स्कूल में बच्चों को शिक्षक नहीं पीट सकेंगे। शिक्षक ही नहीं अब माता पिता भी बच्चों की पिटाई नहीं कर सकेंगे। पड़ोसी और रिश्तेदार भी बच्चों पर बल प्रयोग नहीं कर सकेंगे। यदि ऐसा कोई करेगा तो जेल की हवा खाएगा और जुर्माना भी देना पड़ेगा। हर स्कूल में ऐसी व्यवस्था भी की जाएगी जहां बच्चे अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे। मतलब साफ है कि अब बच्चे चहुंओर से पूरी तरह से सुरक्षित रहें ऐसी व्यवस्था की जा रही है। केन्द्र सरकार प्रिवेंशन ऑफ ऑफेंसेस अगेंस्ट चाईल्ड 2009 बिल को अंतिम रूप देने में जुटी है। जल्दी ही इसे कैबिनेट में चर्चा के बाद मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा। बिल पास हो गया तो कोई भी बच्चा अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए अपने शिक्षकों और माँ-बाप को भी कोर्ट में घसीटने का अधिकार हासिल कर लेगा। इसमें सजा देने के लिए , की जाने वाली मार पीट को हिंसा की श्रेणी में डालने का प्रावधान है। सजा देने वालों की इस लिस्ट में माँ-बाप, भाई-बहन, रिश्तेदार, पड़ोसी, स्कूल, देखभाल करने वाले संस्थान और जेल सभी शामिल हैं।
बच्चों को सजा देने पर मिलने वाली सजा काफी सख्त है। पहली बार दोषी पाए जाने पर 5000 रुपए का जुर्माना और एक साल तक की कैद होगी। अगर दूसरी बार दोषी साबित हुए तो जुर्माना 25000 तक जा सकता है। अब सभी को बच्चों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना पड़ेगा। कानूनी बाध्यता के बावजूद इस मामले में बच्चे कितने सुरक्षित होंगे, यह तो कानून लागू होने के बाद ही पता चलेगा लेकिन एक बात तो स्पष्ट दिखायी देती हैं कि सरकार की मंशा स्पष्ट है और स्वागत योग्य है।हिंसा का दुष्प्रभाव बच्चों के मन पर गहरा उतरता है,फ़िर वह जीवन भर उसका पीछा नहीं छोड़ता। स्कूल जाने से कतराने के पीछे भी बच्चों के मन में जो शिक्षक और माता पिता की मार का भय होता है, वह असली कारण होता है। यह मारपीट वह कारण है जो बच्चों को स्कूल के प्रति निरुत्साहित करता है । मनुष्य के जीवन में सबसे कोमल और अच्छा समय बचपन का होता है। जिसे हम अनजाने में या फ़िर जानबूझकर दमित करते हैं । देखा यह भी गया कि आधुनिक शिक्षक वर्ग अपना फ़्रस्टेशन स्कूल में बच्चों कि बेरहमी से पिटाई कर उतारते रहे हैं । घर-परिवार का तनाव , तमाम अन्य बातों की असफ़लताओं से उपजी खीझ की बच्चों की पिटाई कर उतारने का अनजाने में ही प्रयास करते हैं । कमोवेश यही हाल कई अभिभावकों का भी देखा गया है , अब शायद सुधर जायें ,कानूनी कार्यवाही के डर से । डर तो यह भी रहेगा कि बदमाश बच्चे कहीं इस कानून का भयादोहन न करने लगें । दुधारी तलवार जैसा न हो तो ही अच्छा होगा । अब बच्चों के मर्म को न समझने वालों की जरूर खैर नहीं है ।
...शानदार पोस्ट!!!
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