साभार : नवभारत |
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
सितंबर 19, 2010
अवसरवाद का जीवंत उदाहरण
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sach hi kahaa hai aapane ye netaa aur inakii paartiyaa'n behad avasarvaadii hai'n . janataa hi samaya aane par inko javaab degii . besharm ho chale hai'n ye . samajhate hai'n janta kuchh samajhatii hii nahii'n . dhokhe me hai'n ye sab .
जवाब देंहटाएंJab waqt pade baka to gadhe ko kaho kaka
जवाब देंहटाएं50 साल से काग्रेस को कोस्ते थे, ह्म लोग्। उस्से बुरे हो गये है। शिव प्रताप को बाह्र्र निकाला क्योकि वे लायक नहि थे। अचानक वे
जवाब देंहटाएं" अपने हो गये "। कल प्रभत झा वाला प्रक्र््रन देखे। कहा जा रही है भाझ्पा।
Rajniti, saam, Daam, Dand, Bhed se chalti hai. Avsarvadita ke aur bhi udaharan hai BJP mein. BJP pura joor lagayegi is seat ko jeetne ke liye, jo asambhav sa lag raha hai. Aajkal log vote dene ke pahle her angle se sochate hai. "Simpathi" kaam nahi ayegi. Shobha Yadav
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