आपको शायद मेरा यह कहना अच्छा न लगे कि छत्तीसगढ़ पिछले कुछ सालों से माफ़िया की गिरफ़्त में है । यहाँ सत्ता के संरक्षण में भू-माफ़िया , अनाज माफ़िया , कपड़ा व्यापार माफ़िया , जंगल माफ़िया सक्रिय नहीं बल्कि अतिसक्रिय है । आम जनता परेशान है । मंहगाई का ठीकरा केन्द्र सरकार के सिर फ़ोड़ कर मस्ती में चूर है सत्ता । विपक्ष की भुमिका भी कम संदिग्ध नहीं है । मीडिया तो अब ऊंगली उठाने लायक भी नहीं रह गया । इसकी प्राथमिकताएं भी जग जाहिर हैं ।
शहर हो या आसपास का कोई गाँव , जहाँ तक निगाहें जाएं देखिए जमीनों पर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं , उनके अपने अतिविश्वास प्राप्त धन कुबेरों का कब्जा है , खेती की जमीनें खरीदी और औद्योगिक घरानों को अनाप- सनाप दामों पर बेची जा रहीं है । नई कॉलोनियाँ बनाई-बेची जा रही है । यह है छत्तीसगढ़ का विकास , ग्रामीण जनता का विकास । शहर की जमीनों के झगड़े ऐसे बड़े हैं कि मंत्री , सांसद , विधायकों , अन्य तमाम जनप्रतिनिधियों के नाम सीधे या फ़िर उनके परिजनों के नाम प्रकरण दर्ज हैं । यहाँ इस व्यवसाय के लिए गुण्डों से भरे दफ़्तर चलते हैं , जबरिया आम आदमी के मकानों - जमीनों पर कब्जा किया जाता है । क्या यही उम्मीद की थी आम लोगों ने छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के शासन से ? दो मंत्रियों को छोड़ शेष पर अधिकारी हावी हैं । अनाज माफ़िया का नाम भी एक मंत्री से जुड़ता है , प्रशासन मौन है । चांवल , शक्कर , दालों की कालाबाजारी - जमाखोरी डंके की चोट पर होती है । मीड़िया मौन है। शिशु मंदिरों के यूनीफ़ॉर्म बदलवा कर एक बड़ा कपड़ा व्यापारी जो वर्षों से एक हिन्दू संगठन पर कब्जा जमाए बैठा है , खुद कपड़े की सप्लाई में मस्त है । तेंदूपत्ता संग्रहकों को मुफ़्त जूता बांटने के पीछे रुपयों का बड़ा खेल वर्षों से जारी है। छत्तीसगढ़ से करोड़ों - अरबों रुपयों की काली कमाई छत्तीसगढ़ के साथ-साथ महाराष्ट्र , उड़ीसा और राजस्थान में जा कर खपाई जा रही है । छत्तीसगढ़ मौन है , भाजपा के साथ कांग्रेस का मानो अघोषित गठबंधन हो गया है । पिछले दस सालों में विकास की आड़ में प्रदेश का केवल विनाश ही किया गया है , जिसे भी मौका मिला सबने केवल अपनी- अपनी जेबें गर्म की हैं । प्रदेश के संसाधनों को बेचने , गिरवी रखने का ही काम किया है । नदियों का पानी हो या फ़िर भु - गर्भ में दबा हीरा , कोयला , लोहा , एल्युमिनियम , टिन , सबका स्वहित साधन के लिये दुरुपयोग किया गया है , सतत किया जा रहा है , जंगलों की अन्धाधुंध कटाई की जा रही है देवभोग क्षेत्र से हीरे की तस्करी बे रोकटोक की जा रही है और मौन हैं इस अमीर धरती के गरीब लोग । आखिर कब तक ???
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
सितंबर 21, 2010
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bahot khub bhai saheb, kaun kahta hai ki media maun hai. aap aur aap jaise kuch jagruk patrakar beshak ungli par gine jane wali sankhya mae hi hai lekin hai to. Chingari sulgaye rakhen bhai aur mera man kahta hai yehi chingari ek din bhyawah aag ki shakal ikhteyar karegi.Insha Allah
जवाब देंहटाएंAkele hi chala tha mae janib-e-manzil,
log milte gaye aur karwan banta gaya.
Aap akele nahi hai is baat ka khayal hamesha rakhiye,mae nahi log nahi par khuda aap ke saath zarur hai. YALGAR HO
SUKRIYAA MATRIX .
जवाब देंहटाएंBebaki se likhi gayi rapat ke dhanyavad
जवाब देंहटाएंMalai hamesha satta ke pichhlagguon ne hi khai hai.
Imandaron ko to chhachh bhi nahi milti.
ललित भाई जी आखिर ऐसा कब तक चलेगा ???
जवाब देंहटाएंप्रणाम,
जवाब देंहटाएंआपकी बातों से शत प्रतिशत सहमत हूँ |
"अभी तो पकड़ा गया सिर्फ एक बाबु "लाल" है,
न जाने छत्तीसगढ़ की घरती में और कितने बाबु "लाल" हैं.....!!
सार्थक एवं प्रभावी लेखन की बधाई स्वीकार करें |
यह सब तो है ही.. इससे मुक्त होने का क्या उपाय है, विचार.. मंथन ..चिंतन इस बात को लेकर होना चाहिए ..पत्ते बहुत गिन लिए जड़ों में उतरने की बात सोची जानी चाहिए.. समाज का ढांचा जिस उपकरण से बनता है उसे सोचो शायद कोई हल नजर आ जाये
जवाब देंहटाएंसच है , यहाँ हालात कुछ वैसे ही हैं , जैसा कि आपने अपनी पोस्ट में बयाँ किये है । सब को मिलकर सोचना होगा ।
जवाब देंहटाएं100 take khari baat bhai sahab.
जवाब देंहटाएंhairaani hoti hai ki kahan gaya vah chhattisgarh ka, kisi galat baat ke khilaaf uth khade hone wala swabhav.....
bt hame uthna hi hoga, khade hokar awaz buland karni hi hogi......
लगे रहो आशु जी...
जवाब देंहटाएंअपनी पोस्ट की चर्चा यहां देखे मित्र...
जवाब देंहटाएंब्लाग चौपाल
लगे रहो ...
जवाब देंहटाएंyah to chor-chor mausere bhai vali kahavat hai , vipakchh bhi kamane me lag gaya hai , ab to logon ko hi kuch karana hoga,ham bhi kuch karen kyoki aane vali hamare bachcho ko to yanhi rahana hai
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा है आपने! ये बहुत ही गंभीर समस्या है! आखिर ऐसा कब तक चलेगा? हम सब को मिलकर इसका हल निकालना चाहिए! बढ़िया पोस्ट!
जवाब देंहटाएंachchhi lekhan..........jaandaar reort...achchha laga.......
जवाब देंहटाएंआशुतोष भैय्या आपका लिखा एक एक शब्द दुर्भाग्यजनक सत्य है, शासन प्रशासन से जुड़े लुटेरों का कृत्य छत्तीसगढ़ की शांत फिजा में जाने अनजाने में जहर घोलने की साजिश जैसा है । समग्र प्रयासों से ऐसे लोगों के चेहरों से निडरता के साथ मुखोटा हटाने की जरुरत है । आपने जिस मुखरता के साथ लिखा आप बधाई के पात्र हैं ।
जवाब देंहटाएंआज तो फ़िड़ गुड़ हो गया। आपने जो लीखा वो 100% सहि है। हमारि सरकार ने 6 साल मे 50 साल का हिसाब बराबर कर दिया। भिखारियो को स्करपियो/सफ़ारि मे चलते देख -- गुड़-चना खाकर सघ को जिदा करने वालो का हाल हम हि जानते है। इन से तो जोगी लाख गुना अचा था। जनता भी जिम्मेदार है इन्को चुन्ने के लिये।
जवाब देंहटाएंHamare SANGH PARIVAR ke ANUSHANGIK sanghathano ko SETH logo ne HIJACK kar liya hai. JHARKHAND ki SARKAR ban-ne ki story, aapne NDTV par dekhi hogi. Jahan bhi BJP GOVT. hai wahan kewal DUKANDARI ho rahi hai. NAGPUR bhi PATH-BHRASHT ho gaya lagta hai? Rajnath se Nitin do kadam aage hi hai. Ye PRAMOD MAHAJAN banne ki koshish me hai.Raipur tour bhi kisi KHAS BUSINESS Purpose se kiya tha. CHHATTISGARH ki sarkar ke bare mai itni baaten hai ki pura din kam padega.
जवाब देंहटाएंAb to SHREE RAM se binti hai ki kisi tarah inse MUKTI dila de. NARAYAN NARAYAN.
मेरे ब्लॉग पर आकर एवं अपनी टिपण्णी प्रेषित करने के लिए धन्यवाद्। चूँकि मैं ब्लॉग कि दुनिया में नया हूँ इस से मेरा प्रोत्साहन निश्चित रूप से बढ़ा है। आपके ब्लॉग से आशा करता हूँ हम ऐसे ही ज्वलंत एवं अनछुए मुद्दों से रुबरु होते रहेंगे। मेरे ब्लॉग पर आइयेगा आपका सदैव स्वागत है।
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