मित्रता को वैसे तो किसी दिवस की जरूरत नहीं ,
फ़िर भी आज जब सभी …
तो हमारी भी ।
स्वीकार हों ।
इस दिन के अतिरिक्त
पूरी जिन्दगी, वर्ष के 365 दिन ,
24 * 7 हमारी
मित्रों के साथ हैं ।
- आशुतोष मिश्र
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आपको भी बधाई
जवाब देंहटाएं