लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
अगस्त 31, 2010
"डॉक्टर" अब हैं क्या ?
समाज ने डॉक्टरों को भगवान के समान या फ़िर भगवान के बाद का दर्जा दिया है । लेकिन डॉक्टर्स हैं कि यह कहते हैं कि वे कोई भगवान या उसके बाद नहीं हैं ,वे तो "प्रोफ़ेशनल" हैं । उन्हें जबर्दस्ती महान न बनाया जाय ।
वर्तमान समय में डॉक्टरी का पेशा समाज में जैसा पेश आने लगा है उस पर आप सभी साथियों - प्रबुद्ध जनों के विचार सादर आमंत्रित हैं ।
कृपया अपने विचारों से अवगत कराने की महती कृपा करें । धन्यवाद ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
gagar mey sagar bhar diya tumane. jo kaha hai, sach hai. pahale doctor bhagvaan ke barabar they,ab ve kya hai, ve khud behatar janate hai. samay ke karan badalav a gaya hai. bazarvaad ke karan har taraf patan ho raha hai. bechara doctor bhi kaise bachega. ptrakarita, sahity, dharm har kaheen to vinash hee vinash hai.
जवाब देंहटाएंपंकज जी ने ठीक ही लिखा है .
जवाब देंहटाएंगिरीश भईया जी का आगमन उत्साहवर्धक रहा । अशोक बजाज जी भी पीछे नहीं रहते उत्साहवर्धन करने में । आप दोनों को कोटिशः धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंविचारणीय बिंदु है ... व्यवसायिकता के चलते यदि इनके पास मानवीयता नहीं है तो ये भगवान कहलाने के कतई हकदार नहीं हैं ... आभार
जवाब देंहटाएंसार्थक बहस हो
जवाब देंहटाएंसमझाना अपने दिल को है...
जवाब देंहटाएंडॉक्टर भी ठीक कहते हैं.... को वो भगवान नहीं..... इसमें कोई दिक्कत नहीं है - अगर कोई भी प्रोफेसनल अपना कर अच्छे दंग से करता है ... ठीक है - चाहे प्रोफेशनल दृष्टि से भी देखा जाये तो भी गलत नहीं है.
इसमें सिर्फ डाक्टर ही नहीं, रेलगाड़ी का ड्राईवर, हवाई जहाज का ड्राईवर...... ये सभी भगवान तुल्य हो जाते है.......... अगर अपना कर सही प्रकार करें तो कितनी जिंदगियां बचा सकते है..........
हम तो इनको भगवान मानेगे.
श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई .
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण !!!