याद बहुत आते हैं आप स्वर्गीय प्रमोद महाजन जी , आपने ही इस देश के लिए "इंडिया शाईन" और "फ़ील गुड़" का स्वप्न जो देखा था । आज आप होते तो हम आपको इंडिया का तो नहीं लेकिन हाँ अपने प्रदेश छत्तीसगढ़ का हाल जरूर बताते । हमारे यहाँ जरूर शायनिंग आई है - फ़ील गुड है आपकी पार्टी में । आलम यह है कि हमारे यहां सब के सब मस्त हैं , शाईन
करने लगे हैं सभी के चेहरे , जो सायकलों से चलते थे वे भी इस आर्थिक मन्दी के दौर में मंहगी कारों में चलने लगे हैं । करोड़ नहीं,अरबों के मालिक हैं ऐसे लोग जिन्हें कल तक यह भी पता नहीं होता था कि कितने शून्य लगते ऐसी जमा पूंजियों में । क्या मंत्री और क्या अधिकारी सभी जगह है फ़ील गुड की बयार। एक चाय की गुमटी में खड़े कुछ निट्ठले लोग चर्चा
कर रहे थे - यार देखो नये - नये अखबार वाले तो सरकार के खिलाफ़ खुल कर लिख रहे हैं । क्या इन्हें जरा भी डर - भय नहीं है ? और ये मन्त्री अखबारों में छपी खबरो से भी नहीं घबरा रहें है। अधिकारी भी मानों निर्लज्ज हो गये हैं । क्या हो रहा है यह सब ? गाड़ी खड़ी करते - करते हमने भी इतना तो सुन लिया था। इन लोगों से परिचय तो था नहीं वरना इन्हें बताते कि भाईयों किस दुनियाँ में हो , तुम्हारे ये नेता और अधिकारी , तुम्हारा छत्तीसगढ़िया अखबार नहीं पढ़ते , पढ़ना भी हो तो दिल्ली - मुम्बई के चेन्नई के भोपाल के उन अखबारों को पढ़ते हैं जिनमें उनकी जय छपी होती है , प्रदेश की उन्नति की तेज रफ़्तार छपी होती है , यहां के बेशुमार विज्ञापन छपे होते हैं । यहां एक्का - दुक्का अखबारों को छोड़ कर भला और कौन उनके जैसा स्तुति गान कर सकता है ? इसीलिए यहाँ के भी उन्हीं अखबारों को पढ़ा जाता हो फ़ील गुड को समझते हों - जीना जानते हों । बाकि तो मानों भौं… हैं । फ़िर इतने अखबार हैं कि यदि उनमें से कुछ एक को भी पढ़ें तो दिमाग खराब होगानेताओं-साहबों का । सब कुछ तो छाप देते हैं ये छोटे अखबार वाले । अब अपना दिमाग खराब करें या फ़िर रोज मर्रा के फ़ील गुड के कार्यक्रमों में लगें, जिसकी बदौलत रोज शाम तक साहबों सहित उनके परिजनों के चेहरे पर शायनिंग आती हैं । तो ये तो रिश्ता है हमारे यहाँ अखबारों और नेताओं-अधिकारियों का । अब रही बात प्रदेश के उन अखबारों का जिन्होने सरकार के खिलाफ़ छापना बन्द नहीं किया है । अब इनका भी ईलाज किया जा रहा है । ऐसे सभी अखबार अब बन्द कराने की मुहिम एक वरिष्ट अधिकारी को सौंपी गई है जो अपना काम कर रहे हैं । ये हाल है राज्य में प्रजातंत्र के चौथे खम्भे का । लुटेरों की बड़ी बस्ती है भला यहाँ ये चंद छोटे - छोटे प्रजातंत्र के रखवाले क्या और कैसे कर पायेंगे ? गर साथ ही रहने का शौक है तो आओ लूटना सीखना होगा ,इन्हें भी । लुटेरे नहीं तो कम से कम चोर बन कर तो दिखाना पड़ेगा । तब तो साथ रहने लायक बन पायेंगे , वरना मारे जायेंगे , लुटेरों की बस्ती में । नयी बस्ती है अभी जोश ज्यादा है । आप होते तो शायद इस आभा को
समझ पाते , जनता को बचाने ,दुबारा सरकार को लाने का रास्ता बने ऐसा कोई उपाए जरूर बताते ,लेकिन यह तो शायद ऊपर वाले को भी मंजूर नहीं था ।
बात जब निकली है तो दूर तलक जाएगी , आशु भाई छत्तीसगढ़ में जिस तरह की राजनीती चल रही है वह दुर्भाग्य जनक है और उससे भी दुर्भाग्य की बात कथित नामी मिडिया की भूमिका है. क्योंकि फिल गुड का मजा ने इन्हें व्यापारी बना दिया है.और व्यापारी सिर्फ धंधा करते है पैसा बचाते है वे कोई खतरा नहीं उठाते चाहे .....लग जाये.
जवाब देंहटाएंक्या होता, क्या न होता...कौन जाने मगर अभी स्थितियाँ अफसोसजनक हैं.
जवाब देंहटाएं...प्रसंशनीय अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंMishraJi,
जवाब देंहटाएंPramodji ki yaad mat dilao. Unhi ki kripa se hamari party ka CONGRESSIKARAN hua. Pramod Ji ne Delhi ke kutch patrakaron se December 2003 me kaha tha ki JOGI se ladne State President ban kar Raipur jane ke liya ATAL JI ne BAIS, JUDEO & RAMAN ko kaha par koi raji nahi hua. Kisi tarah Raman ko taiyar kiya gaya. Us waqt Atal Ji ne kaha tha ki CHHATTISGARH me apni govt. banne ki koi umeed nahi hai phir bhi Kismat se ban gai to RAMAN hi C.M honge.
Is tarah CHAWAL WALE BABA ka RAJTILAK hua.
Pramod Ji Jaise PARKHI ne bhi us waqt ye kalpana nahi ki hogi ki isi CHHATTISGARH me FEEL GOOD ki aisi PARAKASHTA dekhne ko milegi.
JAI SHREE RAM
HO GAYA KAAM.