिप्‍पणियां:

आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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