सावन माह का स्वागत बरखा रानी ने किया है और क्या आप भी कर पा रहे हैं स्वागत ? या फ़िर्…
जी हाँ इस वर्ष सावन माह आते ही अच्छी बरसात हो गई । यह बरसात आती तो पहले जैसी ही है , लेकिन हम हर साल इसे कहर बरपाने वाली , और न जाने क्या-क्या नाम देने से नहीं हिचकते हैं । नदी - नालों से लगा कर झोपड़ियाँ बनाते हैं ,बह जाती तो इसे कहर बताते हैं । आम आदमी जब ऐसी कोई गलती करे तो हम उसे नासमझ- लालची,आत्मघाती कहते हैं । लेकिन यदि यही काम सरकार या उसकी कोई एजेंसी करे तो क्या कहेंगे ? आज मैं बात करुंगा छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में बनी एक ऐसी कॉलोनी की जो हर साल पानी में डूबती है और आगे भी डूबती रहेगी । यह कॉलोनी है छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल द्वारा निर्मित सड्डू कॉलोनी ,जो बलौदा बाजार मार्ग पर है । यहाँ 1400 से भी ज्यादा परिवार रहते हैं ,हर साल इन परिवार वालों को अपने-अपने घर के सामने से बाढ़ जैसी भयावह स्थिति से निबटना पड़ता है । बीते वर्ष तो इस कॉलोनी में नाव का सहारा लेना पड़ा था । कई परिवार वालों को अपने मकान में ताला जड़कर अन्यत्र सहारा लेना पड़ता है । तरह तरह की परेशानियों का सामना करना पडता है । यहाँ सीधा सा सवाल यह है कि क्यों इस गहराई वाले क्षेत्र में छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल द्वारा कॉलोनी बनाई - बसाई गई , जबकि उनके इंजीनियर्स यह अच्छी तरह जानते थे कि जिस जगह पर सैकड़ों मकान बनाये जा रहे हैं वह जगह सड़क से बहुत नीचे है , वहाँ से छोकरा नाला , छोटा नाला और आमासिवनी नाला भी बीचो बीच से गुजरता है जहाँ से समूचा क्षेत्र शुरु से ही डूबान में आता है ? हाई फ़्लड लेवल (एच एफ़ एल) भी यहाँ कॉलोनी निर्माण की अनुमति नहीं देता है, लेकिन सारी बातों को बलाए ताक रख लोगों के करोड़ों रुपये वसूल कर उन्हें जीवन भर के लिए मुसीबत में फ़ंसा कर निकल लिया छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल । इसकी सजा किसे मिलनी चाहिए और कौन तय करेगा सजा ?
यह काम यदि कोई निजी क्षेत्र का आदमी करता तो शायद उसे सरकार सजा देने की बात सोचती , अधिकारी उसे बचाने के लिए अपनी जेबें गरम करने की जुगत भिड़ाते दिखते , लेकिन इनका (छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल) क्या करेगी संवेदनशील कहलाने का शौक रखने वाली राज्य सरकार ? क्यों इसके अध्यक्ष और अधिकारी सजा पाने के लायक नहीं हैं ,जिनकी वजह से आज हजारों लोगों की जान खतरे में है ? दिन का चैन रातों की नींद उड़ी हुई है यहाँ रहने वालों की। और वहीं दुसरी ओर इनके अपराधी चैन से ए सी चला कर सो रहे हैं । कैसा न्याय है यह ? ऐसे अप्राधियों को कैसे भूला जा सकता है , और क्यों ?
शहर के हर बड़े नालों पर दुकानें बनी हैं , पूरे साल भर ये नाले पॉलीथिन के कचरों से पटी रहती है ,फ़िर बारिश आते ही हर गली - मोहल्लों में , घरों में पानी भरने की शिकायतें होतीं हैं । कौन देता है इन नालों के ऊपर निर्माण की अनुमति ? क्या करता रहता है नगर निगम , नगर निवेश और रायपुर विकास प्राधिकरण इस दौरान ? नाले गंदे पानी की निकासी के लिए बनते हैं या कचरा फ़ेंकने-जमा करने के लिए ? क्यों नित्य प्रतिदिन इसकी सफ़ाई नहीं हो पाती , जबकि करोड़ो रुपये इसी मद में हर वर्ष होते हैं । आम आदमी के अरबों रुपयों पर ऐश करने वाले ये कथित जिम्मेदार लोग , आम आदमी को ही आखिर और कब तक तकलीफ़ देते रहेंगे ? ये कथित नेता और अधिकारी और कब तक ऐसे ही बयान बाजी कर लोगों को बेवकूफ़ बनाते रहेंगे ? कब तब ठगे जायेंगे लोग ?और ये आम आदमी भी कब तक अपने घरों के बाहर , कालोनियों में , शासन-प्रशासन में ऐसे ही कचरे फ़ैला कर जीता रहेगा ? कब शुरु होगी इन कचरों की सफ़ाई ???
Very Good. but there is a plan to join river from all over india. what happen to that plan made by govenment.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लेख है
जवाब देंहटाएंHousing Board ka kam kewal Garib-Bhikhari KARYAKARTA/NETA kism ke vyakti ki aarthik halat sudharne ke liya BADE THAKUR ne shuru kiya hai. Is se to JOGI hi thik tha jisne lagbhag sabhi NIGAM-MANDAL close kar ke CHHITTISGARH Govt. ke ESTABLISHMENT COST ko 35% tak laa diya tha.
जवाब देंहटाएंCYCLE REPAIR karne wale neta ki Jagdalpur me EK BADI HOTEL ban gayi hai aur wo KARODO ka aadmi ban gaya hai.
Ye board 50 lakh ke flat & 1 crore ke banglow banane me jyada interest leta hai. Garib/Aam ADMI ko ye isi tarah GADDHE me dal dete hai.