लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
अगस्त 05, 2010
क्या आप कुछ सोचने को तैयार हैं मेरे साथ …?
आज मैं आपका ध्यान एक छोटी सी बात की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ । क्या आप बता सकते हैं कि एक आदमी अपनी पूरी जिंदगी में कितना जल,फ़ल,फ़ूल और कितने पेड़ों की लकड़ी का उपयोग करता है ? शायद नहीं । जल,फ़ल और फ़ूल को छोड़िए पेड़ों की लकड़ी की बात करते हैं । अपनी जिंदगी में एक आदमी औसतन 300 पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग जन्म से मरण तक उपयोग करता है । क्या आप यह बता सकते हैं कि यही एक व्यक्ति अपने जीवन में कितने पौधे रोपता है ? नहीं ना । यहाँ आकर आप - हम सभी मौन हो जाते हैं क्यों ? सावन का पवित्र माह चल रहा है , हमें नित्य प्रतिदिन बेल पत्र एवम फ़ूलों की जरूरत पड़ती है , हमें जहाँ कुछ पत्र-पुष्पों की जरूरत होती है , हम पेड़ की पूरी टहनियाँ तोड़ लाते हैं ,क्या ऐसा करना उचित व्यवहार है, एक जीवित वृक्ष के साथ ? हमारे धर्म शास्त्रों में फ़ल,फ़ूल,पत्र तोडने के पूर्व बकायदा वृक्ष के सम्मुख आव्हान करने का प्रावधान वर्णित है ,इसी तरह जीवित वृक्ष से भी आप अपने उपयोग के लिए आवश्यक लकड़ी आव्हान कर प्राप्त कर सकते हैं । लेकिन कौन करता है भला ऐसा ? ऐसा सत्कर्म तो हवन-पूजन की लकड़ी के लिए नहीं किया जाता ,तो रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कोई भला क्यों करने चला ? मैं समझता हूँ यहीं से शुरु होता है लोगों के जीवन में तरह-तरह का दुख ,आप मानें ना मानें । किसी भी जीव की हत्या से निकली चित्कार व्यर्थ नहीं जाती है । आप किसी की जान लेकर बद्दुवाओं से नहीं बच सकते। अपने आसपास जहाँ उपयुक्त हो ,दूर दृष्टि का परिचय देते हुए पौधों का रोपण और उसकी देखभाल जरूर कीजिए , अपनी आने वाली पीढ़ी को यही अनमोल उपहार दीजिए । ये वृक्ष ही हमारी समृद्धि के प्रतीक हैं , सभ्यता और संस्कृति के रक्षक हैं । वृक्ष रहेंगें तो ही मनुष्य भी रह पायेगा ।पेड़ काटने वालों से कहना चाहुंगा ,आप पेड़ नहीं अपने पैर काट रहे हैं । अपनी भावी पीढ़ी की साँसें उखाड़ रहे हैं । संक्षेप में कहना चाहता हूं कि आईए प्रायश्चित करें । मैंने कम लिखा है ,आप समझदार हैं । आग्रह स्वीकार कीजिए ।खबर-दुनियाँ,
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपर्यावरण पर आपकी गहरी पकड़ है . ध्यानाकर्षन के लिए धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंबजाज जी ,धन्यवाद । कुछ करना होगा । अपने-अपने स्तर पर ।
जवाब देंहटाएंसच कहा है हर आदमी को पेड़ लगाना चाहिये।
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