लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
जुलाई 28, 2010
एक दर्द जो शायद आपने भी यहाँ आ कर महसूस किया हो …
आज आप सभी से एक ऐसे विषय पर अपनी बात साझा करना चाहता हूँ , जिससे कहीं न कहीं और किसी न किसी रूप में आप भी जुड़े हैं । रायपुर आप में से बहुतों का आना-जाना लगा ही रहता होगा , बहुत से तो यहीं के मेरे मित्र हैं जो इस ब्लॉग में भी मिलते हैं । बाजार भी आना- जाना होता ही होगा । क्या अनुभव किया है, आपने रायपुर के बाजार का ? कपड़ा ,फ़ल , सब्जी , किराना , स्टेश्नरी , क्रॉकरी , बर्तन , जूता-चप्पल , बेकरी आईटम्स , यहाँ तक की चाट - पकौड़ी , टिक्की-छोले , नास्ता-पानी और भी बहुत कुछ हैं सूची में । ये सारे के सारे सामान यहाँ बिना किसी भाव ताव के ,मुहँमांगे दाम पर बिकते हैं । आप इनका मोलभाव करना भी चाहें तो नहीं कर सकते । विक्रेता या तो नाराजगी जाहिर करता है या फ़िर आपकी अनदेखी । नई राजधानी क्या बन गया रायपुर , मानो सारे रिवाज - रंगत ही बदल गए यहाँ के । अब हाल यह है कि अगर कुछ खरीदना है और बेचने वाला जो कह रहा है ,उसकी बात मानते हो खरीद लो वर्ना चलते बनो । पाँच का पच्चीस बोलता है तो भी ठीक है , चिल्हर नहीं है कहता हुआ वह जितना ज्यादा या कम देता है , फ़ल या सब्जी वाला दिखाने की और बेचने की चीजें अलग -अलग रखता है और जो दिखाता है ,उसे आपके मांगने पर भी नहीं देता है तो भी जो वह दे रहा है , चुपचाप लो । गया वह जमाना जब ग्राहक भगवान कहा-समझा जाता था । आज का भगवान हरा-लाल पत्ता है , जिसके एक किनारे बापू मुस्कुराते हैं और दूसरे किनारे पर उसे लपक कर छीनने वाला । प्रेम से किसी ने बताया तो यही कि क्या करोगे महँगाई सभी जगह है । मगर मै यहाँ यह कहना चाहता हूँ कि जितनी रायपुर में है उतनी लूट और कहीं नहीं है । भरोसा न हो तो आजमा कर अंतर महसूस करें । एक मित्र चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स में हैं । सोचा उनसे कहूं , फ़िर लगा अब तो भाई जी छोटा धंधा छोड़ कर राजनीति के बड़े धंधे में सक्रिय हैं ,इस बार उन्हें सरकार ने कोई जिम्मेदारी भी नहीं दी है , इस निराशा को दूर करने में उनका सारा समय बड़े नेताओं के चक्कर काटने में बीत जाता है ,वो भला अब ऐसी फ़ालतू बातों के लिए कहाँ वक्त दे पायेंगे ? जो मंत्री कुछ कर सकते हैं वो सभी जमीनी कारोबार में व्यस्त हैं । मुख्यमंत्री स्तर की बात यह है नहीं ,अधिकारी समझा देंगे उन्हें । फ़िर ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को भला कहाँ और कैसे समझ आयेगी महँगाई ? फ़िर यह तो कांग्रेस की बुराई करने का हथियार है ,और हमारे यहाँ भा ज पा की सरकार है , वह भला इस हथियार को क्यों नुकसान पहुंचायेगी ? रही लोगों की बात तो वो तो ऐसे भी मरते हैं वैसे भी मरेंगे , मरने दो सा… को । नेता ,मंत्री अधिकारी ,व्यापारी इन सब का फ़ील गुड चल रहा है न बस चलने दो । रायपुर का - छत्तीसगढ़ का विकास इसी में है । ऐसी व्यवस्था का विरोध केवल वे ही करते हैं जिनके पास कोई काम धाम नहीं है और जो केवल नकारात्मक सोच रखते हैं । यही जवाब है उन सक्रिय लोगों का जो चहुँ ओर केवल लूट-खसोट में लगे हैं । विकास की नित्य नई कहानी लिख रहे हैं । आपने यह तो सुना ही होगा - " राम नाम की लूट है , लूट सके तो लूट " बस यहाँ राम का मायने बदल गया है । "राम राज्य" में कुछ इस तरह से मची है हमारे यहाँ लूट । मुझे दर्द हुआ सो मैंने अपनो के साथ बांटने की कोशिश की । सही लगे तो इसे आगे बढ़ाईएगा , शायद कहीं से कुछ सुधार की पहल हो !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
...सार्थक अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने।
जवाब देंहटाएंbahut sahi baat uthaye ho bhaiya, vahi juice bhilai me 5 rs ka mil raha hai to vahi raipur me 10 se 15 rs ka, koi maai-baap nahi hai ye sab dekhne wala.... vahi fruits raipur me itne mahange hain aur vahi same bhilai me itne saste...... aur bhi bahut se baaten hain kahan kahaan ginwayein.... sarkar se lekran prashashan to maano bhaang ki goli khaye hue hain jinhe sab maloom ho kar bhi nahi maloom...
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ..बेहतरीन लिखा आपने..बधाई.
जवाब देंहटाएं